दिल्ली सरकार का कौशल विश्वविद्यालय और तिहाड़ जेल के बीच समझौता।
*- इस समझौते के तहत तिहाड़ के कैदी 21वीं सदी के कौशल सीख सकेंगे, जो जेल के अंदर और रिहा होने के बाद उनको अच्छा रोजगार मिलेगा -प्रो. नेहरिका वोहरा*
*- इस समझौते के तहत तिहाड़ के कैदी 21वीं सदी के कौशल सीख सकेंगे, जो जेल के अंदर और रिहा होने के बाद उनको अच्छा रोजगार मिलेगा -प्रो. नेहरिका वोहरा*
दिल्ली सरकार का कौशल विश्वविद्यालय और तिहाड़ जेल के बीच समझौता।
विशेष संवादाता
नई दिल्ली – दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय ने कैदियों के प्रशिक्षण एवं कौशल वृद्धि के लिए तिहाड़ जेल के जेल विभाग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इस पहल का उद्देश्य कैदियों के दीर्घकालिक पुनर्वास एवं समाज की मुख्य धारा के साथ जोड़ना है।
कौशल विश्वविद्यालय, तिहाड़ जेल में विभिन्न कौशल आधारित पाठ्यक्रम शुरू करेगा और पाठ्यक्रम के सफल समापन पर प्रमाण पत्र प्रदान करेगा जो कैदियों को जेल से रिहा होने पर नौकरी हासिल करने के लिए मान्य होगा। यह परिकल्पना की गई है कि कौशल प्रशिक्षण प्रदान होने के बाद कैदियों को जेल से रिहा होने पर उन्हें समाज में सम्मानपूर्वक खुद को स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगा।
विश्वविद्यालय जेल परिसर के भीतर पहचाने गए समूहों के लिए कौशल आधारित पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए प्रशिक्षकों को तैनात करेगा। यह प्रस्तावित है कि मौजूदा कौशल एवं बाज़ार की आवश्यकताओं का विस्तृत मूल्यांकन पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले कर के कैदियों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।
इस अवसर पर विश्विद्यालय की वाइस चांसलर प्रो. नेहारिका वोहरा ने कहा, “हम इसे न केवल एक कौशल प्रोग्राम के रूप में देखते हैं बल्कि यह कैदियों में आत्मसम्मान बढ़ाने में सहायता करेगा। इस पहल के माध्यम से हम कैदियों को रिहा होने पर सम्मानजनक जीवन जीने का दूसरा मौका देना चाहते हैं। कौशल विकास के साथ, हम कैदियों को मूलभूत समर्थन एवं भावनात्मक-मनोवैज्ञानिक कल्याण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।”
महानिदेशक (कारागार) संदीप गोयल ने तिहाड़ जेल के साथ साझेदारी करने के लिए विश्वविद्यालय को बधाई दी और कहां कि यह समय की आवश्यकता है और इस तरह से एक मजबूत संस्थागत सहयोग के साथ हम दीर्घकालिक सुधार का लक्ष्य रख सकते हैं। हम विभिन्न कौशल पाठ्यक्रमों को जोड़ कर इस प्रोग्राम का विस्तार कर सकते हैं जिससे रिहा होने पर कैदियों को रोजगार मिलेगा। इससे कैदियों को नए सिरे से सम्मानजनक जीवन जीने का मौका मिलेगा।”
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के दौरान मौजूद अतिरिक्त महानिरीक्षक मुकेश प्रसाद ने भी सहयोग की प्रशंसा की और कहा कि सरकारी निकायों के बीच इस तरह का औपचारिक सहयोग प्रोग्राम की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए एक स्वागत कदम है। इससे विशेषज्ञता का आदान-प्रदान होगा एवं दिल्ली जेल के कैदियों के ज्ञान वृद्धि एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण के सामान्य हितों को बढ़ावा मिलेगा।
प्रो. रिहान खान सूरी, प्रो वाइस चांसलर, डी.एस.ई.यू., ने कहा कि विश्वविद्यालय सभी नामांकित प्रतिभागियों को व्यक्तित्व विकास, उद्यमशीलता पूर्वक मानसिकता, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता एवं अंग्रेजी प्रशिक्षण में भी सहयोग करेगा। हम तिहाड़ जेल में मौजूदा कौशल पहल एवं योग्य उम्मीदवारों को प्रमाणित करने की मान्यता पर भी गौर करेंगे।
प्रो. स्निग्धा पटनायक, प्रो वाइस चांसलर, डी.एस.ई.यू. ने विश्वविद्यालय के ‘फेस-द-वर्ल्ड’ कॉम्पोनेन्ट पर प्रकाश डाला जिसके माध्यम से शिक्षार्थियों के बीच व्यक्तित्व परिवर्तन एवं विकास मानसिकता का नेतृत्व किया जाता है।
एम.टी. कॉम, उप. महानिरीक्षक (तिहाड़), राजेश चोपड़ा, उप. महानिरीक्षक (मंडोली), गुरप्रीत सिंह, अधीक्षक (पीएचक्यू), रश्मि त्यागी, उप. अधीक्षक (पीएचक्यू), अश्विनी कंसल, रजिस्ट्रार, डी.एस.ई.यू. एवं दीपक दहिया, उप रजिस्ट्रार भी हस्ताक्षर कार्यक्रम में मौजूद थे।
इसके तहत, विश्वविद्यालय कौशल कार्यक्रमों के वितरण में नवाचार के लिए प्रमुख विशेषज्ञों के साथ संयुक्त कार्यशालाएं, सेमिनार, सम्मेलन भी आयोजित करेगा। यह भी इरादा है कि चिन्हित समूहों के क्षमता निर्माण के साथ-साथ जेल परिसर के भीतर जेल कर्मचारियों के लिए विशेष कार्यक्रम भी चलाए जा सकते हैं। तिहाड़ में कार्यक्रम जुलाई 2022 से शुरू होने की उम्मीद है।
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