दिल्ली में 4था लोकडौन ? – असहनीय पीड़ा – फिर भी सरकार की जय जयकारा, मेरा भारत महान

एक ओर देश गौरवान्वित हो रहा है तो दुसरीं ओर इस देश का नागरिक बेरोज़गारी और गरीबी का डंस झेलते हुए ताली बजा रहा है।  इसे विडम्बना कहें या दुर्भगय?????

एक ओर देश गौरवान्वित हो रहा है तो दुसरीं ओर इस देश का नागरिक बेरोज़गारी और गरीबी का डंस झेलते हुए ताली बजा रहा है।  इसे विडम्बना कहें या दुर्भगय?????

दिल्ली में 4था लोकडौन?

असहनीय पीड़ा – फिरभी सरकार की जय जयकारा

एक ओर देश गौरवान्वित हो रहा है तो दुसरीं ओर इस देश का नागरिक बेरोज़गारी और गरीबी का डंस झेलते हुए ताली बजा रहा है।  इसे विडम्बना कहें या दुर्भगय?????

एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)

भारत सरकार द्वारा जी 20 अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन भारत के लिये गौरव की बात है, इससे विश्व मे भारत का प्रभाव तो पड़ेगा ही साथ मे वैश्विक व्यापार निवेशकों में विश्वास बन जायेगा। परन्तु वर्तमान में दिल्ली को तीन दिनों के लिए लोकडाउन कर के विडम्बनाओं की राजधानी बनाया जा रहा है। “8 से 10 सितम्बर को जी -20 शिखर सम्मेलन के चलते लगे अघोषित लॉकडाउन के कारण पूरी दिल्ली के बाजारों, रेहड़ी पटरी, खोमचे, छोटी दुकान लगाने वाले लाखों लोगों की अजीविका प्रभावित होती रहेगी। इसकी भरपाई कौन करेगा। और इसके साथ साथ दिल्ली के सभी शैक्षणिक संस्थाने बन्द कर सरकार क्या साबित करना चाहती है?

आखिर ! सरकार यह क्यों कर रही है? क्या सरकार को डर है विपक्ष कभी धरना प्रदर्शन का ड्रामा न कर दे, भारत अपनी बेइज़्ज़ती के डर से भारत सरकार ने लोकडाउन लगवाया। या सरकार को इस समय आतंकवादी या अलाववादिओं या उग्रवादियों के हमले का डर का आभास हो गया या विदेशी मेहमानों को यह दिखाने के लिये की दिल्ली रईसों की राजधानी है, यहां सड़कों पर आवारा पशुयें और कुत्ते मौज लेते हैं। इंसान घरों में बंद रहते हैं। या भारत सरकार का इस बहाने फिर कुछ बड़ा गेमप्लान जा रही है? इसका जवाब कौन देगा? आज सभी मेहमान नवाज़ी में खामोश रह कर अपने आपको इतना बड़ा संस्कारी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं या हुकुम के आगे सारे गुलाम नमस्तक हो गये? यदि सुक्षा की दृष्टि से लोकडाउन लगाना ही था तो जहां सम्मेलन क्षेत्र के कम से कम 3, की0मि0, के क्षेत्र के चारो ओर लगाना था। कम से कम दिल्ली के अन्य बाज़ार रेहड़ी पटरी के छोटे लाखों दुकानदार तो प्रभावित ना होते।

वहीं दूसरे ओर दिल्ली सरकार के जितने भी आईएएस, आईपीएस, और आला अधिकारियों को  को ड्यूटी पर लगा लिया। अभी समझ आ रहा है कि आखिर आनन फानन मे केंद्र सरकार ने दोनों सदनों में सर्विस बिल क्यूं पास करा लिया, दिल्ली सरकार जो जहां एक ओर अपाहिज दरबान बना था वहीं दिल्ली सरकार के अधीन काम करने वाले सभी कर्मचारियों को अपने अंदर करना था। इस समय सभी के मन मे बैठा दिया है कि भारत विश्व विजेता बनने जा रहा है, इस सम्मेलन के बाद विश्व गुरु बन जायेगा???? अब गुलाम तो गुलाम होता है, मालिक का वफादार होता है।

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