खुसरू फाउंडेशन द्वारा मुसलमान , हिन्दू धर्म और हिंदुस्तानियत – पर राष्ट्रीय सेमिनार

देश में सौहारसपूर्ण एव सद्भवनापूर्ण माहौल तैयार करने के लिये समाज के ठेकेदारों को नई नस्लों के बच्चों के बीच कम से कम15 वर्षों तक यह 5 गुण समझाना होगा पहला -सत्यता, दूसरा - शांति, तीसरा- अहिंसा, चौथा - धर्मनिर्पेक्षता, पांचवां - प्रेम, यदि यह पांचों गुण हम बच्चों में देने में कामयाब हुए तो फिर से हमारे हिंदुस्तान में हिंदुस्तानियत लौट आएगी - श्री राजपूत

देश में सौहारसपूर्ण एव सद्भवनापूर्ण माहौल तैयार करने के लिये समाज के ठेकेदारों को नई नस्लों के बच्चों के बीच कम से कम15 वर्षों तक यह 5 गुण समझाना होगा पहला -सत्यता, दूसरा – शांति, तीसरा- अहिंसा, चौथा – धर्मनिर्पेक्षता, पांचवां – प्रेम, यदि यह पांचों गुण हम बच्चों में देने में कामयाब हुए तो फिर से हमारे हिंदुस्तान में हिंदुस्तानियत लौट आएगी।

खुसरू फाउंडेशन द्वारा मुसलमान , हिन्दू धर्म और हिंदुस्तानियत – पर राष्ट्रीय सेमिनार

एस. ज़ेड.मलिक
नई दिल्ली – देश में बढ़ता, भृष्टाचार, अराजकता दुष्कर्म, हत्या, बेरोजगारी महंगाई के साथ साथ विशेष समुदाय के प्रति असहिष्णुता और नफरत के माहौल को मुद्देनजर देश के जाने माने सर्वोसमाज के बुद्धिजीवीओ, विचारक, लेखक, साहित्यकार, वरिष्ठ पत्रकार, वरिष्ठ समाजसेवियों को एक मंच पर बुला कर देश मे आपसी नफरतों को मिटाने और सद्भवना कैसे बहाल हो, इस मुद्दे पर गहन विचार मंथन किया गया। यह खुसरू फाउंडेशन की ओर से फाउंडेशन चेयरमैन जनाब प्रो0 डॉ0 अख्तरुल वासे द्वारा एक छोटे से प्रयास साथ यह पहल की गई।
 इस अवसर पर सेमिनार के उद्घाटन समारोह के प्रथम सत्र में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन नई दिल्ली के महा-निर्देशक प्रो0 डॉ0 संजय द्वेदी ने अपने उद्घाटन स्वागत व्यख्यान में कहा ” हमे असहिष्णुता और नफरत के माहौल को समाप्त करने के लिये हमें समाज के बीच जा कर उनके दुख दर्द में शामिल होना होगा तथा हर खुशी हर दुख-दर्द एवं हर त्योहार में एक दूसरे को शामिल होना पड़ेगा तभी फिर से हम 70 के दशक वाली खुशियां भारत मे ला सकेंगे – यही हमारी हिंदुस्तानियत होगी।
वहीं मुम्बई से आमंत्रित वरिष्ठ पत्रकार शमीम तारिक़ ने अपने व्याख्यान में समाज की चुप्पी की आलोचना करते हुए कहा हमे हर पहलू पर संगठित होन की आवश्यकता है। वहीं उस्थित मंच की अध्यक्षता कर रहे मिजोरम के डीजीपी – आईपीएस श्री अजय चौधरी ने हिंदुस्तान के बड़े सूफी संतों के कृत्यों की चर्चा करते हुए सभी के दोहे और कविता सार की पंक्तियों का विश्लेषण करते हुए कहा उनके युग में भी द्वेष दुर्भावना रहा परन्तु समय अधिकतर लोग जोड़ने पर विश्वास किया करते थे, और उसी के तहत एक दूसरे के दुख दर्द में अपना समय दिया करते थे आज भी उसी की आवश्यकता है तभी हम हिंदुस्तानियत को बचा पायेंगे। 
प्रथम सत्र के अंत मे खुसरू फाउंडेशन के निर्देशक एवं इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर के अध्यक्ष श्री सिरज कुरैशी में धन्यवाद वक्तव्य प्रस्तूत किया। तथा मंच संचालन श्री साक़ीब सलीम ने किया
प्रथम सत्र में सभा को संबोधीत करने वालों में मुख्य सभाध्यक्ष पूर्व निर्देशक एनसीआरटी, एवं पूर्व चेयरमैन एनसीटीआई के डॉ0 जे0 एस0 राजपूत ने अपने वक्तव्य में कहा कि खुसरू फाउंडेशन के लिये चुनौती यह है कि भारत के बिगड़ते माहौल को कैसे सम्भालें फिर से भारत मे सभ्य सांस्कृतिक कैसे तैयार किया जाए उन्होंने अपने बचपन के दिनों को एवं अपने नौकरी के दिनों को स्मरण करते हुए अपने अनुभव प्रस्तूत करते हुये कहा की बदलाव लाने के लिये सैयम, सहानुभूति के साथ समय और धन व्यावस्था तीनो ही संयोगने होंगे , इसके लिये गाँव कस्बों स्कूल, कॉलेज संस्थानों में जा कर युवाओं के साथ 5 व्यक्तित्व वाले गुणों को समझाना होगा जिसे उन पर प्रभाव पड़े और उनमें बदलाव की भावना उतपन्न हो जिस दिन बच्चों के अंदर यह बदलाव आ गया उस दिन देश मे फिर से जो हम चाहते हैं सद्भावनपुर्न माहौल देश मे बने वह बन जायेगा पहला -सत्यता, दूसरा – शांति, तीसरा- अहिंसा, चौथा – धर्मनिर्पेक्षता, पांचवां – प्रेम, यदि यह पांचों गुण हम बच्चों में देने में कामयाब हुए तो फिर से हमारे हिंदुस्तान में हिंदुस्तानियत लौट आएगी।
वहीं जामियाँ मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के इस्लामिक स्टडी के अध्यक्ष प्रो0 डॉ0 इख़्तेदार मोहम्मद खान ने इस्लामियत के हवाले से आपसी सौहार्द भाईचारा बढाने पर बल दिया। वहीं जामियाँ के इस्लामिक स्टडी के सहायक प्रो0 डॉ0 मुफ़्ती मोहम्मद मुस्ताक तेजारती ने इस्लाम के हवाले से आपसी रिश्ते और वतन परस्ती पर बल देते हुए कहा हमारी हिंदुस्तानियत इसी में है कि हम दूसरे धर्म का सम्मान करें।
वहीं प्रयागराज से आमंत्रित उर्दू भाषा पर पकड़ रखने वाले अजय मालवीया जिन्होंने उर्दू में रामायण और अनेकों हिन्दू धर्म ग्रन्थे लिखी है उन्होंने उर्दू में रामचरित्रमानस का संक्षेपत उर्दू भाषा मे पढ़ कर सुनाते हुए अन्त मे कहा एक हिन्दू द्वारा उर्दू में रामचरित्रमानस लिखने वाले ही हिन्दुस्तानीय का सुबूत है। 
वही उपस्थित पटना से आमंत्रित वरिष्ठ पत्रकार कल्मनिस्ट सफदर इमाम क़ादरी, जामा मिलिया के पूर्व फारसी विभाग अध्यक्ष प्रो0 इक़बाल, एवं उर्दू के प्रो0 खालिद मुबसशिर सभाध्यक्ष, एवं एनसीपीयूएल भारत सरकार के सम्पादक हक़्क़ानी कासमी, ने अपने लिखित अपने विचार लेख पढ़ कर सुनाया।
यह पहला सत्र 11:30, से 1:30 बजे दुपहरी तक चला उसके बाद दोपहरी का खाना उसके बाद 3 बजे अपराह्न से दुसरा सत्र आरम्भ हुआ और शाम के 6 बजे तक चला इस सत्र में गालिब अकैडमी के अध्यक्ष डॉ0 जी आर कंवल, जिन्होंने ने सभाध्यक्ष की ज़िम्मेदारी निभाई तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व उर्दू के विभागीय अध्यक्ष प्रो0 इब्ने कंवल ने अपने व्याख्यान दिए।
वहीं एनसीपीयूएल के पूर्व उपाध्यक्ष एवं साहित्य अकादमी से पुरुस्कृत उर्दू के प्रसिद्ध वरिष्ठ कवि  श्री  हन्द्रभान ख्याल , उर्दू के कन्वीनर श्री शीन, काफ निज़ाम, दिल्ली के प्रसिद्ध उर्दू शायर व अदीब एवं पत्रकार श्री फारूक अर्दली जिन्होंने अपनी एक पुस्तक का विमोचन भी कराया, वरिष्ठ पत्रकार कल्मनिस्ट श्री जफर दारक कासमी तथा जामा मिलिया के ए जे के मासकोमनिकेशन रिसर्च सेंटर नई दिल्ली के प्रोडक्शन स्टंट श्री कामरान वासे ने हिंदी में लिखित अपने विचार व्याख्यान पढ़कर सभा को अपने विचारों से अवगत कराया।  
 परन्तु सवाल यह है कि समाज को सुधारने और फिर से समाज मे शांति व्यावस्था स्थापित करने के लिये क्या इसी प्रकार किसी हाल के बन्द कमरे ने चर्चा करेंगे और 250/-₹ प्लेट वाला खाना खाएंगे और अपने अपने घर जा सो जाएंगे और अपने अपने दिनाचार्या ने व्यस्त हो जायेंगे, और हो सकता है कि यदि फाउंडेशन का 12A, 80G होगा तो इस सेमिनार के बदले कुछ सरकार से डोनेशन मिल जाये या न भी मिले नाम का ही का प्रचार हो जाये जिससे दूसरी सरकारी एजेंसियों से कुछ लाभमिल जाये, फिर धाक के तीन पात – समाज को क्या लाभ मिला?
  यह यह लोग बड़े पायदानों पर खड़े हो कर अपने आपको समाज का ठेकेदार कहने वाले क्या समाज के बीच गली मोहल्ले , कस्बों झुग्गियों झोपड़ियों में जा जा कर युवाओं को यह सीख देंगे? ऐसा क़तई नहीं हो सकता जब कि यह बड़े लोग हम जैसे पत्रकारों को अपनी सभा से दूर रखने पूरी कोशिश करते है। तो फिर यह गली कुंची में कहां जायेंगे।  इसलिये की स्वयं ही इतने सहमे हुए हैं कि यह चाह कर भी अपनी आवाज़ सरकार के नीतियों विरुद्ध नहीं निकाल सकते प्रो0 वासे को छोड़ कर। यह सब खेला है।

Comments are closed.