मातम और आँसुओं के बीच डूबा कंसुआ का कण कण ।।
दुनिया में आए तो जाना ही है मगर एक है जवानी में अचानक से जाना, और एक है जीवाजी से बुढापा देख कर अपनी पूरी उम्र गुज़र के दुनियाँ ए सराय फानी को छोड़ कर जाना ।
मातम और आँसुओं के बीच डूबा कंसुआ का कण कण ।।
विशेष संवादाता
क्रांतिकारीओं व स्वतंत्रता सेनानियों की धरती आजादी के महानायक प्रोफेसर अब्दुल बारी साहब का पैतृक गांव “कंसुआ” जिसे स्थानीय मलिक बिरादरी में उस गाँव को इलाहाबाद भी कहा जाता वहीं जन्म लिए एक शिक्षक जिन्होंने शिक्षा की मंदिर में अपनी शिक्षा को दान करने वाले शिक्षा जगत में शिक्षक के रूप में अपनी कुशल पहचान बनाने वाले (मोहम्मद फारुख मलिक) उर्फ एमएफ मलिक अब हम लोग के बीच नहीं रहे,, वह 55 वर्ष के थे।
क्रांतिकारी की धरती कंसुआ ने आज फिर एक महान हस्ती खोया,,
कहने को तो गुल हुआ फकत एक ही चिराग सच पूछिए तो बजमें की रौनक चली गई, आज जहानाबाद जिला रतनी फरीदपुर प्रखंड जंगे आजादी के कद्दावर नेता प्रोफेसर अब्दुल बारी साहेब की धरती कंसुआ ने आज फिर एक महान हस्ती को खोया, खैर मौत तो सबको आनी है, मौत से कब किसको रुस्तगारी है, आज हमारी तो कल तुम्हारी बारी है।। दुनिया में आए तो जाना ही है मगर एक है जवानी में अचानक से जाना, और एक है जीवाजी से बुढापा देख कर अपनी पूरी उम्र गुज़र के दुनियाँ ए सराय फानी को छोड़ कर जाना। कंसुआ का उनका एक छात्र विलाप करते हुए यह कह रहा था कि “ऐसे भी कोई जाता है क्या (सर) आप बिना बताए हम लोग को छोड़ कर चलेगए, आप की आसामायिक निधन यकीन नहीं हो रहा है, सर आप तो व्यक्तित्व के धनी थे जो आप अपने शब्दों की महक और गर्जना से लोगों के दिलो को शराबोर और करते थे, मगर आज आप हमारे बीच से चले गए”।
बड़े गौर से सुन रहा था ज़माना और तुम्ही सो गए दास्तान कहते कहते।।
अल्लाह पाक आपकी मग फिरत फरमाए जन्नतुल फिरदोस में आला मुकाम अता करें,,,अमीन,🤲🤲🤲🤲🤲
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