अंतर्राष्ट्रीय प्रेस पत्रकारिता की स्वतंत्रता अब खतरे में – अब गुलाम बनते पत्रकार और बंदिश में पत्रकारिता 

विश्वभर में हर साल तीन मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।  यह दिवस मीडिया की आजादी पर हमलों से मीडिया की रक्षा करने तथा मरने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का कार्य करता है। 

विश्वभर में हर साल तीन मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।  यह दिवस मीडिया की आजादी पर हमलों से मीडिया की रक्षा करने तथा मरने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का कार्य करता है। 

अंतर्राष्ट्रीय प्रेस पत्रकारिता की स्वतंत्रता अब खतरे में – अब गुलाम बनते पत्रकार और बंदिश में पत्रकारिता 

एस. ज़ेड. मलिक 

अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष ३ मई को मनाया जाता है। वर्ष 1991 में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र के ‘जन सूचना विभाग’ ने मिलकर इसे मनाने का निर्णय किया था।संयुक्त राष्ट्र महासभा’ ने भी ‘3 मई’ को ‘अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस’  की घोषणा की थी। परन्तु आज दुर्भाग्य कहें या विडंबना की आज पत्रकार को गुलाम बनाया जा रहा है और पत्रकारिता पर बंदिशें लगाई जा रही है। कहा जाता है कीदूसरे विश्व युद्ध दौरान लेखकों और पत्रकारों ने अपने जान पर खेल कर आम जनता से ले कर देश को अपने लेखन से पल पल की जानकारी मुहैया करा रहे थे।  इसके बाद पत्रकार धीरे धीरे पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना क़दम मज़बूती से जमाने लगे वह भी निस्वार्थ उसमे पत्रकारों को अपनी अच्छी से अच्छी रिपोर्ट तैयार कर के लोगों तक पहुंचाने में अपना धर्म एवं शान समझते थे तब उनकी कमाई नाम और इनाम हुया करता था और पत्र्कारिता ने धीरे धीरे संवैधानिक रूप लेते हुए लोक लोकतंत्र का एक स्वतंत्र मज़बूत पिलर यानी लोकतंत्र का चौथा स्थंभ बन गया। 

समय अपनी रफ्तार से चलता रहा नई नस्लें आते गई पत्रकारिता स्वरूप बदलते गया क़लम से रेडियों और रेडिओ से टीवी और टीवी से सोशल मीडिया और आप पत्रकारों की मार्केट और मार्किट में बिकती पत्रकारिता और दुकानदार पत्रकार और उनके खरीदार सत्तारूढ़ नेता बड़े दलाल इनके बीच सत्यवान लेखकों टूटता विश्वास और सिमटता स्तीत्व ऐसे कहां है सच्चाई लिखने वालों को स्वतंत्रता। बहरहाल – सोशल मीडिया के जमाने से पहले प्रेस ही वह माध्यम था, जो देश और दुनिया में चल रहे मुद्दों और खबरों को हम तक पहुंचाता था। प्रेस और मीडिया एक खबर वाहक का काम करती हैं। हम आज प्रेस की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस है।

प्रेस एक समाज का दर्पण होता है, जो यह दर्शाता है कि देश में अभिव्यक्ति को कितनी स्वतंत्रता प्रदान की गई है। एक लोकतांत्रिक देश जैसे, भारत के परिवेश में प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक आवश्यकता है। मीडिया और प्रेस समाज या देश में हो रही घटनाओं की जानकारी हम तक पहुंचाते हैं। जिससे हम दुनिया से जुड़े रहते हैं और यह जानकारी जितनी स्वतंत्र रूप से प्रस्तुत की जाएगी उतना ही हम सच्चाई की तह तक पहुंचेंगे।

newspapers with metal chain, Freedom of the press
अब थोड़ा इसके इतिहास में जाते हैं। 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्त्व के प्रति जागरूकता फैलाना है।  प्रेस की आजादी और समाचारों को लोगों तक पहुंचाकर, सशक्त हो रहे मीडियाकर्मियों का व्यापक विकास करना इसका उद्देश्य है। 

विश्वभर में हर साल तीन मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।  यह दिवस मीडिया की आजादी पर हमलों से मीडिया की रक्षा करने तथा मरने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का कार्य करता है।  मीडिया की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। 

गौरतलब है कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है।  हर साल यह दिवस किसी थीम यानी विषय पर आधारित होता है और इस साल की विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का विषय है- सूचना से जनकल्याण, जो जनहित कार्यों में सूचना के महत्व को दर्शाता है। आर एस एफ यानी कि रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स पेरिस में स्थित है। यह 180 देशों में मीडिया स्वतंत्रता के स्तर का मूल्यांकन करता है और प्रतिवर्ष एक विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक डब्ल्यू पी एफ आई प्रकाशित करता है। सूचकांक में मापदंडों पर स्कोर की गणना की जाती है – बहुलवाद, मीडिया की स्वतंत्रता, मीडिया पर्यावरण और आत्म सेंसरशिप, विधायी ढांचा, पारदर्शिता और बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता जो समाचार और सूचना के उत्पादन का समर्थन करती है।वइसमें पत्रकारों के खिलाफ दुर्व्यवहार और हिंसा के कार्य का मात्रात्मक डाटा भी ध्यान में रखा जाता है।

उद्देश्य: विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्त्व के प्रति जागरूकता फैलाना है।  प्रेस की आजादी और समाचारों को लोगों तक पहुंचाकर, सशक्त हो रहे मीडियाकर्मियों का व्यापक विकास करना इसका उद्देश्य है। 

मीडिया की आज़ादी का मतलब है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी राय कायम करने और सार्वजनिक तौर पर इसे जाहिर करने का अधिकार है. इसका आयोजन संयुक्त रूप से फ्रांस, ग्रीस और लिथुआनिया के स्थायी मिशन द्वारा किया जाता है। 

विश्व स्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया, जिसे विश्व प्रेस दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 

यूनेस्को द्वारा वर्ष 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज भी दिया जाता है।  यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्थान को दिया जाता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो। 

भारत जैसे विकासशील देशों में मीडिया पर जातिवाद और सम्‍प्रदायवाद जैसे संकुचित विचारों के ख़िलाफ़ संघर्ष करने और ग़रीबी तथा अन्‍य सामाजिक बुराइयों के ख़िलाफ़ लड़ाई में लोगों की सहायता करने की बहुत बड़ी जिम्‍मेदारी है. लोगों का एक बहुत बड़ा वर्ग पिछड़ा और अनभिज्ञ है, इसलिये यह और भी ज़रूरी है कि आधुनिक विचार उन तक पहुंचाए जाएं और उनका पिछड़ापन दूर किया जाए, ताकि वे सजग भारत का हिस्‍सा बन सकें। 

अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य प्रेस यानी मीडिया की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है।  साथ ही यह दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात भी करता है. यह दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

भारतीय संविधान में भी अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मूल अधिकार के रूप में देने का प्रावधान है। विश्व स्तर पर भी इस स्वतंत्रता का महत्व उतना ही है यानि विश्व स्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा द्वारा प्रतिवर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज भी दिया जाता है। व्यक्ति अथवा संस्थान जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो, उसे इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र के जन सूचना विभाग में 1991 में इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया, जो मीडिया की आजादी के और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उद्देश्य से मनाया जाना था। यहां पर मीडिया की आजादी का मतलब है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी राय कायम करने और सार्वजनिक तौर पर इसे जाहिर करने का अधिकार है।

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