लोजपा-(रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद चिराग पासवान ने बिहार सरकार को घेरा – राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
अंततः बिहार में भाजपा को एक साथी मिल ही गया - जो नीतीश के शासन पर प्रहार कर सके
अंततः बिहार में भाजपा को एक साथी मिल ही गया – जो नीतीश के शासन पर प्रहार कर सके। भाजपा चिराग का इस्तेमाल समय समय पर इस्तेमाल करेगी
सांसद चिराग पासवान ने बिहार सरकार को घेरा – राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग गृहमंत्री को ज्ञापन सौंपा
अंततः बिहार में भाजपा को एक साथी मिल ही गया – जो नीतीश के शासन पर प्रहार कर सके
पटना – लोजपा-(राविस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद चिराग पासवान ने आज भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह को ज्ञापन देकर बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग किया है। अंततः चिराग पासवान ने भाजपा को अपना हाँथ बढ़ा ही दिया। बहाना चाहे जो भी हो, परन्तु आज भाजपा को वह समय हाँथ आ ही गया जिसका भाजपा को प्रतीक्षा थी। अब वह समय आ गया जब चिराग पासवान को भाजपा इस्तेमाल करेगी।
लोजपा-(रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद चिराग पासवान ने आज भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह को ज्ञापन देकर बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग किया है।
अपने ज्ञापन में चिराग पासवान ने कहा कि बिहार में उत्पन्न अराजक स्थिति से लोग भयाक्रांत है। एक ओर जहाँ लगातार अपराधिक घटनाओं से आम बिहारवासी सहमें हुए है वहीं दूसरी ओर शासन और प्रशासन के संरक्षण में बेची जा रही जहरीली शराब से हजारों लोगों को जान गवानी पड़ी है। इन घटनाओं से पूरे बिहार में चित्कार मची हुई है और राज्य सरकार निष्क्रिय बन मूकदर्शक बनी हुई है।
आगे श्री चिराग ने कहा कि विगत 17 दिसंबर को मेरे नेतृत्व में लोजपा-(रा) का प्रतिनिधि मंडल बिहार के राज्यपाल माननीय फागू चौहान से मिलकर बिहार में उत्पन्न स्थिति से अवगत कराया। इस सम्बंध में हमारी पार्टी ने बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केन्द्र को अनुशंसा करने का आग्रह किया है।
पिछले दिनों सारण जिला में जहरीली शराब पीने से सैकड़ो निर्दाेष गरीबों की जान चली गई। इस मामलें में सरकार तथ्य छिपा रही है। मैं स्वयं सारण जाकर पीड़ित परिवारों से मिला। इस दौरान लोगों ने बताया कि प्रशासनिक संरक्षण में जहरीली शराब का धंधा चल रहा है।
आज जो बिहार की स्थिति है वह प्रमाणित कर रहा है कि बिहार में कानून का राज समाप्त हो गया है। राज्य में शराब माफिया, बालू माफिया, भू-माफिया और अपराधी सरकार द्वारा संरक्षित है और खुलेआम अपनी गतिविधि चला रहें है। राज्य में सरकार नाम की कोई चीज नही है। सभी मोर्चे पर सरकार विफल है। राज्य में महिलाओं को जिन्दा जलाया जा रहा है। गया के शेरघाटी थाना के पचमह गांव और अरवल के परासी गांव की घटना गवाह है। अरवल में महिला और उसकी 5 वर्षीय पुत्री को जिन्दा जला दिया गया, मैं स्वयं गया था हजारों लोगों के साथ पदयात्रा कर जिलाधिकारी को घटना से संबंधित ज्ञापन दिया था।
बिहार की स्थिति अत्यंत गंभीर है एवं चिंता पैदा कर रही है। बिहार की जनता के हित में तथा बिहार में कानून का राज कायम करने के लिए अविलंब हस्तक्षेप कर राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए आवश्यक कारवाई करें।
उक्त आशय की जानकारी पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी निशांत मिश्रा ने दी।
बहरहाल विरासत मिली राजनीतिक और बिहार राजनीतिक अखाड़ा के 1977 के रहे विशेष दिग्गजों में एक रामविलास पासवान हमेशा बिहार की राजनीतिक अखाड़े में अकेला पहलवान के रूप में भारी रहे, केंद्र में सरकार चाहे किसी की भी हो मंत्री पासवान ही बने और अपने अंतिम समय तक बने रहे, जबकि मुलायम सिंह को राजनीतिक अखाड़े का सबसे घातक पहलवान माना जाता था परन्तु पासवान के आगे वह भी नमस्तक रहे। परन्तु दुर्भाग्य कहें या विडम्बना, स्वर्गीय राम विलास पासवान के परलोक सिधारते ही लोक जनशक्ति पार्टी में जैसे एक भूचाल सा आ गया। सब कुछ अचानक सा बिखर सा गया – बहरहाल पासवान की विरासत असली उत्तराधिकारी को ही अपने बाप की बनाई खून और पसीने की धरोहर से हाँथ धोना पड़ा । चिराग पासवान जो अपने पापा के दम पर राजनीतिक के अखाड़े में उतर गए लेकिन उन्हें काफी बड़ी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा । जनसे उन्हें उम्मीद थी वह सारे लोग एक जे बादः एक अपनी पीठ दिखाते चले गए । इधर एक ओर लोजपा का चुनाव चिन्ह बंगला चुनाव आयोग ने जप्त कर लिया तो दूसरी ओर उन्ही की सरकार ने उनका बंगला खाली करवा लिया। मरता क्या करता, चिराग पासवान ने बिहार पकड़ लिया और बिहार की राजनीतिक अखाड़े में अपना पैर जमा लिया। लेकिन चिराग पासवान के पापा के पुराने प्रतिद्वंद्वी एक नीतीश चाचा और दूसरी ओर लालू चाचा से उनकी आखरी उम्मीदें भी धराशायी हो गई जा इन्हें महागठबंधन से दूर रखा गया। लालू जी के उत्तरधिकारी तेजस्वी की तेज राजनीतिक धार ने उन्हें अपनी पार्टी के मिल कर काम करने की कोशिश करने लगे तो दूसरी ओर नीतीश नीतीश चाचा ने राजनीतिक छोड़ने के लिये ही सलाह देने लगे कभी अपने पार्टी में विलय का ऑफर देने लगे, दूसरी ओर भाजपा खामोशी से तामाशा देखती रही, भाजपा को सही समय का इंतज़ार था और आज भाजपा को वह समय हाँथ आ ही गया जिसका उसे स्वर्गीय पासवान के मृत्य पश्चात बड़े ही सब्र के साथ कर रही थी। अब भाजपा को चिराग पासवान को इस्तेमाल करने का सही समय आया है।