दिल्ली के सुल्तानपुरी में बीरादरी के तआवुन से एक गरीब बिना माँ बाप के बच्ची की शादी संपन्न हुई।

दिल्ली के सुल्तानपुरी में बीरादरी के तआवुन से एक गरीब बिना माँ बाप के बच्ची की शादी संपन्न हुई।

दिल्ली के सुल्तानपुरी में बीरादरी के तआवुन से एक गरीब बिना माँ बाप के बच्ची की शादी संपन्न हुई।

दिल्ली के सुल्तानपुरी में बीरादरी के तआवुन से एक गरीब बिना माँ बाप के बच्ची की शादी संपन्न हुई

नई दिल्ली – बिरादराने मिल्लत, बेहद ही मुसर्रतों और हौंसले के साथ आप लोगों मुबारकबाद देता हूँ कि आपके लोगों का शिरकत व तआवुन व दुआओं की बदौलत आज 22 मई 2022 दिन इतवार को एक गरीब की बच्ची शाबान वल्द अफन सुल्तानपुरी दिल्ली 86 की शादी ख़ाने आबादी , निकाह मीन सुन्नति मोकम्माल हुआ।
मैं एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार) आपलोगों का बेहद शुक्रगुज़ार और ममनून हूं ।  मैं अपने बिरादरी के तमाम लोगों पर गर्व करता हूँ कि मेरे ऊपर विश्वास करते हुए मेरे गुज़ारिश पर आप लोगों मेरे तक़रीब में शामिल हो कर तआवुन कर मेरा मान रखा  और मेरा हौंसला बढाया।
मुझे अल्लाह की जात उम्मीद है कि आप लोग इसी तरह मेरे नेक कामो में साथ दे कर हौंसला बढाते रहे ताकि नेक कामो मेरा क़दम कभी लडखडाये नही।
मैं तमाम बिरादरी के लोगों को एक इत्तिला और इल्तिजा करता हूँ कि हमारे बरादरी में गरीबी की वजह कर, बेटियां गलत रास्ता अपनाने पर मजबूर है तो कहीं गार्जियन की मजबूरी होती है अपनी बेटियों को दूसरे बिरादरी में देना। इसलिये अपने मोहल्ले, अपने कस्बे अपने गाँव मे उन घराने पर नज़र रखें और जहां भी किसी गरीब की बच्ची बालिग हो चुकी है, या किसी लड़की का रिश्ता लग चुका तो हर हाल में उसके मदद के लिये बिना किसी से पूछे आगे आएं और उसकी मदद करें। गरीब कोई भी हो सकता है, ज़रूरतमंद कोई भी हो सकता है चाहे, वह सैयद, पठान,मलिक,शेख, हो या साईं, राइन,अंसारी, हो मेरा मानना है ज़रूरतमंदों को मदद किसी से पूछ कर नहीं करना चाहिये। क़ुरआन में अल्लाह का बस इतना सा इतना सा फरमान है कि ज़रूरतमंद पहले अपने घर मे तालाश करें,फिर पड़ोस में, उसके बाद मोहल्ले में, तलाश कर उसे मदद करें, दान का रूप और जो नाम दिया गया है वह आलिमों का अपना मक़सद अपना हित है। सदक़ा, फ़ितरा, ज़कात, यह सभी दान है, रूप और नाम अलग अलग अपने हित की खाती दे दिया गया है मेरी समझ से कुआरन में केवल सदक़ा का चर्चा है, ज़कात, फ़ितरा नहीं है, ज़कात फ़ितरा और सदक़ा का चर्चा हदीस में ज़रूर किया गया। बहरहाल बहस इसका नही, बात ज़रूरतमंद को मदद करना वह ज़रूरतमन्त आपका और हमारा सगा भाई भी हो सकता है, वह भूखा और खास्ता हाल है, लेकिन गैरतमंद, और खुद्दार है। वह मरजायेगा हाँथ नहीं फैला सकता स् हालात में हमे और आपको मदद करना लाज़मी है, मदद ऐसी होनी चाहिये कि उसके न गैरत न उसके खुद्दारी को ठेस पहुंचे। 
बहरहाल इस कारखैर मे 102 साहेबानो ने हिंस्सा लिया जिनका मैं तहे दिल से खुक्रिया अदा करता हूँ।  अल्लाह इन सभी तआवुन करने वालों को हर बला , हर व्बा, तमाम जिस्मानी बीमारियों, नमज़र-गुज़र, जादू सेहर टोना , दुश्मनों की दुश्मनी ज़ालिमो के ज़ुल्म से महफूज़ रखे और सेहत तंदरुस्ती अता करे। और तरक़्क़ी और हक़हलाल कि कमाई दे और उसमें बरकत दे। और अल्लाह गायब से मदद करे, आमीन।

शुक्रगुज़ार
एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)
9891954102 

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