दिल्ली सरकार का आरोप – दिल्ली सरकार के हर कार्य में उपराजयपाल का हस्तक्षेप। 

एलजी 126 पदों के पुनर्जीवित करने का गलत तरीके से श्रेय  लेकर दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रहे है, जबकि शेष 244 पदों को ठंडे बस्ते में डालाझूठा श्रेय लेने की बजाय 244 प्रिंसिपलों की नियुक्ति को मंजूरी दें एलजी- मनीष सिसोदिया

एलजी 126 पदों के पुनर्जीवित करने का गलत तरीके से श्रेय ले कर दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रहे है, जबकि शेष 244 पदों को ठंडे बस्ते में डाला-झूठा श्रेय लेने की बजाय 244 प्रिंसिपलों की नियुक्ति को मंजूरी दें एलजी – मनीष सिसोदिया

दिल्ली सरकार का आरोप – दिल्ली सरकार के हर कार्य में उपराजयपाल का हस्तक्षेप। 

एलजी 126 पदों के पुनर्जीवित करने का गलत तरीके से श्रेय  लेकर दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रहे है, जबकि शेष 244 पदों को ठंडे बस्ते में डाला- मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली – दिल्ली सरकार और भाजपा की और से बहाल उपराजयपाल में तालमेल नहीं बैठ पा रहा है।  अभी प्रिंसपल भाली का मामला और इससे पहले दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के स्कूलों से विशेष शिक्षकों को को विदेश शोध के लिए भेजे जाने पर उपराजयपाल द्वारा रोकने का मामला – तथा भाजपा के नए पार्षदों का नॉम्नेटेड कर उन्हें मेयर के  लिए मतदान का जबरन अधिकार देना उपराजयपाल के मंशा पर सवाल खड़ा होता है  जैसे दिल्ली के उपराजयपाल दिल्ली सरकार को चलने नहीं देना चाहते इसलिए सरकार के कार्य में जगह बी जगह रोड़ा अटका रहे हैं। इससे स्पष्ट है की दिल्ली की सरकार को बदनाम कर उसे गिराने का पूर्ण रूप से षड्यंत्र रचा जा चुका है।
बहरहाल उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति पर उपराज्यपाल की टिप्पणी का खंडन करते हुए कहा कि उपराज्यपाल ने शिक्षा मंत्री को दरकिनार कर प्रिंसिपलों की नियुक्ति रोक दी है और सरकार की ओर से देरी का दावा कर झूठ बोल रहे है। एलजी ने ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे मंत्री को रिपोर्ट न करें। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल 126 पदों को पुनर्जीवित करने का गलत तरीके से श्रेय लेकर दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रहे हैं, जबकि बाक़ी के 244 पदों को ठंडे बस्ते में डाल दिया हैं। एलजी को क्रेडिट लेना बंद करना चाहिए और उन्हें तुरंत 244 प्रिंसिपल्स की नियुक्ति को मंजूरी दे देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो स्कूल वास्तविकता  में मौजूद हैं, वहाँ बच्चे पढ़ रहे है, उसमे स्टडी से ये तय क्यों करना है कि स्कूल को प्रिंसिपल की जरूरत है या नहीं है? 
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को एक बयान जारी कर दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति पर दिल्ली के एलजी द्वारा बार-बार किए जा रहे झूठे दावे का पर्दाफाश किया। हाल ही में, एलजी ने एक बयान जारी कर प्रिंसिपल के 126 पदों की मंजूरी देने की आड़ में 244 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति में देरी करने के अपने कदम के बारे में विरोधाभासी दावे किए थे। एलजी द्वारा जारी किया गया यह दूसरा ऐसा बयान है जो इस मामले के तथ्यों से पूरी तरह परे है। इस सप्ताह की शुरुआत में, 4 और 5 फरवरी को, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एलजी के दावों पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी और एलजी से इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करने  की अपील करते हुए यह बताने को कहा था कि वह इतनी महत्वपूर्ण नियुक्तियों में देरी क्यों कर रहे हैं?
डिप्टी सीएम ने कहा है कि उपराज्यपाल ने सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति के संबंध में एक बार फिर झूठा और भ्रामक बयान जारी किया है।
हालत यह है कि सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं और स्कूल बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं। एलजी के निर्देश पर स्कूल प्रिंसिपलों की नियुक्ति संबंधी फाइलें शिक्षा मंत्री को नहीं दिखाई जाती हैं। प्रिंसिपलों की नियुक्ति नहीं होना एलजी के कामकाज की विफलता है। अगर एलजी सर्विस डिपार्टमेंट के इंचार्ज बन जाते हैं और शिक्षा मंत्री को दरकिनार कर सभी फैसले लेते हैं तो विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है? इन 244 पदों को समय से क्यों नहीं भरा गया? 5 वर्ष से अधिक समय से स्कूल के प्रिंसिपलों के पद ख़ाली रहने की विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है?
एलजी ने ही शिक्षा मंत्री की जानकारी के बिना प्रिंसिपलों की नियुक्तियों पर रोक लगा दी है और अब फिर एलजी के निर्देश पर शिक्षा मंत्री की जानकारी के बिना फाइलें एलजी को सौंपी गईं।
उपमुख्यमंत्री ने तल्ख़ शब्दों में कहा कि, एलजी का दावा है कि उन्होंने शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के आधार पर 244 पदों को समाप्त करने की मंजूरी दी थी। क्या वह इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि फाइल शिक्षा मंत्री के माध्यम से उनके पास भेजी गई थी? क्या उन्होंने सर्विसेज़ से जुड़े मामलों पर मंत्री को जानकारी दिए बिना सीधे फाइल उनके पास रखने का अधिकारियों को निर्देश नहीं दिया है?
इन 244 विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के पद तत्काल भरने की आवश्यकता है। मैं अनुरोध करता हूं कि जब ये स्कूल पहले से ही कार्य कर रहे हैं तो इनमें प्रिंसिपलों की आवश्यकता है या नहीं इसकी स्टडी करने की कोई ज़रूरत नहीं है। इसमें केवल एलजी से एक निर्णय की आवश्यकता है कि इन पदों के लिए स्टडी करने के बजाए इन सभी पदों को तुरंत भरना चाहिए।
उपराज्यपाल केवल 126 पदों के रिवाइवल के लिए गलत तरीके से श्रेय लेकर  दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रहे हैं जबकि उन्होंने बाक़ी बचे  244 पदों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। 

उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया इन दिनों दिल्ली को शिक्षित बनाने के लिये

उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया इन दिनों दिल्ली को शिक्षित बनाने के लिये काफी जद्दोजहद कर रहे हैं दिल्ली के शिक्षा मंत्री का मानना है की दिल्ली में आने वाली नस्लें शिक्षित और कौशल से परिपूर्ण हो। इसलिए लगातार वह दिल्ली राज्य में हर सरकारी स्कूलों का दौरा कर छात्रों , अभिभावकों और शिक्षकों को लगातार जागरूक क्र रहे हैं इसी संबंध में उन्हों  ने बुधवार को दिल्ली सरकार के 3 स्कूलों का दौरा किया।  उपमुख्यमंत्री ने सर्वोदय कन्या विद्यालय सेक्टर-16 रोहिणी, स्कूल ऑफ़ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस, रोहिणी सेक्टर-17 व सर्वोदय कन्या विद्यालय प्रह्लादपुर का दौरा कर वहां हैप्पीनेस क्लासरूम में शामिल हुए तथा  बच्चों के साथ पढाई व आगामी परीक्षाओं को लेकर उनकी तैयारियों को लेकर बात की। 
इस मौके पर बच्चों के साथ चर्चा करते हुए श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की टीम एजुकेशन की कड़ी मेहनत और एजुकेशन को लेकर प्रतिबद्ध लीडरशिप के नेतृत्व में दिल्ली सरकार के स्कूलों में अब सीखने-सीखाने का मतलब पूरी तरह से बदल गया है| हमारे स्कूलों में बच्चे सीखने के लिए केवल किताबों पर निर्भर नहीं है बल्कि स्कूल उन्हें मौका दे रहा है कि वो विभिन्न नए तरीको से कॉन्सेप्ट्स को एक्स्प्लोर करें।  संवाद के दौरान बच्चों ने उपमुख्यमंत्री से कहा, “हम अब बड़े सपने देखने लगे है, हमें विश्वास है कि हम उसे पूरा कर सकते है क्योंकि हमारे पास भी वो सभी सुविधाएं मौजूद है जो किसी अच्छे स्कूल में होती है। 
विजिट के दौरान कक्षा 11वीं में ईएमसी करिकुलम पढ़ रहे छात्रों ने बताया कि ईएमसी ने उनके अन्दर भविष्य को लेकर जो डर है उसे ख़त्म करने में मदद की है और उनके अंदर बहुत से लाइफ स्किल्स डेवलप हुए है| ईएमसी और बिज़नस ब्लास्टर्स के अनुभवों  को साझा करते हुए कहा कि इंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम से उसे न केवल जॉब सीकर के बजाय जॉब प्रोवाइडर बनने की प्रेरणा मिली है बल्कि इस करिकुलम ने लाइफ स्किल्स भी सिखाए है।  एक छात्रा ने बताया कि पहले वो किसी से बातचीत करने में हिचकती थी और लोगों से घुल मिल नहीं पाती थी।  लेकिन ईएमसी और बिज़नेस ब्लास्टर्स ने उसके कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर बनाया साथ ही इससे टीम के साथ मिलकर काम करना और लीडरशिप क्वालिटी भी डेवलप हुई है। 

 

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