दिल्ली एलजी साहब की आम आदमी पार्टी की सरकार चलेने नहीं दूंगा – केजरीवाल का आरोप

अगर चुनी हुई सरकार की कोई पावर ही नहीं, तो क्या आजादी की लड़ाई इसलिए लड़ी गई थी कि वायसराय जाएगा और एलजी आएगा- अरविंद केजरीवाल

अगर चुनी हुई सरकार की कोई पावर ही नहीं, तो क्या आजादी की लड़ाई इसलिए लड़ी गई थी कि वायसराय जाएगा और एलजी आएगा- अरविंद केजरीवाल

दिल्ली एलजी साहब की आम आदमी पार्टी की सरकार चलेने नहीं दूंगा – केजरीवाल का आरोप

एलजी साहब ने चौकाने वाली बात कही कि बीजेपी की एमसीडी में 20 सीट भी नहीं आ रही थी, मेरी वजह से 104 सीट आईं, लोकसभा चुनाव में सातों सीट बीजेपी की आएगी और तुम्हें विधानसभा चुनाव नहीं जीतने दूंगा, एलजी दिल्ली को ठप कर ‘‘आप’’ को बदनाम करने आए हैं-

सीएम अरविंद  केजरीवाल

नई दिल्ली  – 17 जनवरी, 2023 – दिल्ली विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारे लिए जनतंत्र, संविधान और कानून सर्वोपरि हैं। एलजी साहब को भी इसका सम्मान करना चाहिए। हो सकता है, कल केंद्र में हमारी सरकार व दिल्ली में हमारा एलजी हो और यहां ‘आप’, कांग्रेस या भाजपा की सरकार हो, तो हमारा एलजी इस तरह तंग नहीं करेगा। मैंने जितनी अच्छी शिक्षा अपने बच्चों को दी, उतनी ही अच्छी शिक्षा मैं दिल्ली के हर बच्चे को देना चाहता हूं। गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा से रोकने की मानसिकता सामंतवादी सोच की वजह से है। इसी कारण हमारा देश पीछे रह गया। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं पिछले दिनों एलजी से मिलने गया था। मैंने संविधान, कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिखाकर उनसे पूछा कि इसमें कहां लिखा है कि एलजी को चुने हुए मुख्यमंत्री के काम रोकने का अधिकार है तो एलजी साहब ने कहा कि मैं प्रशासक हूं। मुझे राष्ट्रपति ने भेजा है। मैं कुछ भी कर सकता हूं। एलजी साहब ने एक चौकाने वाली बात कही कि बीजेपी की एमसीडी में 20 सीट भी नहीं आ रही थी, मेरी वजह से 104 सीट आईं। लोकसभा चुनाव में सातों सीट बीजेपी की आएगी और तुम्हें विधानसभा चुनाव नहीं जीतने दूंगा। एलजी दिल्ली को ठप कर ‘‘आप’’ को बदनाम करने आए हैं। इससे पहले, विधायक आतिशी ने सदन में फिनलैंड में शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए न भेजने के खिलाफ ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया और सौरभ भारद्वाज ने प्रस्ताव रखा, जिसे ध्वनि मत से पास कर दिया गया।
दिल्ली विधानसभा में सदन को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं आज बड़े दुख और भारी मन के साथ अपनी बातें रख रहा हूं। मुझे इस बात का दुख है कि भारतीय जनता पार्टी के मेरे साथी सदन में माजूद नहीं हैं। यह बेहद गंभीर विषय है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश में चर्चा हो रही है कि किसी भी राज्य या देश के अंदर जनता द्वारा चुनी हुई सरकार की चलनी चाहिए या किसी एक व्यक्ति विशेष की चलनी चाहिए। यह बेहद गंभीर विषय है। पिछले दिनों कई सारे मुद्दे उठे और उन पर चर्चा हुई। इसके उपर मैं तीन-चार दिन पहले एलजी साहब से भी मिलने गया था। मेरी एलजी साहब से जो बातचीत हुई, उसे मैं इस सदन के सामने विस्तार से सभी विधायकों के सामने रखना चाहूंगा। मेरी इच्छा थी कि भाजपा के भी साथी यहां होते और वे भी मेरी बात सुनते, ताकि इस चर्चा को एक ठोस रूप दिया जा सकता। समय बड़ा बलवान होता है। इस दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं है। कोई अगर सोचे कि मेरी सरकार बन गई है और हमेशा मेरी ही सरकार रहेगी, तो ऐसा नहीं होने वाला है। आज मेरी सरकार है, कल हमारी सरकार नहीं होगी। हमारी सरकार 5 साल है, 10 साल है, 15 साल है, 20 साल है, लेकिन कभी न कभी तो बदलेगी। आज उनकी सरकार है, लेकिन हमेशा उनकी सरकार नहीं होगी। एक दिन बदलेगी ही। आज दिल्ली में हमारी सरकार है और उनके एलजी हैं। केंद्र में उनकी सरकार है। कल अगर भगवान ने चाहा, ऐसा भी हो सकता है कि केंद्र में हमारी सरकार हो, दिल्ली में हमारे एलजी हों और हो सकता है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस या भाजपा की सरकार हो। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उस समय हमारा एलजी इस तरह से तंग नहीं करेगा। हम चुनी हुई सरकार की इज्जत करते हैं, जनता की इज्जत करते हैं, जनता के वोट की इज्जत करते हैं। जनतंत्र और संविधान की इज्जत करते हैं।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में दो करोड़ लोग रहते हैं। मैंने हमेशा कहा है कि दो करोड़ लोग हम एक परिवार हैं। मैंने हमेशा इसको एक परिवार माना है। इस परिवार में लोगों के जब भी कोई सुख-दुख होते हैं, हम हमेशा सुख-दुख में काम आते हैं। इन दो करोड़ लोगों में जो बच्चे हैं, वो मेरे भी बच्चे हैं। मैं उनको हर्षिता और पुलकित से अलग नहीं समझता हूं। उनको मैं अपना बच्चा समझता हूं। मैं जितनी अच्छी शिक्षा हर्षिता और पुलकित को दी है, उतनी अच्छी शिक्षा मैं दिल्ली के एक-एक बच्चे को देना चाहता हूं। उसी मकसद से हम लोगों ने शिक्षा के उपर इतना बल दिया है। क्योंकि हमें लगता है कि अगर हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे दी, तो बच्चों का भविष्य बनेगा और बच्चों का भविष्य बनेगा, तो देश का भविष्य बनेगा। उसी को मद्देनजर रखते हुए हमने शिक्षा पर इतना खर्चा किया, इतने अच्छे-अच्छे शानदार स्कूल बनाए। आज सरकारी स्कूलों के नतीजे बहुत अच्छे आ रहे हैं। लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों ने निकाल कर सरकारी स्कूलों में भर्ती करा रहे हैं। शायद आजादी के 75 साल के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। इसमें सबसे बड़ा योगदान हमारे टीचर्स और प्रिंसिपल का है। टीचर्स और प्रिंसिपल को प्रेरित करने और क्षमता बढ़ाने के लिए हमने पूरी दुनिया में अच्छी से अच्छी ट्रेनिंग दिलवाई है। हमने बहुत सारे टीचर्स को विदेश, आईआईएम और अलग-अलग यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग करने के लिए भेजा। हम अभी तक एक हजार से अधिक टीचर्स को ट्रेनिंग करा चुके हैं। अब 30 टीचर्स और प्रिंसिपल को ट्रेनिंग करने के लिए फिनलैंड जाना था। वैसे तो हमारी चुनी हुई सरकार है। 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं दिल्ली का मुख्यमंत्री हूं और मनीष सिसोदिया शिक्षा मंत्री हैं। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने कहा कि टीचर्स ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड जाएंगे, तो यह अंतिम होना चाहिए। यही तो जनतंत्र है। अगर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने कह दिया कि मैं अपने टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजना चाहता हूं, तो यहीं बात खत्म हो जानी चाहिए। लेकिन यहां अजीब जनतंत्र है। सारी फाइलें एलजी साहब के पास जाती हैं। एलजी साहब ने एक बार नहीं, बल्कि फाइल के उपर दो बार आपत्ति लगाकर भेजा है। एलजी साहब कह रहे हैं कि मैंने मना नहीं किया है। जब उन्होंने दो बार आपत्ति लगाई है, तो तीसरी बार भी फाइल भेजने पर आपत्ति लगाएंगे। इसका मतलब है कि आपकी नीयत खराब है। आप सरकारी दफ्तर में लाइसेंस बनवाने जाते हैं, तो उसे बनाने वाला मना नहीं करता है, बल्कि उस पर आपत्ति लगा देता है। फिर आप दलाल को पकड़ते हैं और वो दलाल कहता है कि पैसे दे दो। ये बार-बार आपत्ति इसीलिए तो लगाए जा रहे हैं कि उनकी नीयत खराब है। वो टीचर्स को फिनलैंड नहीं भेजने देना चाहते हैं। भाजपा वालों के बहुत सारे एमपी हैं, जो विदेश में पढ़कर आए हैं। कभी इनके मां-बाप ने कास्ट बेनिफिट एनॉलिसिस की। इनके कितने ऐसे एमएलए हैं, तो खुद विदेश में पढ़कर आए। भाजपा वालों के कई सारे कैबिनेट मंत्री हैं, जिनके बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं। मुझे इनके विदेश में पढ़ने से ऐतराज नहीं है। मैं किसी की शिक्षा के खिलाफ नहीं हूूं। भगवान ने जिसको जिंदगी में अच्छा दिया है, वो अपने बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजे। सबके बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। मैं इसके विरोध में नहीं हूं कि भाजपा वालों ने अपने बच्चों को विदेश में क्यों भेजा, बल्कि मैं इसके विरोध में हूं कि अगर तुम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हो, तो गरीबों के बच्चों की अच्छी शिक्षा के खिलाफ क्यों हो? अगर हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, तो तुम रोकने वाले कौन होते हो। कई सौ साल पुरानी हमारे देश में यह जो सामंती मानसिकता है कि गरीबों या इस जाति के लोगों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलनी चाहिए। शिक्षा इन

ठेकेदारों की बपौती रहनी चाहिए। हम लोगों को इसको तोड़ना है। एलजी साहब उसी मानसिकता से आते हैं। एलजी साहब के बच्चों को तो अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए, लेकिन गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलनी चाहिए। इस मानसिकता को पूरे देश को मिलकर तोड़ना है। 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमें आजादी तो मिल गई, लेकिन यह मानसिकता अभी भी है कि गरीबों और इस जाति के बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं लेने देंगे। ये विदेश कैसे जा सकते हैं? एलजी साहब ने लिखा है कि टीचर्स की भारत में भी ट्रेनिंग करा लो। क्यों भारत में ट्रेनिंग करा लें। गरीबों के बच्चे किसी से कम हैं? गरीबों के बच्चे हैं, तो मेधावी नहीं हैं क्या? हम तो अपने टीचर्स को फिनलैंड भेजेंगे। पूरी दुनिया में सबसे अच्छी शिक्षा फिनलैंड में मिलती है। ये सबको पता है कि फिनलैंड शिक्षा के क्षेत्र में पूरी दुनिया में नंबर वन है। पूरी दुनिया में जो यूनिवर्सिटी नंबर वन है, हम उसमें भेज रहे हैं। दिल्ली के लोगों के टैक्स का पैसा है। हम दिल्ली के लोगों के टैक्स के पैसे से टीचर्स को भेज रहे हैं। लोगों का पैसा है, लोगों के बच्चे हैं। लोग अपने पैसे से अपने बच्चों को ट्रेनिंग के लिए भेजते हैं, तो ये एलजी कौन हैं, कहां से एलजी आ गया? एलजी आकर हमारे सिर पर बैठ गए। अब वो तय करेंगे कि हम अपने बच्चों को कहां पढ़ाएंगे? ऐसी सामंतवादी सोच के लोगों ने आज हमारे देश को पीछे कर रखा है। मैं अक्सर सोचता हूं कि हमारे देश को आजाद हुए 75 साल हो गए, फिर भी इतना पिछड़ा, अनपढ़ और गरीब कैसे रह गया? ऐसे सामंती सोच के लोगों ने जानबूझ कर हमारे देश को गरीब रखा है। इन लोगों ने हमारे बच्चों को पढ़ने नहीं दिया। यह तो सामने आ गया और ये लोग नंगे हो गए। 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने सदन में सुप्रीम के आदेश की कॉपी दिखाते हुए कहा कि बड़ी मजे की बात है कि यह करने की एलजी साहब के पास पावर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और लैंड को छोड़कर एलजी साहब के पास कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। 4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पास किया था। सुप्रीम कोर्ट इस देश की सर्वोच्च अदालत है। सुप्रीम कोर्ट को तो सबको माननी पड़ती है। आदेश के पैरा 284.17 में लिखा है कि दिल्ली के एलजी के पास स्वतंत्र रूप से कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम को पता था कि एक बार लिखने से एलजी नहीं मानेंगे। इसलिए कोर्ट दोबारा पैरा नंबर 475.20 में लिखा है कि एलजी के पास निर्णय लेने की पावर नहीं है। मैं तीन दिन पहले एलजी साहब से मिलने गया था, तब इसको पढ़कर उनको सुनाया था। तब एलजी साहब कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की अपनी राय हो सकती है। इसके बाद कहने के लिए मेरे पास कुछ नहीं बचा था। इतने बड़े संवैधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति यह कहता है कि सुप्रीम कोर्ट का आर्डर सुप्रीम कोर्ट की राय हो सकती है। मैंने उनसे कहा कि यह जो आप कह रहे हैं, वो सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना है। आप ऐसा नहीं बोल सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस देश के हर नागरिक के उपर बाध्य है। यह कानून है। फिर वो बोले कि संविधान में लिखा है कि एलजी प्रशासक है। इसका मतलब शासक होता है, तो मेरे पास सुप्रीम पावर है। मैं कुछ भी कर सकता हूं। फिर उन्होंने कहा कि मैंने टीचर्स को विदेश भेजने के लिए मना नहीं किया है। मैंने उनसे कहा कि आपने दो बार फाइन वापस भेज दी है। पहली बार लिखते हैं कि क्या डीओपीटी की गाइड लाइंस का पालन किया गया। जिस यूनिवर्सिटी में इनको भेज रहे हैं, वो और कौन-कौन से कार्यक्रम कराए। इससे क्या उद्देश्य हासिल होगा। मैंने एलजी साहब से बोला कि आप मेरे हेडमास्टर नहीं हो। मैं पढ़ने बहुत अच्छा था। पहली से लेकर 12वीं तक फर्स्ट आया था और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में टाप किया था। मेरे मास्टरों ने आजतक मेरा होमवर्क चेक नहीं किया जिस तरह से एलजी साहब हमारी फाइलें लेकर बैठ जाते हैं। मैं चुना हुआ मुख्यमंत्री हूं। दिल्ली के दो करोड़ लोगों ने मुझे चुन कर भेजा है। मैंने एलजी साहब से पूछा कि आप कौन हैं? तो वो कहते हैं कि मुझे राष्ट्रपति ने भेजा है। मैंने कहा कि वैसे ही जैसे अंग्रेज वायसराय भेजते थे। एलजी साहब बोले कि आपकी सरकार अच्छी नहीं चल रही है। मैंने उनसे कहा कि वायसराय कहते थे कि यू ब्लडी इंडियंस, यू डोंट नो हाउ टू गवर्न। आज आप भी वही भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं कि यू दिल्लीवालाज डोंट नो हाउ टू गवर्नस। मैंने उनसे कहा कि दिल्ली आप हमारे हालात पर छोड़ दो, हम अपनी दिल्ली चला लेंगे। 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एलजी का कहना है कि कास्ट बेनिफिट एनॉलिसिस कराओ। मैंने उसने पूछा कि आप संविधान की वो धारा बता दो कि कास्ट बेनिफिट एनॉलिसिस का आर्डर करने की पावर किस कानून के तहत है। कौन सा कानून आपको यह पावर देता है कि आप दिल्ली के किसी काम का कास्ट बेनिफिट एनॉलिसिस कराएंगे। मैं कास्ट बेनिफिट एनॉलिसिस कराउंगा, मेरे को जनता ने चुन कर भेजा है। विधानसभा का सदन कराएगा और सदन की कमेटियां कराएंगी। कास्ट बेनिफिट एनॉलिसिस कराने वाले आप कौन होते हैं? आपके पास कोई पावर नहीं है। तब उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। मैने एलजी से यह भी पूछा कि आपने 10 एल्डरमैन कैसे बना दिया? एमसीडी एक्ट तो ट्रांसफर सब्जेक्ट है। इसकी तो आपके पास पावर नहीं है। तब एलजी बोले कि कानून में लिखा है कि एलजी 10 एल्डरमैन नियुक्त करेगा। तब उनको मैं 2019 का सुप्रीम कोर्ट का आर्डर दिखाया, जिसमें लिखा है कि जहां प्रशासक लिखा होगा, वहां भी मुख्यमंत्री व मंत्रियों की चलेगी। मैं हाईकोर्ट का एक और आदेश लेकर गया था। मोटर व्हीकल्स एक्ट को लेकर 1998 में ओपी पाहवा का जजमेंट है कि सारी पावर दिल्ली सरकार की होगी। मैंने एलजी साहब से यह भी कहा कि आप रोज चीफ सेक्रेटरी को आर्डर दे देते हैं और चीफ सेक्रेटरी उसे लागू करा देते हैं। हम यहां देखते रह जाते हैं। मैने उनसे पूछा कि आप चीफ सेक्रेटरी को सीधे आदेश कैसे देते हैं? मुख्यमंत्री और मंत्रियों के जरिए फाइन क्यों नहीं जाती है। तब बोले कि मैं शासक हूं। मैं कोई भी किसी को भी आर्डर दे सकता हूं। एलजी साहब न तो संविधान को मानने को तैयार हैं और ना सुप्रीम कोर्ट के आर्डर मानने को तैयार हैं। मैंने योगा बंद कराने के बारे में भी पूछा। एमसीडी चुनाव के दो महीने पहले से सारे डॉक्टरों की सैलरी, मोहल्ला क्लीनिक के रेंट और मोहल्ला क्लीनिक के बिजली के बिल की पेमेंट बंद करा दी। सारे टेस्ट बंद करा दी और दिल्ली जल बोर्ड की सारी पेमेंट बंद करा दी। बड़ी मजेदार बात यह है कि 7 दिसंबर को एमसीडी को नतीजे आए और 8 दिसंबर को मोहल्ला क्लीनिक की सारी पेमेंट करा दी गई। इसका मतलब है कि नीयत खराब थी। जल बोर्ड के वाटर व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बन रहे थे, उसका निर्माण कार्य रूक गया। डीटीसी के बस मार्शल की तनख्वाह तीन महीने से बंद करा दी। 
सीएम अरविंद केजरीवाल ने एलजी साहब से कहा कि सारे अफसर दबी जुबान में कह रहे हैं कि एलजी के आदेश थे कि या तो ये सारी पेमेंट बंद करो, आम आदमी पार्टी की सरकार और केजरीवाल को

बदनाम करो, नही ंतो तुमको सस्पेंड कर दूंगा। इस पर एलजी साहब कहते हैं कि मैंने ऐसा नहीं किया। मैंने एलजी साहब से कहा कि अगर आपने ऐसा नहीं किया, तो जिन-जिन अफसरों ने पेमेंट रोकी है, उनको सस्पेंड करो। आज तक किसी को सस्पेंड नहीं किया। फिर एलजी साहब ने एक बात कही, जो बड़ी चौकाने वाली है। एलजी साहब ने कहा कि बीजेपी वालों की एमसीडी में 20 सीट भी नहीं आ रही थी। ये तो मेरी वजह से 104 सीट आईं हैं। इसका मतलब जानबूझ कर सारी पेमेंट रूकवाई थी। फिर एलजी साहब बोले कि देखना तुम, लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीट भाजपा की आएगी और अगली बार तुमको विधानसभा का चुनाव जीतने नहीं दूंगा। एलजी साहब मुख्यमंत्री को खुलेआम धमकी देते हैं। एलजी साहब दिल्ली को चलाने नहीं आए हैं, बल्कि दिल्ली को ठप करके केजरीवाल और आम आदमी पाटी को बदनाम करने आए हैं। हम राजनीति करने नहीं आए हैं। हम लोगों की सेवा करने आए हैं। हम चुनाव जीते या न जीतें, राजनीति लगी रहती है, चुनाव आते-जाते रहते हैं। देश जरूरी है, लोग जरूरी है, लोगों की जिंदगी जरूरी है। लोगों के मोहल्ला क्लीनिक, पानी, बिजली बंद कराकर अगर आप चुनाव जीतना चाहते हैं, तो आपको मुबारक है। हम लोगों की सेवा करेंगे, हम आपकी तरह नहीं गिर सकते, हम आपकी तरह इतनी गंदी हरकतें नहीं कर सकते। एक सवाल यह उठता है कि अगर चुनी हुई सरकार की कोई पावर ही नहीं है, तो इस देश की आजादी की लड़ाई क्यों लड़ी थी। हमारे लोगों ने आजादी की लड़ाई इसलिए नहीं लड़ी थी कि एक वायसराय जाएगा और एक उपराज्यपाल आकर बैठ जाएगा। हम सारे आंदोलन से निकले हुए लोग हैं। आजादी को बरकरार रखने, जनतंत्र व संविधान को मजबूत करने के लिए हमें जो भी कुर्बानी देनी पड़ेगी, हम सारे मिलकर वो कुर्बानी देंगे, लेकिन जनतंत्र और देश की आजादी को इस तरह से हम खराब बिल्कुल नहीं होने देंगे। सौरभ भारद्वाज द्वारा रखे गए प्रस्ताव का मैं पूरी तरह से समर्थन करता हूं। 
इससे पहले, विधायक आतिशी ने सदन में फिनलैंड में शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए न भेजने के खिलाफ ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा। इसके बाद विधायक सौरभ भारद्वाज ने इस पर एक प्रस्ताव रखा। उन्होंने संकल्प पढ़ते हुए हुए कहा, ‘’यह सदन उपराज्यपाल महोदय द्वारा  दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजे जाने से रोके जाने के,  उनके कदम की कड़ी निंदा करता है। दिल्ली के लोगों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी आदि विषयों पर काम करने के लिए मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में एक लोकप्रिय सरकार चुनी है। अगर दिल्ली के लोगों की पूर्ण बहुमत से चुनी हुई सरकार दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षकों को विश्व स्तरीय ट्रेनिंग दिलाना चाहती है,  और इसके लिए इस विधानसभा में बजट भी पास किया हुआ है, तो ऐसे में उप राज्यपाल महोदय के पास संविधान के अंतर्गत ऐसा कोई अधिकार नहीं बनता कि वह सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड ना जाने दें।
देश के संविधान में शिक्षा,  दिल्ली विधानसभा को हस्तांतरित एक विषय है। संविधान में दिल्ली के संदर्भ में केवल तीन विषय- पुलिस, पब्लिक ऑर्डर तथा जमीन, संघीय सरकार द्वारा निर्णय लेने के लिए रिजर्व रखे गए हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने भी यह व्यवस्था दी है कि दिल्ली के संबंध में उपरोक्त 3 रिजर्व विषयों को छोड़कर शेष विषयों पर निर्णय लेने का अधिकार केवल और केवल दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट लिखा है कि –
की संविधान पीठ ने जुलाई 2018 अपने आदेश में पैरा 284 (बिन्दु संख्या 17 ) लिखा है
There is no independent authority vested in Lieutenant Governor to take decisions save and except on matters where he exercises his discretion as a judicial or quasi-judicial authority under any law or has been entrusted with powers by the President under Article 239 on matters which lie outside the competence of the Government of NCT.
संविधान पीठ ने 04 जुलाई 2018 अपने आदेश में पैरा 475 (बिन्दु संख्या 20) लिखा है
The The meaning of ‘aid and advise’ employed in Article 239AA (4) has to be construed to mean that the Lieutenant Governor of NCT of Delhi is bound by the aid and advice of the Council of Ministers and this position holds true so long as the Lieutenant Governor does not exercise his power under the proviso to clause (4) of Article 239AA. The Lieutenant Governor has not been entrusted with any independent decision-making power. He has to either act on the ‘aid and advice’ of Council of Ministers or he is bound to implement the decision.
संविधान में दी गई व्यवस्था और माननीय उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा इस संबंध में दिए गए निर्णय से स्पष्ट है कि दिल्ली के बच्चों की शिक्षा के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास है। उप राज्यपाल महोदय के पास इस संबंध में निर्णय लेने के लिए कोई संविधान में कोई शक्ति नहीं दी गई। इसके बावजूद उपराज्यपाल महोदय द्वारा शिक्षकों को फिनलैंड जाने से रोकने का कदम ना सिर्फ असंवैधानिक है बल्कि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का भी उल्लंघन है। माननीय उप राज्यपाल महोदय द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के आदेश का उल्लंघन करना और संविधान को ना मानना दुर्भाग्यपूर्ण है।
यह सदन दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव से सहमति व्यक्त करता है कि अगर हम स्कूलों में पढ़ रहे अपने बच्चों को विश्व स्तरीय शिक्षा दिलाना चाहते हैं तो इसके लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे शिक्षकों को भी विश्व स्तरीय ट्रेनिंग मिले। आज सारी दुनिया में फिनलैंड की शिक्षा प्रणाली को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए दुनिया भर के देश फिनलैंड में किए गए शिक्षा सुधारों से प्रेरणा ले रहे हैं।
यह सदन दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजे जाने के दिल्ली सरकार के कदम का समर्थन करता है। साथ ही यह सदन उपराज्यपाल महोदय से निवेदन करता है कि वह भविष्य में माननीय उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ द्वारा दिए गए आदेश के उल्लंघन से बचें और संविधान की व्यवस्था के अनुरूप कार्य करते हुए दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।‘ 
अंत में विधानसभा के स्पीकर ने प्रस्ताव पर सदन में मौजूद सदस्यों की तरफ से वोटिंग कराई और ध्वनि मत से प्रस्ताव पास कर दिया गया।
सदन में विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग जो-जो मामले उठा रहे हैं, चाहे वो पेंशन, जल बोर्ड, अस्पतालों हो  या मोहल्ला क्लीनिक से संबंधित हो सभी मामलों में देखा जाए तो किसी न किसी अफसर ने उन कामों को रोकने की कोशिश की

है। आज संविधान पीठ में यह मामला बहस में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के अंदर मुख्य न्यायाधीश ने एक उदाहरण देकर पूछा है कि अगर कोई अफसर चुनी हुई सरकार के मुताबिक काम नहीं करता। उदाहरण के तौर पर उन्होंने फाइनेंस सेक्रेटरी का नाम लिया और कहा कि अगर फाइनेंस सेक्रेटरी काम नहीं करता। फाइनेंस सेक्रेटरी का उदाहरण देना कोई इत्तेफाक नहीं है। इसका मतलब ये है कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी जानते हैं कि दिल्ली सरकार का काम रोकने का ठेका इस वक्त फाइनेंस सेक्रेटरी ने उठा रखा है।
सदन में विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि शिक्षकों को फिनलैंड भेजना क्यों जरूरी है। इसी के साथ शिक्षकों को फिनलैंड भेजने की फाइल पर एलजी द्वारा दर्ज की गई आपत्तियों का भी जिक्र किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हम उन्हें समझाना चाहते हैं कि पूरी दुनिया के अंदर शिक्षा के दो ही म़ॉडल की चर्चा होती है एक दिल्ली और दूसरा फिनलैंड। यह बहुत जरूरी है कि हम आपस में एकदूसरे से कुछ सीखें, इसलिए ही हम अपने शिक्षकों को फिनलैंड भेजना चाहते हैं। शिक्षक फिनलैंड जाएंगे, वहां अच्छी शिक्षा का म़ॉडल सीखेंगे और यहां पर लेकर आएंगे, तो हम भी कुछ चीजें सीखेंगे। मगर एलजी साहब को इसमें आपत्ति है।
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