दिल्ली आँगनवाड़ी कर्मीयों की उपराज्यपाल से सार्थक वार्ता।
दिल्ली की संघर्षरत आँगनवाड़ीकर्मीयों ने अपनी राजनीतिक जीत बताया। केजरीवाल को झटका।
दिल्ली की संघर्षरत आँगनवाड़ीकर्मीयों ने अपनी राजनीतिक जीत बताया – केजरीवाल सरकार को लगा तगड़ा झटका।
दिल्ली आँगनवाड़ी कर्मीयों की उपराज्यपाल से सार्थक वार्ता।
दिल्ली की संघर्षरत आँगनवाड़ीकर्मीयों ने अपनी राजनीतिक जीत बताया
नई दिल्ली – दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन के एक प्रतिनिधिमण्डल से दिल्ली के उपराज्यपाल को वार्ता के लिए मजबूर होना पड़ा।
यह वार्ता दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों के संघर्ष का नतीजा है। बहिष्कार के डर से घबराई भाजपा के “प्रतिनिधि” उपराज्यपाल को आख़िरकार वार्ता के लिए तैयार होना पड़ा। पिछले 4 महीनों से दिल्ली की सड़कों पर आन्दोलनरत महिलाकर्मियों के दबाव से ही यह वार्ता सम्भव हो सकी है। और इस वार्ता में उपराज्यपाल ने यह क़बूल किया कि 884 महिलाकर्मियों की बर्ख़ास्तगी ग़लत है। साथ ही उन्होंने कहा कि यूनियन द्वारा सौंपे गए ज्ञापन पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।
यदि पूर्व उपराज्यपाल महोदय दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों की 38 दिनों तक चली हड़ताल पर हेस्मा लगाकर एक दिन में उसका दमन कर सकते हैं तो ग़ैर-कानूनी व ग़ैर-जनवादी तरीक़े से बर्ख़ास्त की गयी 884 महिलाकर्मियों की पुनः बहाली के आदेश भी तत्काल जारी कर सकते हैं।
उपराज्यपाल महोदय ने आज की वार्ता में यूनियन प्रतिनिधिमण्डल को जल्द ही बुलाने का और इस मसले में जल्द ही हस्तक्षेप का आश्वासन दिया है।
यदि यूनियन द्वारा सौंपे गये ज्ञापन पर जल्द कार्रवाई नहीं होती है, तो दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी एक बार फिर उपराज्यपाल आवास का घेराव करेंगी।
यह दिल्ली की फ्रण्ट लाइन वर्करों के रोज़ी-रोटी का सवाल है। महज़ आश्वासन लेकर दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी अपने आन्दोलन को कमज़ोर नहीं होने देंगी। जब तक असंवैधानिक तरीक़े से और बदले की भावना से किये गये यह 884 टर्मिनेशन वापस नहीं होते, हमारा आन्दोलन जारी रहेगा। न्यायालय के ज़रिये तो यह टर्मिनेशन रद्द होने ही हैं, लेकिन यदि केजरीवाल-मोदी सरकार हेस्मा व टर्मिनेशन की दमनकारी नीतियों को वापस नहीं लेती तो दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी सड़कों पर आन्दोलन के ज़रिए इनका भण्डाफोड़ कर इनके लिए वोट माँगना दूभर कर देंगी।
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