फ़िल्म “हिंदुत्व” का प्रमोशन – दिल्ली में ट्रेलर लॉंच

"हिंदुत्व" एक विचारधारा जिसे इस फ़िल्मके माध्यम से हर एक भारती में भारतीयता लाने एवं हिन्दू को संगठित करने का प्रयास है जिस से भारत को मज़बूत मज़बूत बनाया जा सके, - निर्देशक - कर्ण राज़दान

“हिंदुत्व” एक विचारधारा जिसे इस फ़िल्मके माध्यम से हर एक भारती में भारतीयता लाने एवं हिन्दू को संगठित करने का प्रयास है जिस से भारत को मज़बूत मज़बूत बनाया जा सके, – निर्देशक – कर्ण राज़दान

फ़िल्म “हिंदुत्व” का प्रमोशन – दिल्ली में ट्रेलर लॉंच 
“हिंदुत्व” एक विचारधारा जिसे इस फ़िल्मके माध्यम से हर एक भारती में भारतीयता लाने एवं हिन्दू को संगठित करने का प्रयास है जिस से भारत को मज़बूत मज़बूत बनाया जा सके, – निर्देशक – कर्ण राज़दान

एस. ज़ेड. मलिक

नई दिल्ली – भारत मे इस समय एक समुदाय के प्रति असहिष्णुता , द्वेष एवं दुराग्रह, की भावना के तहत विभिन्न स्रोतों के माध्य से समाज मे भ्रांतियां फैला कर 100 करोड़ भारतीयों के मन मे सीरियल और फ़िल्म के माध्यम से घृणा पैदा करने की अथाह प्रयास किया जा रहा है। परन्तु यह अलग बात है कि हमारा भारतीय समाज अधिकतर सहिष्णु और सभ्य संस्कारी और समझदार है। जो खामोशी से उग्रवाद, आतंकवाद, अतिवाद, मनुवाद और भृष्टाचार हत्या, दुष्कर्म, बलात्कार, दुराचार अत्याचार शोषण , दोहन चीरहरण सब कुछ सुन्न दृष्टि से देखता है और शान्त रहता है। यह विडंबना कहें या दुर्भाग्य ?  जबकि उग्रवाद, आतंकवाद, अतिवाद, मनुवाद और भृष्टाचार हत्या, दुष्कर्म, बलात्कार, दुराचार अत्याचार शोषण , दोहन चीरहरण करने वालों से 95 प्रतिशत सहिष्णु और सभ्य संस्कारी और समझदार व्यक्ति इस पावन धरती पर मौजूद हैं। इसीलिये अब तक भारत मे दुष्य प्रचार होने बावजूद आपसी सौहार्द और भाईचारा देखने को मिल जाता है। 
ऐसे ही दिल्ली में किया गया फिल्म ‘हिंदुत्व’ का प्रचार – हाल ही में फिल्म ‘हिंदुत्व’ की स्टारकास्ट आशीष शर्मा, सोनारिका भदौरिया, अंकित राज और मुकेश त्यागी अपनी आने वाली फिल्म ‘हिंदुत्व’ के प्रचार के सिलसिले में दिल्ली आ कर प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। 
फ़िल्म ‘हिंदुत्व’ आज के युवाओं की कहानी है और अपने प्रमुख पात्रों के माध्यम से हिंदू धर्म की गहराई की पड़ताल करती है। यह दोस्ती, प्यार और छात्र राजनीति की कहानी है। फिल्म सचिन चौधरी द्वारा निर्मित और करण राजदान द्वारा निर्देशित है।
होटल ललित में आयोजित प्रमोशनल इवेंट में मीडिया से बातचीत में सोनारिका ने बताया, ‘जब मैंने ‘हिंदुत्व’ फिल्म का शीर्षक सुना, तो मैं डर गई थी, क्योंकि जब हम इस शब्द को सुनते हैं तो हमें कुछ समूहों की याद आती है और मुझे उस समय हमारे सामाजिक-राजनीतिक माहौल के बारे में पता नहीं था। लेकिन, जब मैंने इसकी कहानी सुनी तो मुझे लगा कि यह पूरी तरह से गैर-विवादास्पद फिल्म है।’ वहीं पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए इस फ़िल्म के निर्देशक करण राज़दान ने कहा हिंदुत्व” एक विचारधारा जिसे इस फ़िल्मके माध्यम से हर एक भारती में भारतीयता लाने एवं हिन्दू को संगठित करने का प्रयास है जिस से भारत को मज़बूत मज़बूत बनाया जा सके, परन्तु एक पत्रकार के जवाब पर वह भी असमंजस में दिखे  “हिन्दू” शब्द की उतपत्ति कब और किन परिस्थितियों में हुई – इस पर उनका भी वही घिस-पीटा जवाब यह वीर सावरकर की देन है और दूसरे यह शब्द सिंधु घाटी हड़प्पा सभ्यता से प्रचारित मुगलों द्वारा किया गया है। जब कि यह शब्द संस्कृत से ही निकला हुआ है और इसे आरयनो द्वारा उन लोगों को बोला जाता था जो जंगली मांसाहारी आदिवासी कहें या आदिमानव, जो गंदे और घिनौने हुआ करते थे – उन्हें हिन्दू: कहा जाता था उस समय भारत मे मुसलमान नही हुआ करते थे। हिन अर्थात घिनौना और दुः अर्थात दुष्ट कहें या दुष्टकर्मी अर्था घिनौना और दुष्ट, परन्तु धीरे धीरे युग बदलता गया और सभ्यता संस्कार बदलते गये। बहरहाल यह शोध एवं मंथन का विषय है। 
बहरहाल  जिस प्रकार की यह फ़िल्म बनाई गई है , नाम से तो लगता है सम्प्रदायिक और विवादित है समाज मे तोड़ पैदा करती है लेकिन ऐसा नही है यह एक समुदाय के विचार को दर्शाती है और दूसरे समुदाय को अपने विचारधारा पर चलें के लिये प्रोत्साहित करती है।
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