जल-वृद्धि योजना और घरेलू जल कनेक्शन परियोजनाओं की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक

सीएम अरविंद केजरीवाल ने जल बोर्ड की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की, अधिकारियों को मिशन मोड पर पानी की उपलब्धता बढ़ाने के दिए निर्देश

सीएम अरविंद केजरीवाल ने जल बोर्ड की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की, अधिकारियों को मिशन मोड पर पानी की उपलब्धता बढ़ाने के दिए निर्देश

जल-वृद्धि योजना और घरेलू जल कनेक्शन परियोजनाओं की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक

सीएम अरविंद केजरीवाल ने जल बोर्ड की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की, अधिकारियों को मिशन मोड पर पानी की उपलब्धता बढ़ाने के दिए निर्देश

नई दिल्ली – मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज जल-वृद्धि योजना और घरेलू जल कनेक्शन परियोजनाओं की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के हर घर को नल से स्वच्छ जल पहुंचाने के काम में हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जताई। दिल्ली जल बोर्ड के साथ समीक्षा बैठक में पानी की उपलब्धता तय सीमा तक न पहुंचने की जानकारी मिलने पर खफा हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने जल बोर्ड के अधिकारियों को जल्द से जल्द पानी का उत्पादन 990 एमजीडी से बढ़ाकर 1110 एमजीडी करने के निर्देश दिए। सीएम ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड पानी का उत्पादन बढ़ाने के लिए पूरी दिल्ली में ट्यूबवेल का एक नेटवर्क तैयार करे। बाढ़ क्षेत्रों समेत दिल्ली के कई इलाकों में पानी का स्तर उपर है। वहां से भूजल निकाल कर लोगों के घरों में आपूर्ति कर सकते हैं। साथ हीग उन्होंने डीजेबी को लास्ट माइल सीवर कनेक्शन की तर्ज पर लास्ट माइल पानी का कनेक्शन देने के निर्देश दिए। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार की तमाम कोशिशें जनता तक नहीं पहुंच पा रही है। यह चिंता की बात है। अब देरी के लिए समय नहीं है। हमने दिल्ली के हर घर में पानी पहुंचाने का संकल्प लिया है। इसलिए हमें इसे पूरा में कोई कसर नहीं छोड़नी है। बैठक में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय, डीजेबी के उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज सहित संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के हर घर को स्वच्छ पानी मुहैया कराने के लिए दिल्ली जल बोर्ड की चल रही विभिन्न परियोजनाओं की आज उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। प्रोजेक्ट की समीक्षा करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की आबादी के मुताबिक मौजूदा समय में पानी की डिमांड 1260 एमजीडी तक बढ़ गई है। लेकिन दिल्ली जल बोर्ड दिल्ली निवासियों को करीब 990 एमजीडी पानी की आपूर्ति कर पा रहा है। जिसमें 864 एमजीडी पानी सरफेस का है और 126 एमजीडी भू-जल शामिल है। सीएम ने पानी कम उपलब्धता पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों से पूछा कि जलापूर्ति की क्षमता बढ़ाने में इतनी देरी किस वजह से हो रही है? योजना के तहत, अब तक जलापूर्ति क्षमता 1,110 एमजीडी तक पहुंच जानी चाहिए थी। यह चिंता का विषय है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद हमारे प्रयास जमीन पर नहीं उतर रहे हैं। दिल्ली के लिए पानी बहुत ही संवेदनशील मसला है। हमने दिल्ली के हर घर तक स्वच्छ पानी पहुंचाने का संकल्प लिया है। इसलिए इस प्रक्रिया में हमें कोई कसर नहीं छोड़नी है। अब पेंडेंसी के लिए कोई जगह नहीं है। हमें पेयजल आपूर्ति में वृद्धि पर प्राथमिकता से काम करना है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए दिल्ली को अपने भूजल संसाधनों को तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि हर घर में स्वच्छ पानी पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सके। दिल्ली में ऐसे कई इलाके हैं, जहां जल स्तर बहुत ऊंचा है। ऐसी बहुत सी जमीनें दिल्ली सरकार के अधीन हैं। वर्तमान में हम एक ट्यूबवेल से औसतन 0.1-0.2 एमजीडी पानी निकाल रहे हैं। हमें अब ऐसी व्यवस्था पर काम करना होगा कि हमारे पास रिचार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ 500 नलकूपों का नेटवर्क हो। हमें केवल जल स्तर को देखना है और यह पहचानना है कि वहां से पानी निकालने के लिए जमीन उपलब्ध है या नहीं। इससे हर घर में पानी की आपूर्ति करने में बहुत मदद मिलेगी।
दिल्ली में जल वृद्धि योजना की समीक्षा करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड पूर्वी दिल्ली में वजीराबाद से ओखला के बीचग मौजूदा रैनी कुओं का उपयोग करने के लिए (विकेंद्रीकृत अमोनिया निष्कासन उपचार संयंत्र) डिसेंट्रलाइज्ड अमोनिया रिमूवल ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर रहा है। ओखला में 6 एमजीडी अमोनिया रिमूवल डब्ल्यूटीपी के पुनर्वास के लिए वजीराबाद से ओखला के बीच भूमिगत जल का स्रोत है। इन दोनों परियोजनाओं का लक्ष्य दिल्ली के लोगों को 5 और 6 एमजीडी पानी की आपूर्ति करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के बाढ़ वाली एरिया में जल स्तर लगभग अधिक देखा जाता है। हमें अक्सर पूर्वी दिल्ली के निवासियों की शिकायतों का सामना करना पड़ता है कि बाढ़ के कारण पानी उनके घरों के बेसमेंट में घुस जाता है। इसलिए हमें इन परियोजनाओं को उनकी मौजूदा क्षमता तक सीमित नहीं रखना चाहिए। इसमें यह भी देखें कि क्या यहां से आपूर्ति को 50 एमजीडी तक बढ़ाया जा सकता है। पानी की कोई कमी नहीं है और हमने इसे शुद्ध करने का तरीका भी निकाल लिया है। इसलिए हमें इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार बवाना में एक वाटर रिसाइकलिंग प्लांट स्थापित कर रही है और पल्ला में कोरोनेशन पिलर एसटीपी से अच्छी गुणवत्ता वाले ट्रीटेड पानी का निर्वहन और वजीराबाद में इसकी लिफ्टिंग की जा रही है। वहीं, निविदा में देरी को देखते हुए सीएम ने अधिकारियों से लंबित मामलों को तुरंत दूर करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इस महीने के अंत तक प्रोजेक्ट का टेंडर कर दिया जाए। विशेष रूप से इस परियोजना के जरिए सरकार का उद्देश्य पल्ला में यमुना में उच्च गुणवत्ता वाले ट्रीटेड पानी का निर्वहन करना है और फिर वज़ीराबाद में नदी के पानी के साथ मिश्रित पानी को उच्चतम मानकों के अनुसार दोबारा उपचारित किया जाना है और फिर इसे लोगों के घरों में आपूर्ति करना है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार द्वारा चलाई जा रही ट्यूबवेल परियोजना की भी समीक्षा की। परियोजना के तहत सोनिया विहार में 51 ट्यूबवेल स्थापित कर चालू किए गए हैं। इसी तरह पल्ला में 30 ट्यूबवेल चालू किए गए हैं, भागीरथी में पेयजल बढ़ाने के लिए 30 ट्यूबवेल चालू किए गए हैं। संगम में कच्चे पानी की सप्लाई बढ़ाई के लिए 3 ट्यूबवेल खोदकर चालू किए गए हैं, बुराड़ी में पीने के पानी को बढ़ाने के लिए 6 ट्यूबवेल को स्थापित कर चालूग किया गया है। कच्चे पानी को बढ़ाने के लिए 6 ट्यूबवेल को फेज-5 के तहत चालू किया गया है और 15 ट्यूबवेल को खोदा गया है, जिनमें से 4 को नांगलोई में पीने के पानी की सप्लाई बढ़ाने के लिए चालू किया गया है। इन 134 ट्यूबवेल से 30.5 एमजीडी पानी मिल रहा है।
इसके अलावा पल्ला में 117 ट्यूबवेल, भलस्वा झील में 100 ट्यूबवेल, अक्षरधाम में 7 ट्यूबवेल, नोएडा मोड़ पर 8 ट्यूबवेल, मुंडका में 4 ट्यूबवेल, फेज-5 सीरीज में 14 ट्यूबवेलग और बवाना डब्ल्यूटीपी के आसपास 15 ट्यूबवेल, ओखला में 7 ट्यूबवेल और दिचाऊं में 3 ट्यूबवेल विकसित किए जाने हैं। चल रही परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए सीएम ने पाया कि पल्ला और बवाना में प्रगति अच्छी नहीं है। उन्होंने अधिकारियों से पिछले एक साल में साइटों पर किए गए कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत करने के लिए कहा है। साथ ही यह बताने के लिए कहा कि इस तरह की देरी का क्या कारण है? अधिकारियों ने देरी के पीछे कारण के रूप में साइट पर परियोजना के योग्य जमीन की अनुपलब्धता का हवाला दिया है। जिस पर मुख्यमंत्री ने इन स्थलों के आसपास डीजेबी और डूसिब जैसे विभिन्न विभागों और एजेंसियों की जमीन सहित सरकारी भूमि का उपयोग इस उद्देश्य के लिए करने का निर्देश दिया है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 4 महीने का समय निर्धारित किया गया है। 
Leave A Reply

Your email address will not be published.