यमुना की सफाई और दिल्ली को 24 घंटे पानी देने के लिये दिल्ली सरकार की नई योजना

यमुना की सफाई के साथ-साथ हम दिल्ली को 24 घंटे पानी देने के लिए ग्राउंड वाटर रिचार्ज कर बढ़ा रहे पानी का उत्पादन- अरविंद केजरीवाल

यमुना की सफाई के साथ-साथ हम दिल्ली को 24 घंटे पानी देने के लिए ग्राउंड वाटर रिचार्ज कर बढ़ा रहे पानी का उत्पादन- अरविंद केजरीवाल

यमुना की सफाई और दिल्ली को 24 घंटे पानी देने के लिये दिल्ली सरकार की नई योजना

यमुना की सफाई के साथ-साथ हम दिल्ली को 24 घंटे पानी देने के लिए ग्राउंड वाटर रिचार्ज कर बढ़ा रहे पानी का उत्पादन- अरविंद केजरीवाल!

एस. ज़ेड. मलिक (स्वतंत्र पत्रकार )

नई दिल्ली – यमुना की सफाई के साथ-साथ हम दिल्ली को 24 घंटे पानी देने के लिए ग्राउंड वाटर रिचार्ज कर पानी का उत्पादन बढ़ा रहे हैं। रोहिणी एसटीपी के पास कई झीलें भी बना रहे हैं। हमारा मक़सद गंदे पानी को ट्रीट कर उसे इस्तेमाल में लाना है और झीलों के जरिए भूजल स्तर को बढ़ाना है। विज्ञान और प्राकृतिक तरीक़ों का इस्तेमाल कर हम पानी को साफ़ करेंगे और यमुना में गंदा पानी नहीं जाने देंगे। हमारे प्रयासों के नतीजे भी आने लगे हैं। 15 से 20 साल में पहली बार दिल्ली में पानी का उत्पादन 930 एमजीडी से बढ़कर 990 एमजीडी हुआ है। हमने आंतरिक स्रोतों से 60 एमजीडी अतिरिक्त पानी का उत्पादन बढ़ाया है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 90 के दशक में सुप्रीम कोर्ट ने पड़ोसी राज्यों से दिल्ली को पानी आवंटित किया था। उसके बाद इसे कभी नहीं बढ़ाया गया, जबकि तब दिल्ली की आबादी एक करोड़ से भी कम थी और आज करीब 2.5 करोड़ हो चुकी है। रोहिणी एसटीपी से ट्रीट हुआ पानी पास बनी झीलों में डालेंगे। इससे ग्राउंड वाटर का स्तर बढ़ेगा और फिर ट्यूबेल से निकाल कर इस्तेमाल करेंगे। इस अवसर पर डीजेबी के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
नई वॉटर बॉडी का निरीक्षण करने के उपरांत सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि दिल्ली में पानी की बेहद कमी है। दिल्ली देश की राजधानी है। यहां पर पानी की सुविधा तो होनी चाहिए। दिल्ली के कुल पानी का उत्पादन लगभग 930 एमजीडी रहा करती थी। मुझे लगता है कि यह पिछले 15-20 साल से 930 एमजीडी रहती है। दिल्ली में पानी की उपलब्धता को तो बढ़ाना पड़ेगा। दिल्ली में जनसंख्या बढ़ती जा रही है। 90 के दशक में दिल्ली की आबादी एक करोड़ से भी कम थी, जबकि आज दिल्ली की आबादी 2.5 करोड़ से ज्यादा है। 90 के दशक की तुलना में आज दिल्ली की आबादी करीब ढाई गुना बढ़ चुकी है। दिल्ली के पास, अभी तक पानी का कोई अपना स्त्रोत नहीं है। 90 के दशक में सुप्रीम कोर्ट ने एक सर्कुलर जारी कर आसपास के राज्यों को निर्देश दिया की दिल्ली को पानी आवंटन किया जाये तब से अब तक पानी का आवंटन उतना ही चला आ रहा है और कभी बढ़ाया नहीं गया, जबकि दिल्ली की आबादी अब बढ़कर ढाई गुना हो गई है।

सीएम ने कहा कि पानी की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए हम दो समानांतर प्रयास कर रहे हैं। एक तरफ हम केंद्र सरकार के जरिए पड़ोसी राज्यों से बात कर रहे हैं कि पड़ोसी राज्य हमें और पानी दें। दिल्ली देश की राजधानी है और राजधानी को और पानी की जरूरत है। इसके साथ-साथ हम अपने स्तर पर भी प्रयास कर रहे हैं कि हम किस तरह से पानी के बेहतरीन प्रबंधन से दिल्ली के पानी को अंतरिक स्रोतों से और बढ़ा सकते हैं। यह दोनों ही प्रयास साथ-साथ जारी हैं। अभी तक दिल्ली में 930 एमजीडी का उत्पादन होता था। लेकिन पिछले दो-तीन साल के अंदर हमारे द्वारा आंतरिक स्रोतों के प्रयास किए गए हैं। आंतरिक स्रोतों के अंदर प्राथमिक तौर पर दो तरह के प्रयास किए गए हैं। पहला, हमारे जितने एसटीपी लगे हुए हैं, जहां दिल्ली के सीवर को साफ करते हैं। क्या उस पानी को भी री-साइकल किया जा सकता है? दूसरा, भूमिगत जल को किस तरह से रिचार्ज करके पानी को प्राप्त किया जाए। मोटे तौर दिल्ली सरकार द्वारा यह दो प्रयास चल रहे हैं।
उन्होंने कहा अभी कुछ साल पहले तक दिल्ली में पानी की उपलब्धता 930 एमजीडी थी, जो अब बढ़कर 990 एमजीडी हो गई है। हम लोगों ने इन प्रयासों की बदौलत करीब 60 एमजीडी पानी आंतरिक स्रोतों से बढ़ाया है। 15-20 साल से दिल्ली में पानी का उत्पादन 930 एमजीडी था, वो पहली बार बढ़कर 990 एमजीडी हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार और दिल्ली की जनता के प्यासों से यह सफलता हासिल की है आगे और आपार सफलता मिलने की संभावना है।
 आगे उन्होंने कहा कि रोहिणी एसटीपी प्रतिदिन 15 एमजीडी सीवर ट्रीट करने बाद मिनिरल वाटर बना कर निकलता है। वो सारा पानी पहले यमुना नदी में डाल दिया जाता था। उस पानी का हम इस्तेमाल नहीं करते थे। तकनीक भाषा में इसको 25/30 कहते हैं। पानी की जो गुणवत्ता है, वो 25/30 है। जबकि पीने का पानी 3/3 के भी नीचे होना चाहिए। अभी भी एसटीपी से ट्रीट होने वाले पानी में गंदगी बहुत ज्यादा है। लेकिन जितना भी सीवर साफ करते थे, उसको यमुना में डाल देते हैं और उसका कोई फायदा नहीं होता था। अब हमने यह तय किया है कि 25/30 से और अच्छा साफ करें। यहां पर एक झील बनाई जा रही है। एसटीपी से ट्रीट करने के बाद पानी को इस झील में डाल दिया जाएगा। अब रोहिणी एसटीपी का 15 एमजीडी पानी को साफ करने के लिए कई तकनीक अपनाई गई है, जिसकी मदद से इसको 3/3 से भी ज्यादा साफ कर लिया जाएगा। अर्थात इस पानी को पीने योग्य बना देंगे।
आगे उन्होंने कहा कि विशेष ट्रीटमेंट के लिये रोहिणी में झीलें बनाई जा रही हैं जिसमें सीवर का पानी रीट्रीटमेंट के लिये जमा किया जाएगा,  रोहिणी झील, दिल्ली में गिरते भूजल स्तर में सुधार लाने में काफी मददगार साबित होगी। झील कार्बन भंडारण के लिए एक सिंक के रूप में भी काम करेगी। साथ ही, पौधों, पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों के लिए आशियाना बनेगी। झील से आसपास की आबोहवा भी साफ होगी। इससे महानगर की बढ़ती आबादी के लिए पानी की डिमांड और सप्लाई के अंतर को कम करने के अलावा गर्मी के दौरान तापमान को कम करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही आसपास के लोगों को भी राहत मिलेगी। रोहिणी एसटीपी से ट्रीटेड वेस्टवॉटर को वाटर पॉलिशिंग प्रोसेस से गुजारने के बाद इसे झील में छोड़ा जाएगा। रोहिणी झील में एक एनोक्सिक तालाब भी है, जिसमें प्राकृतिक पौधे होंगे और झील में जल स्तर बढ़ाएंगे। जलीय वनस्पतियों और जीवों के लिए जगह के साथ-साथ एक मछली का तालाब भी होगा। छत पर एक सौर पैनल के साथ एक पेयजल झील भी होगी। इस परियोजना से वेस्टवॉटर को दोबारा उपयोग करने में मदद मिलेगी और आसपास के वातावरण में सुधार के साथ हरियाली भी बढ़ेगी।

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