केंद्र सरकार बिजली पर भी क़ब्ज़ा कर पेट्रोल डीजल की तरह बिजली के दाम भी बढ़ाना चाहती है।

केंद्र सरकार बिजली की क़ीमतों को पेट्रोल-डीज़ल के दाम की तरह लूटना चाहती जिससे आम आदमी अंधेरे में जीने पर मजबूर हो जाएगा - मनीष सिसोदिया

केंद्र सरकार बिजली की क़ीमतों को पेट्रोल-डीज़ल के दाम की तरह फलेक्सिबल बनाना चाहती है। जो जनता के लिए ख़तरनाक साबित होगा, इससे बिजली के दाम भी पेट्रोल-डीज़ल की तरह कभी क़ाबू में नहीं आएँगे- मनीष सिसोदिया

केंद्र सरकार बिजली पर भी क़ब्ज़ा कर पेट्रोल डीजल की तरह बिजली के दाम भी बढ़ाना चाहती है।

केंद्र सरकार बिजली की क़ीमतों को पेट्रोल-डीज़ल के दाम की तरह फलेक्सिबल बनाना चाहती है। जनता के लिए ख़तरनाक साबित होगा, इससे बिजली के दाम भी पेट्रोल-डीज़ल की तरह कभी क़ाबू में नहीं आएँगे- मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली – उपमुख्यमंत्री व उर्जा मंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछले दिनों उदयपुर में देशभर के उर्जा मंत्रियों की बैठक में शिरकत की । केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई इस बैठक में सभी प्रदेशों के बिजली मंत्रियों, बिजली विभाग व बिजली आयोगों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया| इसमें अलग-अलग राज्यों में चल रही बिजली कंपनियों की माली हालत, स्मार्ट बिजली मीटर लगवाने, रीन्यूवल एनर्जी जैसे सौर उर्जा, पवन उर्जा आदि के उत्पादन को बढ़ाने जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई| बैठक में केंद्र सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि सरकार जल्द ही यह व्यवस्था भी लाने वाली है जिसमें बिजली की दरों के निर्धारण का वर्तमान तरीका बदल जाएगा और नई व्यवस्था में बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन, सप्लाई आदि में हो रहे खर्चों की वर्तमान कीमतों के आधार पर बिजली के दामों में निरंतर उतार-चढ़ाव आता रहेगा| केंद्र सरकार की ओर से बिजली मंत्रियों की बैठक में बिजली सब्सिडी की वर्तमान स्थिति व विभिन्न राज्यों में दी जा रही बिजली सब्सिडी मॉडल पर भी चर्चा हुई|

बैठक में दिल्ली की ओर से शिरकत करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि बिजली की क़ीमतों को पेट्रोल-डीज़ल के दाम की तरह फलेक्सिबल बनाना जनता के लिए ख़तरनाक साबित होगा, इससे बिजली के दाम भी पेट्रोल-डीज़ल की तरह कभी क़ाबू में नहीं आएँगे| केंद्र सरकार द्वारा बाजार में अन्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए बिजली की कीमत में लगातार उतार चढ़ाव का रास्ता खोला गया तो पेट्रोल-डीजल की तरह बिजली के दाम भी आसमान छुएंगे, इसका सारा भार आम जनता पर पड़ेगा| उन्होंने कहा कि सरकारों का मुख्य लक्ष्य बिजली कंपनियों को फायदे में चलाना नहीं होना चाहिए, सरकार का लक्ष्य होना चाहिए कि देश के हर नागरिक को 24 घंटे, बेहद सस्ते दामों पर और गरीब लोगो को फ्री बिजली उपलब्ध करवाई जाए|

मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि 21वीं सदी के भारत में बिजली लोगों की जिन्दगी की एक अहम जरुरत है| ऐसे में बिजली के दामों को बढ़ाने के बजाय केंद्र इस बात पर ध्यान दे कि किस तरह आम जनता को अफोर्डेबल दामों पर 24 घंटे सस्ती बिजली उपलब्ध करवाई जा सकती है| फ्री बिजली के मुद्दे पर मनीष सिसोदिया ने कहा,जिन राज्यों की माली हालत ख़राब है वहां की सरकारों ने जनता को फ्री बिजली नहीं दी, इन सरकारों ने जनता के टैक्स के पैसों का सही से इस्तेमाल नहीं किया, इसलिए उनकी आर्थिक स्थिति ख़राब हुई| जनता टैक्स इसलिए देती है कि सरकार उन्हें अच्छी शिक्षा-स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क, सुरक्षा और रोज़गार दे, ऐसे में यह सोच बेहद ग़लत है कि “ टैक्स के पैसे से सस्ती या फ़्री सुविधाएँ कैसे दो जा सकती है|

बैठक में मनीष सिसोदिया ने प्रतिबद्धता से इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार द्वारा बाजार में अन्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए बिजली की कीमत में लगातार उतार चढ़ाव का रास्ता खोला गया तो पेट्रोल-डीजल की तरह बिजली के दाम भी आसमान छुएंगे और इसका सारा भार आम जनता पर पड़ेगा| उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में अलग-अलग राज्यों के बिजली नियामक आयोग बहुत से तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बिजली के दरे निर्धारित करते है| इसमें बिजली कंपनियों के खर्चे, कर्मचारियों के वेतन आदि के मद समाहित होते है| लेकिन यदि इस व्यवस्था को हटाकर यह नई व्यवस्था लाई गई और बिजली की क़ीमतों को पेट्रोल-डीज़ल के दाम की तरह फलेक्सिबल बनाया गया तो यह जनता के लिए ख़तरनाक साबित होगा, इससे बिजली के दाम भी पेट्रोल-डीज़ल की तरह कभी क़ाबू में नहीं आएँगे इसका सारा भार आम लोगों पर पड़ेगा और उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा| ऐसे में केंद्र सरकार को इससे बचना चाहिए| 

देश भर के उर्जा मंत्रियों व केन्द्रीय उर्जा  मंत्री की संयुक्त बैठक में श्री सिसोदिया ने कहा कि सरकारों का काम और विशेषकर उर्जा मंत्रियों व उर्जा विभागों के अधिकारियों का काम बिजली कंपनियों को फायदे में चलाना नहीं है| इनका मुख्य काम आम जनता को 24 घंटे बेहद सस्ते दामों पर और गरीब लोगो को फ्री बिजली उपलब्ध करवाना है| इसलिए हमें सबसे पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि 21वीं सदी के भारत में बिजली जब लोगों की जिन्दगी की एक अहम जरुरत बन चुकी है तो ऐसे में हम किस तरह आम जनता को अफोर्डेबल दामों पर 24 घंटे सस्ती बिजली उपलब्ध करवा सकते है|

बैठक में यह मुद्दा भी उठा कि जनता के टैक्स के पैसों से कबतक उन्हें सस्ते दामों पर बिजली दी जाएगी| इसपर तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि,जनता आखिर टैक्स देती ही किसलिए है? टैक्स देने के पीछे जनता की अपेक्षा है कि सरकार उसे अच्छे स्कूल देगी,अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं देगी, अच्छी बिजली की सुविधाएं देगी,अच्छी पानी की सुविधाएं देगी, अच्छी सड़कें बनाकर देगी और अच्छी सुरक्षा देगी| लेकिन धीरे-धीरे हर चीज को इस दायरे में लाया जा रहा है कि जनता को यह सभी सुविधाएं टैक्स के पैसों से नहीं मिलनी चाहिए|

उन्होंने कहा कि इस अवधारणा पर चलते हुए ही प्राइवेट स्कूल बनाए गए कि कबतक टैक्स के पैसों से शिक्षा दी जाएगी| महंगे प्राइवेट अस्पताल बना दिए गए, यह कहते हुए कि कबतक टैक्स के पैसों से अच्छा इलाज दिया जाएगा| सड़कों पर महंगे टोल टैक्स लगा दिए गए यह कहते हुए कि कबतक टैक्स के पैसे से सड़कें बनाई जाएगी| सुरक्षा व्यवस्थाएं फेल होती चली गई और यह सवाल उठाया गया कि टैक्स के पैसों से 1-1 व्यक्ति को कबतक सुरक्षा दी जाएगी इसलिए इस अवधारणा पर चलते हुए बहुत से लोगों ने अपने मोहल्ले-कॉलोनियों,संस्थानों,घरों में निजी सुरक्षा गार्ड रखने शुरू कर दिए| पानी के लिए भी यही सवाल उठाया गया कि कबतक टैक्स के पैसों से लोगों को पानी दिया जाएगा और धीरे-धीरे पानी भी महंगा होता चला गया|

मनीष सिसोदिया ने सवाल उठाया कि जनता आखिर टैक्स देती ही क्यों है| जनता टैक्स इसलिए देती है कि सरकार उसे अच्छी शिक्षा-स्वास्थ्य व्यवस्था दे, उनके टैक्स के पैसों से बिजली-पानी पर काम करे| उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार टैक्स के पैसों का करना क्या चाहती है? और जनता को जब यह सुविधाएं मिलेगी ही नहीं तो वे टैक्स दे ही क्यों?

बैठक में इस मुद्दे को भी उठाया गया कि कई राज्य टैक्स के पैसे से सुविधाएं देने के चक्कर में लोन पर लोन लेते जा रहे है और उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है| इसपर तर्क देते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिन राज्यों की आर्थिक स्थिति सबसे खराब है, वहां जनता को फ्री बिजली नहीं दी जाती है| ऐसे में इन राज्यों की खराब माली हालत के पीछे फ्री बिजली को कारण नहीं बताया जा सकता है|

उन्होंने कहा कि जिन राज्यों की माली हालत ख़राब है वहां की सरकारों ने जनता के टैक्स के पैसों का सही से इस्तेमाल नहीं किया, भ्रष्टाचार नहीं रोका, सही मैनेजमेंट नहीं किया इसलिए उनकी आर्थिक स्थिति ख़राब हुई न की फ्री बिजली देने से ऐसा हुआ| अभी तक जिन राज्यों की आर्थिक हालत सबसे ज्यादा खराब है वहां कभी भी जनता को फ्री बिजली नहीं दी गई| बल्कि इन राज्यों में लगातार बिजली, पानी महंगी की जा रही है| मनीष सिसोदिया ने कहा कि टैक्स के पैसे से जनता को जरुरी सुविधाएं उपलब्ध करवाना ही सरकार का काम है और हर सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना बहुत जरुरी है|

ZEA
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