प्रशंसनीय –  एक लेखक के व्यक्तित्व की आपबीती

काको की धरती साहित्य की दृष्टि से अत्यंत उपजाऊ है। "अताउर-रहमान अता काकवी के बाद इस युग में लतीफ अल्मा शम्सी , और शमशुज़ ज़ोहा मलिक काकवी जिन्होंने "एकतेसादी इंसाफ" लिखा है,  का नाम ज़रूर लिया जाएगा।

काको की धरती साहित्य की दृष्टि से अत्यंत उपजाऊ है। “अताउर-रहमान अता काकवी के बाद इस युग में लतीफ अल्मा शम्सी , और शमशुज़ ज़ोहा मलिक काकवी जिन्होंने “एकतेसादी इंसाफ” लिखा है, का नाम ज़रूर लिया जाएगा।

प्रशंसनीय –  एक लेखक के व्यक्तित्व की आपबीती

प्रशंसक लेखक
एस. ज़ेड.मलिक (स्वतंत्र पत्रकार)
इस संसार मे बड़े बड़े योद्धाओं , बड़े बड़े बुद्धिजीवओं, बड़े बड़े शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, लेखकों पत्रकारों इंजीनियर, डॉक्टरों ने जन्म लिया और चले गए, लेकिन कुछ व्यक्तित्व के कारनामे आज भी इस संसार मे प्रसंगिक हैं तो कुछ के प्रशंसनीय जो स्मृति स्वरूप सीख व प्रेरणास्त्रोत पुस्तकों में अंकित हैं और उनकी तमाम गाथा, इस वर्तमान युग के नई पीढ़ियों के मनोमष्टिस्क में रची बसी हुई है। जिसे सदियों तक याद रखा जाएगा।   
 आज मैं आप लोगों को अपने पैतृक गावँ काको जो त्रेताकाल में कोका के नाम से जाना जाता था। बचपन से अपने पूर्वजों से कोका राजा और केकईया रानी के नाम की एक कहानी सुनते जवान हुआ, कहा जाता है कि कोका राजा बहुत अत्यचारी निर्दयी दुराचारी था, जिसका यहां एक राज महल हुआ करता था, जिसे  एक अंतर्यामी, भविषयज्ञाता और दिव्याशक्ति की मालकिन थीं, जिनका नाम हज़रत बीबी कमालो था उनकी मज़ार आज भी है और वहां भूत प्रेत का अंत होता है। वही दिव्यशक्ति वाली बीबी कमालो ने उस राजा के अत्यचार से क्षुब्ध हो कर श्राप दे दिया तब बहुत ही ज़बरदस्त भूचाल आया और कोका राजा का सम्पूर्ण राजपाट सहिंत राजमहल धरती के नीचे चला गया अर्था कोका उलट कर काको बन गया। आज वर्तमान में वह जगह बाज़ार टोला के नाम से काको का सब से ऊंचाई वाला मोहल्ला है। वहां आज भी कुँए की गहरी खुदाई होने पर बड़े बड़े पिलर तो उल्टा हुआ कुआं तो कहीं कहीं बड़े बड़े दरवाज़े तो कहीं चौखट इत्यादि निकल जाता है।  
 बहरहाल – वह कहानी बहुत लंबी है, मैं तो अपने बांकपन से अपनी उमंगों भारी जवानी जहां मेरा बचपन और जवानी के कुछ हसीन लम्हे बीते थे। वह धरती जहां ना कि केवल हरि-भरी भूमि रही बल्कि उस धरती ने अपने यहां बड़े बड़े लेखक और कवियों तथा सूफी संतों को भी जन्म दे कर हर-भरा रखा।  

इस प्रकार काको की धरती साहित्य की दृष्टि से अत्यंत उपजाऊ है। लेकिन कई दिनों तक सन्नाटा पसरा रहा। काको निवासियों में से किसी ने भी नहीं सोचा था कि डिजिटल के इस नये युग मे भी हम अपनी पुरानी परंपराओं को फिर से अपने कंधों पर ले कर आगे बढ़ेंगे। इस क्षेत्र में कोई भी शोधकर्ताओं द्वारा लिखित पुस्तक जब भी प्रत्यक्ष रूप से सामने आएगा, हर दौर  में “अताउर-रहमान अता काकवी के बाद इस युग में लतीफ अल्मा शम्सी , और शमशुज़ ज़ोहा मलिक काकवी जिन्होंने “एकतेसादी इंसाफ” लिखा है,  का नाम ज़रूर लिया जाएगा।

एल्मा लतीफ शम्शी द्वारा उर्दू में लिखित पुस्तक “काको की कहानी अल्मा शम्सी की ज़बानी” अभी हाल ही प्रकाशित हुई है। और उनकी दूसरी पुस्तक “अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और मेरी दास्तान -मेरी हयात”” इन दोनों पुस्तकों की अद्भुत रचनाओं से अब पाठकों का सामना होगा जिसमें हर कदम पर एक एक तथ्यनात्मक चौंकाने वाली जानकारियां होगी।
 मैं समझता हूं कि उस पुस्तक में एल्मा शम्सी द्वारा पिछले 80 वर्षों के काको की हर तस्वीर एक पेन इमेज के रूप में पुस्तके के पन्नो पर अंकित होगी, शायद जिसके बारे में हम आज तक कल्पना स्वरूप सोंच रहे थे।
हम ऐसे लेखक के बारे में जानेंगे जिसने राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक, में अपने जीवन को शोधकाल के रूप में जीने की कोशिश की है।  इस महान लेखक की कलम से लिखी गयी एक व्यक्तित्व के जीवनी को जाने। काको की धरती पर जन्मा पला पोसा, बढ़ा अलीगढ़ से उच्च शिक्षा हासिल किया और विश्वविद्यालय के छात्र जीवन से राजनीती आरम्भ किया, पहले कॉमरेड बने फिर सोसलिस्ट और स्वतंत्र सेनानी के रूप  लतीफ शम्सी की पहचान बनी और जहाँ वह एक ओर अपने समाज की सेवा में व्यस्त रहे वहीं उन्होंने अपने जीवन के हर एक पहलू को अपने कलम से अपने डायरी के पन्नो में सहेजते रहे आज उसी प्रयास का नतीजा पुस्तक के रूप में समाज के समक्ष देने जा रहे हैं। यह पुस्तक हर एक नई नस्लों के लिए एक वृत्तचित्र के समान होगी। इस पुस्तक में लतीफ एल्मा शम्सी ने काको के हर एक पहलू को बहुत ही बारीकी से खंगाला गया है। जो आने वाले क्षेत्र के प्रत्येक लेखको के लिए प्रेरणास्त्रोत होगा।
 इस 80 वर्षीय अल्मा शम्सी नामक एक व्यक्ति ने अपने शोधायुक्त लेखन से  एक चमत्कार किया है। उन्होंने अज्ञात प्रतीत होने वाली परंपराओं को अप्रचलित घोषित कर दिया गया है, वह अपने लेखन से अंधेरे की मोटी चादर से भी प्रकाश की किरण खींचते हैं। इस व्यक्ति के जीवन के कई पहलू हैं। राष्ट्र के शिल्पकार, स्वतंत्रता सेनानी, कवि, लेखक, विद्वान, शोधकर्ता, हर पहलू दीप्तिमान और शानदार है। आपको बताएं कि इस पुस्तक में आप अलग-अलग लोगों की राय से खुद क्या आंक सकते हैं। मैं इनके पुस्तक के बाजार में आने का इंतजार कर रहा हूं। 
प्रशंसक लेखक
एस. ज़ेड.मलिक(स्वतंत्र पत्रकार)
ZEA

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