बढ़ते मज़दूर – घटती मज़दूरी – स्तित्वहीन – दयनीय स्थिति 

भारत सरकार व राज्य सरकारें मज़दूर योजना के नाम पर टॉय टॉय फ़ीस - श्रम मंत्रालय की वेबसाइट खाली - मज़दूरों के साथ धोका - क्या सरकार भी मज़दूरों की बंधुआ मज़दूर बनाना चाहती है ?

भारत सरकार व राज्य सरकारें मज़दूर योजना के नाम पर टॉय टॉय फ़ीस – श्रम मंत्रालय की वेबसाइट खाली – मज़दूरों के साथ धोका – क्या सरकार भी मज़दूरों की बंधुआ मज़दूर बनाना चाहती है ?

बढ़ते मज़दूर -घटती मज़दूरी –  स्तित्वहीन – दयनीय स्थिति 

🙏🏿🙏🏿🙏🏿मज़दूर हैं साहेब ! हमें भी देख लें !!!!
यह शाहराह, ये दीवाने ख़ास और ये महल,
♥️♥️♥️♥️हमारे ख़ून पसीनो से मुरत्तब है ये !
सुर्ख खूँ जब है बहा , बनके पसीना मेरा,
🙏🙏तब ज़माने ने कहा – वाह भई , माशाल्लाह
कभी दहक़ां , कभी मज़दूर बनके मरता रहा !
👍🏾👍🏾👍🏾ताकि तुम ऐशगाहों में अपने,
सुकूं से सो भी सको ,
♥️♥️♥️♥️महव ए ख़्वाब भी रह लो !!!
प्रो0 डॉ0 खुर्शीद अंसारी 💐💐

एस.  ज़ेड. मलिक   

आज अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस है – और आज भारत क्या विश्व में मज़दूरों के नाम पर जगह जगह सेमीनार और बैठकों का आयोजन किया जा रहा होगा और मज़दूरों के हितैषी मज़दूर नेतागण सरकार को मंच पर गालिया और श्राप देते नज़र आ रहे होंगे।  मज़दूर के अधिकारों के बारे में बड़ी बड़ी बाते कर रहे होंगे, सरकार की गलत नीतियां बता रहे होंगे और मज़दूरों की अनगिनत समस्याएं जीना रहे होंगे लेकिन समस्याओं का समाधान कोई भी नहीं बता रहा होगा – इसलिए की कोई भी नेता बनने के बाद समाधान नहीं करना चाहता।  भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के वेबसाइड पर जा कर देखें 2008 तक की नीतियां ही दिखाई देगी उसके बाद शायद ब्वहारत सरकार ने कोई नीतिया बाना ज़रूरी नहीं समझा और न किसी मज़दूर संगठनों ने सरकर पर दबाओ बनाया की कम से कम सरकार अपनी वेबसाइट को ही अब्डेट तो करदे। सरकार मौखिक नीतियां बनाती है और समय निकलते ही भूल जाती है। चुनाव के समय दुनिया के तमाम संगठन कुकुरमुत्ते की तरह नज़र आते हैं और जगह जगह मज़दूरों को इकट्ठा कर के घड़याली आंसू बहाते हैं उनके हित की बात करते हैं जैसे मानो मज़दूरों के यही माई बाप हैं इनसे बड़ा हमदर्द कोई नहीं और चुनाव समाप्त होते ही “गधे के सर से सींग गैब” वाली कहावत  सारे नेता ग़ायब हो जाते हैं।  हम बात कर रहे हैं भारत की, जहां जादूरों को इस्तेमाल तो किया जाता है लेकिन उन्हें मज़दूरी के नाम पर कहीं रूलाया जाता है तो मार कर भागया जाता है।       

आज मज़दूरों की दैनिक मज़दूरी 500 रूपये का प्रावधान किये गए थे इसके लिए यूपी सरकार के समय जो अधिनियम बनाये गए थे वह आज भी हैं श्रम मंत्रालय के वेबसाइट पर यूँही पड़ी उन में वाइरस लग चुके हैं अब उन अधिनियमों के पीडीएफ भी नहीं खुलते और 2014 में भाजपा को सत्ता संभालने बाद मनरेगा भी समाप्त कर दिया गया और मज़दूर की संगठन खामोशी से चटकारे ले कर अफसर वाले मंचों पर अफ़सोस करते सुने जाते हैं , ताज्जुब करते नज़र आते हैं।

श्रम कल्याण

क्र.सं.शीर्षकडाउनलोड
1असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008डाउनलोड(3.88 MB)pdf
2ब‎न्धित श्रम पद्ध‎ति (उत्सादन) अ‎धिनियम,1976डाउनलोड(0.32 MB)pdf
3सिनेमा कर्मकार एवं ‎सिनेमा ‎थियेटर कर्मकार (नियोजन का ‎विनियमन) अ‎धिनियम,1981डाउनलोड(1.35 MB)pdf
4अंतर-रा‎ज्यिक प्रवासी कर्मकार (‎नियोजन का ‎विनियमन और सेवा शर्तें) अ‎धिनियम,1979डाउनलोड(2.59 MB)pdf
5ठेका श्रम (‎विनियमन एवं उत्सादन) अ‎धिनियम,1970डाउनलोड(0.89 MB)pdf
6भवन एवं अन्य स‎न्निर्माण कामगार (रोजगार का ‎विनियमन एवं सेवा शर्तें) अ‎धिनियम,1996डाउनलोड(2.49 MB)pdf
7बीड़ी तथा ‎सिगार कर्मकार (‎नियोजन की शर्तें) अ‎धिनियम,1966डाउनलोड(4.14 MB)pdf
8सफाई कर्मचारी नियोजन और शुष्क शौचालय सन्निर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1993डाउनलोड(0.92 MB)pdf
9सिनेमा कर्मकार कल्याण (उपकर) अ‎धिनियम,1981डाउनलोड(0.59 MB)pdf
10सिनेमा कर्मकार कल्याण ‎निधि अ‎धिनियम,1981डाउनलोड(0.59 MB)pdf

यह देख लें यह केंद्र सरकार के अधिनियम में वाइरस लगे पड़े हैं। अब थोड़ा यह भी देखिये हमारे भारत का संविधान में आम नागरिकों के लिए क्या प्रावधान है। इसे पढ़िए यह भी श्रम मंत्रालय के वेब साईट पर ही रखा हुआ है इसके तहत सरकार और मज़दूर संगठन भारत के सारे मज़दूरों को बेवक़ूफ़ समझ रही है।    

भारत का संविधान नागरिकों के अधिकारों के लिए विस्तृत प्रावधान प्रदान करता है और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को भी निर्धारित करता है जो एक लक्ष्य निर्धारित करता है जिसके लिए राज्य की गतिविधियों को निर्देशित किया जाना है। इन निर्देशक सिद्धांतों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय उपकरणों के आधार पर, सरकार कार्यस्थलों पर सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिमों के प्रबंधन के लिए सभी आर्थिक गतिविधियों को विनियमित करने और प्रत्येक कामकाजी पुरुष और महिला के लिए सुरक्षित और स्वस्थ काम करने की स्थिति सुनिश्चित करने के उपाय प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। देश। सरकार मानती है कि श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य का उत्पादकता और आर्थिक और सामाजिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रोकथाम आर्थिक गतिविधियों का एक अभिन्न अंग है क्योंकि काम पर उच्च सुरक्षा और स्वास्थ्य मानक उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि नए और मौजूदा उद्योगों के लिए अच्छा व्यावसायिक प्रदर्शन।

श्रम और रोजगार मंत्रालय कल यानी 15-02-2019 को प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन (पीएम-एसवाईएम) योजना लांच करेगा। अंतरिम बजट में घोषित इस योजना को मंत्रालय ने हाल ही में अधिसूचित किया है। देश के असंगठित क्षेत्र में 42 करोड़ श्रमिक काम करते हैं।

इस योजना के पात्र 18-40 वर्ष की आयु समूह के घर से काम करने वाले श्रमिक, स्ट्रीट वेंडर, मिड डे मील श्रमिक, सिर पर बोझ ढोने वाले श्रमिक, ईंट-भट्टा मजदूर, चर्मकार, कचरा उठाने वाले, घरेलू कामगार, धोबी, रिक्शा चालक, भूमिहीन मजदूर, खेतिहर मजदूर, निर्माण मजदूर, बीड़ी मजदूर, हथकरघा मजदूर, चमड़ा मजदूर, ऑडियो-वीडियो श्रमिक तथा इसी तरह के अन्य व्यवसाय के श्रमिक होंगे, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये प्रति महीने या उससे कम है। पात्र व्यक्ति नई पेंशन योजना (एनपीएस), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) योजना या कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के लाभ के अंतर्गत कवर नहीं किए नहीं जाने चाहिए और उसे आयकर दाता नहीं होना चाहिए।

पीएम-एसवाईएम की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

(i)    न्यूनतम निश्चित पेंशनः पीएम-एसवाईएम के अंतर्गत प्रत्येक अभिदाता को 60 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद प्रति महीने 3,000 रुपये न्यूनतम निश्चित पेंशन मिलेगा। (ii)   परिवार पेंशनः यदि पेंशन प्राप्ति के दौरान अभिदाता की मृत्यु होती है तो परिवार पेंशन के रूप में लाभार्थी को मिलने वाले पेंशन का 50 प्रतिशत लाभार्थी के जीवनसाथी को मिलेगा। परिवार पेंशन केवल जीवनसाथी के मामले में लागू होता है। (iii)   यदि लाभार्थी ने नियमित अंशदान दिया है और किसी कारणवश उसकी मृत्यु (60 वर्ष की आयु से पहले) हो जाती है तो लाभार्थी का जीवनसाथी योजना में शामिल होकर नियमित अंशदान करके योजना को जारी रख सकता है या योजना से बाहर निकलने और वापसी के प्रावधानों के अनुसार योजना से बाहर निकल सकता है।

3. अभिदाता द्वारा अंशदानः अभिदाता का अंशदान उसके बचत बैंक खाता/जनधन खाता से “ऑटो डेबिट” सुविधा के माध्यम से किया जाएगा। पीएम-एसवाईएम योजना में शामिल होने की आयु से 60 वर्ष की आयु तक अभिदाता को निर्धारित अंशदान राशि देनी होगी। नीचे तालिका में प्रवेश आयु विशेष मासिक अंशदान का ब्यौरा दिया गया हैः

प्रवेश आयुयोजना पूरी होने के समय आयुसदस्य का मासिक अंशदान (रुपये में)केन्द्र सरकार का मासिक अंशदान (रुपये में)कुल मासिक अंशदान (रुपये में)
(1)(2)(3)(4)(5)= (3)+(4)
18605555110
19605858116
20606161122
21606464128
22606868136
23607272144
24607676152
25608080160
26608585170
27609090180
28609595190
2960100100200
3060105105210
3160110110220
3260120120240
3360130130260
3460140140280
3560150150300
3660160160320
3760170170340
3860180180360
3960190190380
4060200200400

4. केन्द्र सरकार द्वारा बराबर का अंशदानः पीएम-एसवाईएम 50:50 के अनुपात आधार पर एक स्वैच्छिक तथा अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें निर्धारित आयु विशेष अंशदान लाभार्थी द्वारा किया जाएगा और तालिका के अनुसार बराबर का अंशदान केन्द्र सरकार द्वारा किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति 29 वर्ष की आयु का होता है तो उसे 60 वर्ष की आयु तक प्रति महीने 100 रुपये का अंशदान करना होगा। केन्द्र सरकार द्वारा बराबर का यानी 100 रुपये का अंशदान किया जाएगा।

5.पीएम-एसवाईएम योजना के अंतर्गत नामांकनःअभिदाता के पास मोबाइल फोन, बचत बैंक खाता तथा आधार संख्या होना अनिवार्य है। पात्र अभिदाता नजदीकी सीएससी जाकर आधार नम्बर तथा बचत बैंक खाता/जनधन खाता संख्या को स्वप्रमाणित करके पीएम-एसवाईएम के लिए नामांकन करा सकते हैं। बाद में अभिदाता को पीएम-एसवाईएम वेब पोर्टल पर जाने तथा मोबाइल ऐप डाउनलोड करने की सुविधा दी जाएगी और अभिदाता आधार संख्या /स्वप्रमाणित आधार पर बचत बैंक खाता / जनधन खाता का इस्तेमाल करते हुए अपना पंजीकरण करा सकते हैं।

6. नामांकन एजेंसियां: नामांकन कार्य सामुदायिक सेवा केन्द्रों (सीएससी) द्वारा चलाया जाएगा। असंगठित श्रमिक आधार कार्ड तथा बचत बैंक खाता, पासबुक/जनधन खाता के साथ नजदीकी सीएससी जाकर योजना के लिए अपना पंजीकरण करा सकते हैं। पहले महीने की अंशदान राशि का भुगतान नकद रूप में होगा और इसकी रसीद दी जाएगी।

7.सहायता केन्द्रः एलआईसी के सभी शाखा कार्यालयों, ईएसआईसी/ईपीएफओ के कार्यालयों तथा केन्द्र तथा राज्य सरकारों के सभी श्रम कार्यालयों द्वारा असंगठित श्रमिकों को योजना, उसके लाभों तथा प्रक्रियाओं के बारे में बताया जाएगा। इस संबंध में एलआईसी, ईएसआईसी, ईपीएफओ के सभी कार्यालयों तथा केन्द्र और राज्य सरकारों के सभी श्रम कार्यालयों द्वारा निम्नलिखित प्रबंध किए जाएंगे: 1.  एलआईसी, ईपीएफओ/ईएसआईसी के सभी कार्यालयों तथा केन्द्र तथा राज्यों के श्रम कार्यालय असंगठित श्रमिकों की सहायता के लिए सहायता केन्द्र बनाएंगे, योजना की विशेषताओं की जानकारी के बारे में निर्देशित करेंगे और श्रमिकों को नजदीकी सीएससी भेजेंगे। 2.  प्रत्येक सहायता डेस्क पर कम से कम एक कर्मचारी होगा। 3.  सहायता डेस्क मुख्य द्वार पर होगा और डेस्क के पास असंगठित मजदूरों को जानकारी देने के लिए हिन्दी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में पर्याप्त संख्या में विवरण पुस्तिका होगी।

 4.  असंगठित श्रमिक आधार कार्ड, बचत बैंक खाता/जनधन खाता तथा मोबाइल फोन के साथ सीएससी जाएंगे। 5.  सहायता डेस्क के पास श्रमिकों के बैठने की तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं होंगी। 6.  योजना के बारे में असंगठित श्रमिकों की सहायता के लिए अन्य उपाय।

8.कोष प्रबंधनः पीएम-एसवाईएम केन्द्र की योजना है, जिसका संचालन श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा किया जाएगा तथा भारतीय जीवन बीमा निगम और सीएससी के माध्यम से लागू किया जाएगा। एलआईसी पेंशन फंड मैनेजर होगी और पेंशन भुगतान के लिए उत्तरदायी होगी। पीएम-एसवाईएम पेंशन योजना के अंतर्गत एकत्रित राशि का निवेश भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट निवेश तरीकों के अनुसार किया जाएगा।

9.योजना से बाहर निकलना और वापसीः असंगठित मजदूरों के रोजगार के अनिश्चित स्वभाव को देखते हुए योजना से बाहर निकालने के प्रावधान लचीले रखे गए हैं। योजना से बाहर निकलने के प्रावधान निम्नलिखित हैं: (i)  यदि अभिदाता 10 वर्ष से कम की अवधि में योजना से बाहर निकलता है तो उसे केवल लाभार्थी के अंशदान के हिस्से को बचत बैंक ब्याज दर के साथ दिया जाएगा। (ii)  यदि अभिदाता 10 वर्षों या उससे अधिक की अवधि के बाद लेकिन 60 वर्ष की आयु होने से पहले योजना से बाहर निकलता है तो उसे लाभार्थी के अंशदान के हिस्से के साथ कोष द्वारा अर्जित संचित ब्याज के साथ या बचत बैंक ब्याज, दर जो भी अधिक हो, के साथ दिया जाएगा। (iii)  यदि लाभार्थी ने नियमित अंशदान किया है और किसी कारणवश उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसका जीवनसाथी नियमित अंशदान करके इस योजना को आगे जारी रख सकता है या कोष द्वारा अर्जित एकत्रित वास्तविक ब्याज या बचत बैंक ब्याज दर, जो भी अधिक हो, के साथ लाभार्थी का अंशदान लेकर योजना से बाहर निकल सकता है। (iv)  यदि लाभार्थी ने नियमित अंशदान किया है और 60 वर्ष की आयु से पहले किसी कारणवश से स्थायी रूप से दिव्यांग हो जाता है और योजना के अंतर्गत अंशदान करने में अक्षम होता है तो उसका जीवनसाथी नियमित अंशदान करके इस योजना को आगे जारी रख सकता है या कोष द्वारा अर्जित एकत्रित वास्तविक ब्याज या बचत बैंक ब्याज दर, जो भी अधिक हो, के साथ लाभार्थी का अंशदान प्राप्त कर योजना से बाहर निकल सकता है। (v)  अभिदाता और उसके जीवनसाथी दोनों की मृत्यु के बाद संपूर्ण राशि कोष में जमा करा दी जाएगी। (vi)  एनएसएसबी की सलाह पर सरकार द्वारा तय योजना से बाहर निकलने का कोई अन्य प्रावधान।

11. अंशदान में चूकः यदि अभिदाता ने निरंतर रूप से अपने अंशदान का भुगतान नहीं किया है तो उसे सरकार द्वारा निर्धारित दंड राशि के साथ पूरी बकाया राशि का भुगतान करके अंशदान को नियमित करने की अनुमति होगी।

12.पेंशन भुगतानः18-40 वर्ष की प्रवेश आयु पर योजना में शामिल होने से 60 वर्ष की उम्र की प्राप्ति तक लाभार्थी को अंशदान करना होगा। 60 वर्ष की उम्र की प्राप्ति पर अभिदाता को परिवार पेंशन लाभ के साथ प्रति महीने 3000 रुपये का निश्चित मासिक पेंशन प्राप्त होगा।

13.संदेह तथा स्पष्टीकरणः योजना को लेकर किसी तरह के संदेह की स्थिति में जेएस एंड डीजीएलडब्ल्यू द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण अंतिम होगा।

महिला श्रम पर सहायता अनुदान। 

मंत्रालय महिलाओं के श्रमिकों के कल्याण के लिए एक अनुदान सहायता योजना चल रहा है। छठी पंचवर्षीय योजना (1981-82) के बाद जारी किया गया है, जो इस योजना, निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए उन्हें अनुदान सहायता देकर स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से प्रशासित किया जाता है:-

कामकाजी महिलाओं के लिए, कानूनी सहायता कामकाजी महिलाओं के आयोजन और उनके अधिकारों / कर्तव्यों के बारे में उन्हें शिक्षित काना। 

महिलाओं के श्रम की समस्याओं के बारे में समाज के सामान्य चेतना को ऊपर उठाने पर निशाना सेमिनार, कार्यशालाओं, आदि। 

इस योजना के अंतर्गत स्वैच्छिक संगठनों / गैर सरकारी संगठनों के लिए अनुदान सहायता महिलाओं के श्रम के लाभ के लिए कार्रवाई उन्मुख परियोजनाओं को लेने के लिए के माध्यम से धनराशि प्रदान की जा रही हैं। महिलाओं के श्रम के लिए जागरूकता अभियान से संबंधित परियोजनाओं को इस योजना के तहत वित्त पोषित कर रहे हैं। योजना का फोकस महिलाओं के श्रम के लाभ के लिए उपलब्ध केन्द्रीय / राज्य सरकार की एजेंसियों की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी का प्रसार करने आदि न्यूनतम मजदूरी, समान पारिश्रमिक, जैसे मजदूरी के क्षेत्र में, महिलाओं के श्रम के बीच जागरूकता पीढ़ी है।

यह योजना महिला श्रमिकों की मदद करने की सरकार की नीति को आगे बढ़ाने के इरादे से शुरू की गई थी सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत उन्हें उपलब्ध अधिकारों और अवसरों के बारे में पता हो। महिलाओं के श्रम पर जागरूकता अभियान शुरू करने के लिए अनुदान सहायता उपलब्ध कराने के लिए वीओ / गैर सरकारी संगठनों के प्रस्तावों उनकी उपयुक्तता.

योजना के प्रावधानों के अनुसार, अनुदान सहायता परियोजना की कुल लागत का 75% के रूप में प्रदान की जा रही है। हालांकि, विभिन्न संस्थानों को सौंपा अध्ययनों से संबंधित परियोजनाओं को पूरा, यानी, 100% में वित्त पोषित कर रहे हैं।.

पिछले पांच वर्षों के दौरान जारी की गई राशि आवंटन / का वर्षवार विवरण नीचे दिया है:
सालनिधिव्ययगैर सरकारी संगठनों की संख्यामहिलाओं की संख्या
2007-0850.00लाख37.81 लाख 48 60000(लगभग)
2008-0950.00 लाख13.55 लाख2833774
2009-1046.00 लाख15.03 लाख2068700
2010-1175.00 लाख*13.51 लाख2129850
2011-12 68.00 लाख* 7.32 लाख 2229830

( 18.10.2011 तक) * महिला सेल और योजना इकाई के लिए संयुक्त आबंटन

कृपया गैर-सरकारी संगठनों को सहायता अनुदान के विवरण देखने के लिए यहां क्लिक करें। 

महिलाओं के श्रम 28.07.2011 को आयोजित करने के लिए यह जीआईए समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है (बैठक का कार्यवृत्त अनुबंध II में देखा जा सकता है) इस योजना के दिशा निर्देश पर & nbsp में संशोधन करने की जरूरत है।; दिशा-निर्देशों में मौजूदा और प्रस्तावित संशोधन दिखा एक तुलनात्मक विवरण अनुबंध IV में है। संशोधन का सुझाव दिया है, जहां मुख्य क्षेत्र हैं:

  • एनईआर के लिए 90% से 75% से सहायता बढ़ाना। 
  • केन्द्र / राज्य सरकार के वीओ / गैर सरकारी संगठनों / स्वयं सहायता समूहों की पात्रता मानदंड।
  • न्यूनतम संख्या के विषयों को कवर किया जाना है, जिसमें से विषयों की सूची उपलब्ध करानेr
  • प्रस्तावों आदि प्रस्तुत करने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण।

महिला एवं amp पर जीआईए योजना पर प्रस्तावित सिफारिशों का मूल्यांकन करने के लिए; बाल श्रम, पीआर कोई समझौता एक 3 सदस्यों समिति। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा के सचिव स्थापित किया गया है। 24.10.2011 को आयोजित एक बैठक में एक तीन सदस्यीय समिति का कुछ संशोधनों के साथ ऊपर की सिफारिशों पर सहमत हो गई हैं।   समिति में निम्नलिखित संशोधनों के साथ ऊपर सिफारिश स्वीकार कर लिया है :

  • 50 के नीचे पहुंचा ताकत के साथ भी महिलाओं के श्रम शिविरों के संचालन के लिए प्रावधान भी प्रदान की जानी चाहिए। तदनुसार एक दिन / दो दिन के कार्यक्रमों के लिए धन की आवश्यकता को बाहर काम किया जाना चाहिए।
  • बच्चों और महिलाओं के श्रम योजना के विभिन्न प्रावधानों पर क्षेत्रीय कार्यशाला आयोजित करने के लिए जरूरत से बाहर काम किया जा सकता। 

आम आदमी बीमा योजना

असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों देश में कुल कार्य बल का लगभग 93% का गठन। सरकार कुछ व्यावसायिक समूहों के लिए कुछ सामाजिक सुरक्षा उपायों को लागू किया गया है, लेकिन कवरेज miniscule है। श्रमिकों के बहुमत किसी भी सामाजिक सुरक्षा कवरेज के बिना भी कर रहे हैं। इन श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए केन्द्र सरकार ने संसद में एक विधेयक पेश किया है।

असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए प्रमुख असुरक्षा में से एक चिकित्सा देखभाल और ऐसे श्रमिकों के अस्पताल में भर्ती हैं और उनके परिवार के सदस्यों के लिए बीमारी और जरूरत की लगातार घटनाओं है। स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार के बावजूद, बीमारी भारत में मानव के अभाव का सबसे प्रचलित कारणों में से एक बना हुआ है। यह स्पष्ट रूप से स्वास्थ्य बीमा गरीबी के लिए अग्रणी स्वास्थ्य पर खर्च करने के जोखिम के खिलाफ गरीब परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने का एक तरीका है कि मान्यता दी गई है। हालांकि, अतीत में स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए सबसे प्रयासों डिजाइन और कार्यान्वयन दोनों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। गरीब की वजह से अपनी लागत, या कथित लाभ की कमी की वजह से स्वास्थ्य बीमा लेने के लिए असमर्थ या अनिच्छुक हैं। आयोजन और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य बीमा का प्रबंध भी मुश्किल है।

मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं, मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इन्सान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी. हर वो इन्सान जो किसी संस्था के लिए काम करता हैं और बदले में पैसे लेता हैं, वो मजदूर हैं। 

हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब इन्सान समझा जाता है, धुप में मजदूरी करने वालों को ही हम मजदूर समझते है. इसके विपरीत मजदूर समाज वह अभिन्न अंग है, जो समाज को मजबूत व् परिपक्व बनाता है, समाज को सफलता की ओर ले जाता है. मजदूर वर्ग में वे सभी लोग आते है, जो किसी संस्था या निजी तौर पर किसी के लिए काम करते है और बदले में मेहनतामा लेते है. शारीरिक व् मानसिक रूप से मेहनत करने वाला हर इन्सान मजदूर है, फिर चाहे वह ईट सीमेंट से सना इन्सान हो या एसी ऑफिस में फाइल के बोझ तले बैठा एक कर्मचारी. इन्ही सब मजदूर, श्रमिक को सम्मान देने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता है.

अन्तराष्ट्रीय मजदूर दिवस को अन्तराष्ट्रीय कर्मचारी दिवस व् मई दिवस भी कहते है. इसे पूरी दूनिया में अन्तराष्ट्रीय तौर पर मनाया जाता है, ताकि मजदूर एसोसिएशन को बढ़ावा व् प्रोत्साहित कर सके. मजदूर दिवस 1 मई को पूरी दूनिया में मनाया जाता है, यूरोप में तो इसे पारंपरिक तौर पर बसंत की छुट्टी घोषित किया गया है. दूनिया के लगभग 80 देशों में इस दिन को नेशनल हॉलिडे घोषित किया गया है, कुछ जगह तो इसे मनाने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित होते है. अमेरिका व् कनाडा में मजदूर दिवस सितम्बर महीने के पहले सोमवार को होता है. भारत में हम इसे श्रमिक दिवस भी कहते है. मजदूर को मजबूर समझना हमारी सबसे बड़ी गलती है, वह अपने खून पसीने की खाता है. ये ऐसे स्वाभिमानी लोग होते है, जो थोड़े में भी खुश रहते है एवं अपनी मेहनत व् लगन पर विश्वास रखते है. इन्हें किसी के सामने हाथ फैलाना पसंद नहीं होता है.

  • मजदूर दिवस का इतिहास –

भारत में श्रमिक दिवस को कामकाजी आदमी व् महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है।  मजदूर दिवस को पहली बार भारत में मद्रास (जो अब चेन्नई है) में 1 मई 1923 को मनाया गया था, इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ़ हिंदूस्तान ने की थी इस मौके पर पहली बार भारत में आजादी के पहले लाल झंडा का उपयोग किया गया था. इस पार्टी के लीडर सिंगारावेलु चेत्तिअर ने इस दिन को मनाने के लिए 2 जगह कार्यकर्म आयोजित किये थे. पहली मीटिंग ट्रिपलीकेन बीच में व् दूसरी मद्रास हाई कोर्ट के सामने वाले बीच में आयोजित की गई थी. सिंगारावेलु ने यहाँ भारत के सरकार के सामने दरख्वास्त रखी थी, कि 1 मई को मजदूर दिवस घोषित कर दिया जाये, साथ ही इस दिन नेशनल हॉलिडे रखा जाये. उन्होंने राजनीती पार्टियों को अहिंसावादी होने पर बल दिया था.

विश्व में मजदूर दिवस की उत्पत्ति –

1 मई 1986 में अमेरिका के सभी मजदूर संघ साथ मिलकर ये निश्चय करते है कि वे 8 घंटो से ज्यादा काम नहीं करेंगें, जिसके लिए वे हड़ताल कर लेते है. इस दौरान श्रमिक वर्ग से 10-16 घंटे काम करवाया जाता था, साथ ही उनकी सुरक्षा का भी ध्यान नहीं रखा जाता था. उस समय काम के दौरान मजदूर को कई चोटें भी आती थी, कई लोगों की तो मौत हो जाया करती थी. काम के दौरान बच्चे, महिलाएं व् पुरुष की मौत का अनुपात बढ़ता ही जा रहा था, जिस वजह से ये जरुरी हो गया था, कि सभी लोग अपने अधिकारों के हनन को रोकने के लिए सामने आयें और एक आवाज में विरोध प्रदर्शन करें.

इस हड़ताल के दौरान 4 मई को शिकागो के हेमार्केट में अचानक किसी आदमी के द्वारा बम ब्लास्ट कर दिया जाता है, जिसके बाद वहां मौजूद पुलिस अंधाधुंध गोली चलाने लगती है. जिससे बहुत से मजदूर व् आम आदमी की मौत हो जाती है।  इसके साथ ही 100 से ज्यादा लोग घायल हो जाते है. इस विरोध का अमेरिका में तुरंत परिणाम नहीं मिला, लेकिन कर्मचारियों व् समाजसेवियों की मदद के फलस्वरूप कुछ समय बाद भारत व अन्य देशों में 8 घंटे वाली काम की पद्धति को अपनाया जाने लगा. तब से श्रमिक दिवस को पुरे विश्व में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाने लगा, इस दिन मजदूर वर्ग तरह तरह की रेलियां निकालते व् प्रदर्शन करते है.

भारत में मजदूर दिवस समारोह-

श्रमिक दिवस को ना सिर्फ भारत में बल्कि पुरे विश्व में एक विरोध के रूप में मनाया जाता है. ऐसा तब होता है जब कामकाजी पुरुष व् महिला अपने अधिकारों व् हित की रक्षा के लिए सड़क पर उतरकर जुलुस निकालते है. विभिन्न श्रम संगठन व् ट्रेड यूनियन अपने अपने लोगों के साथ जुलुस, रेली व् परेड निकालते है. जुलुस के अलावा बच्चों के लिए तरह तरह की प्रतियोगितायें होती है, जिससे वे इसमें आगे बढ़कर हिस्सा लें और एकजुटता के सही मतलब को समझ पायें. इस तरह बच्चे एकता की ताकत जो श्रमिक दिवस मनाने का सही मतलब है, समझ सकते है.  इस दिन सभी न्यूज़ चैनल, रेडियो व् सोशल नेटवर्किंग साईट पर हैप्पी लेबर डे के मेसेज दिखाए जाते है, कर्मचारी एक दूसरे को ये मेसेज सेंड कर विश भी करते है. ऐसा करने से श्रमिक दिवस के प्रति लोगों की सामाजिक जागरूकता भी बढ़ती है.

इन सबके अलावा अलग अलग राजनीती पार्टियों के नेता जनता के सामने भाषण देते है, अगले चुनाव में जीतने के लिए ऐसे मौकों का वे सब भरपूर फायदा उठाते है. 1960 में बम्बई को भाषा के आधार पर 2 हिस्सों में विभाजित कर दिया गया था, जिससे गुजरात व् महाराष्ट्र को इसी दिन (1 मई) स्वतंत्र राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था. इसलिए मई दिवस के दिन महाराष्ट्र दिवस व् गुजरात दिवस के रूप में क्रमशः महाराष्ट्र व् गुजरात में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. श्रमिक दिवस एक ऐसा अवसर है, जब दूनिया के सभी लोग मजदूर वर्ग की सच्ची भावना को समझ कर उसका जश्न मनाते है. यह एक ऐसा दिन है जब सभी श्रमिक को एक साथ सबके सामने अपनी ताकत, एकजुटता दिखाने का मौका मिलता है, जो ये दर्शाता है कि श्रमिक वर्ग अपने अधिकारों के लिए कितने प्रभावी ढंग से सकरात्मक रूप में संघर्ष कर सकता है.

यह मेरी भावना है उन लोगों के प्रति जो सेवक को गुलाम समझते है, उनका हक़ मारते है साथ ही उनका शोषण करते है. मजदूर तुच्छ नहीं है, मजदूर समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई है.

भारत में 2023 में मजदूर दिवस कब मनाया जायेगा? 

हर साल की तरह इस साल भी 1 मई को मजदूर दिवस (Labour Day) के तौर पर मनाया जायेगा और इस दिन सभी का अन्तराष्ट्रीय अवकाश होता हैं .

मजदूर दिवस के दिन स्कूलों में क्या किया जाता है ?

वैसे तो मजदूर दिवस यानि 1 मई को लगभग सभी कंपनियों एंव विभागों में छुट्टी होती है लेकिन स्कुल में इसका ख़ास महत्व है. इस दिन स्कूलों में बच्चे मजदूरों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं. वह अनेक तरह के नाटक पेश करते हैं. इतना ही नहीं स्कुल के प्रधानाचार्य अपने सह शिक्षकों को सम्मानित करते हैं. कुछ बच्चे मजदूर दिवस पर भाषण भी लिखते है और मंच पर उसका पाठन भी करते हैं. कुल-मिलाकर स्कुल में मजदूरों के प्रति सम्मान और उनके हक़ के प्रति बच्चों को जागरूक किया जाता है। 

मजदूर दिवस पर शायरी

  • मैं मजदूर हूँ मजबूर नहीं यह कहने मैं मुझे शर्म नहींअपने पसीने की खाता हूँ मैं मिट्टी को सोना बनाता हूँ
  • हर कोई यहाँ मजदूर हैं चाहे पहने सूट बूट या मैलामेहनत करके कमाता हैंकोई सैकड़ा कोई  देहलाहर कोई मजदूर ही कहलाता हैंचाहे अनपढ़ या पढ़ा लिखा
  • जिसके कंधो पर बोझ बढ़ा वो भारत माँ का बेटा कौनजिसने पसीने से भूमि को सींचावो भारत माँ का बेटा कौनवह किसी का गुलाम नहींअपने दम पर जीता हैंसफलता का एक कण ही सहीलेकिन हैं अनमोल जो मजदूर कहलाता हैं..
    • हर इमारत की नींव हैं अमीरों की तक़दीर हैंखून पसीना बहाकर अपनापूरा करते वो अमीरों का सपनादो वक्त की उसे मिले ना मिलेपर उसी के हाथो करोड़ो की तक़दीर लिखेमाना उसकी किस्मत हैंअभी नहीं हैं एशो आराम

      पर उसको ना भुलाना तुम

      ना बनाना बैगाना तुम

      देना उसे उसका हक़

      मजदूर हैं वह मेहनती शख्स

    • मेहनत उसकी लाठी हैं मजबूती उसकी काठी हैंबुलंदी नहीं पर नीव हैंयही मजदूरी जीव हैं.
    • सफलता के मार्ग में योगदान अनमोल हैं चाहे हो मालिक या कोई नौकरकोई ईकाई तुच्छ नहींसबका अपना मान हैंकहने को एक छोटा लेबर ही सहीपर उसी को रास्ते का ज्ञान हैंघमंड ना करना इस ऊंचाई का कभीतेरे कंधो पर इनके पसीने का भार हैं
    • मजदूर ऊँचाई की नींव हैं गहराई में हैं पर अंधकार में क्यूँउसे तुच्छ ना समझानावो देश का गुरुर हैं
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