महान लेखक का एक शोध “मेरा भारत महान” पुस्तक  का वोचन

भारत मे विभिन्न प्रकार की भाषाएं जाती व धर्म होने के बावजूद हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं , एक दूसरे के साथ हैं केवल और केवल संविधान के प्रावधान के कारण इसी लिये मेरा भारत महान है

भारत मे विभिन्न प्रकार की भाषाएं जाती व धर्म होने के बावजूद हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं , एक दूसरे के साथ हैं केवल और केवल संविधान के प्रावधान के कारण इसी लिये मेरा भारत महान है

 महान लेखक का एक शोध “मेरा भारत महान” पुस्तक  का वोचन
एस. ज़ेड. मलिक
पिछले दिनों इंडियन इस्लामिक कल्चर सेंटर लोधी रोड नई दिल्ली में प्रसिद्ध डॉक्टर, वरिष्ठ सेना अधिकारी, शिक्षाविद् एवं परोपकारी लेखक डॉ (ब्रिगेडियर) एम आलम द्वारा लिखित “मेरा भारत महान” पुस्तक  का वोचन किया गया। इस अवसर पर लेखक डॉ (ब्रिगेडियर) एम आलम ने अपनी पुस्तक का विश्लेषण करते हुए कहा यह पुस्तक में किसी भी भाषा, धर्म या जाती भेद भाव नही किया गया बल्कि भारत के सभी संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास किया है। डॉ0 आलम ने कहा कि ईश्वर एक है जो संसार का प्रत्येक व्यक्ति मानता है अपनी अपनी भाषा मे अपनी अपनी शैली में सभी एक ही शक्ति जो दिखाई नहीं देती सभी किसी न किसी रूप महसू ज़रूर करते हैं।
आगे उन्होंने पवित्र कुरआन के अंतिम अध्याय के कुछ आयात पर चर्चा करते हुए कहा की ईश्वर तो सभी का है और सभी को अपने अपने हिसाब से मानने अधिकार दिया किसी को न किसी से किसी का अधिकार छीन का अधिकार दिया है और किसी को किसी के धर्म को बुरा कहने का अधिकार दिया है। ईश्वर कहता हर एक व्यक्ति अपने सीमा में रह कर दीन अर्थात धर्म पर विश्वास बनाये रखो और अपने बुद्धि का सही इस्तेमाल करो । बुद्धि इसी लिये सिया है कि किसी पुस्तक एवं व्यक्ति तथा अन्य वस्तुओं को अच्छे से देखो समझो परखो और उसका इस्तेमाल करो। उन्हें ने कहा हमारे भारत मे जिस प्रकार संविधान में  हर एक बिंदु पर भारत के अंतिम व्यक्ति तक उसके के अधिकार को देने तथा एक दूसरे के हितों का ध्यान रखते हुए सभी को समान रूप से सम्मान और अधिकार देने के लिये प्रावधान किया गया है। परन्तु क़ुरआन में तो 1400 वर्ष पहले से अधिकार और सम्मान हरेक दूसरे को देने की बात कही जा रही है। मेरा भारत महान ” इसे सन्दर्भ में लिखा है कि हमारे भारत मे विभिन्न प्रकार की भाषाएं जाती व धर्म होने के बावजूद हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं , एक दूसरे के साथ हैं केवल और केवल संविधान के प्रावधान के कारण इसी लिये मेरा भारत महान है क्यों कि समय समय पर हमे तोड़ने अथाह प्रयास किया जाता रहा है फिरभी हम कटते मरते रहें फिर भी हम एक दूसरे से जुड़े रहे यही एक परंपरा हमे बांधे हुई है हम सब एक हैं। इसी लिये मेरा भारत महान है । सभा की अध्यक्षता कर रहे इंडिया इस्लामिक सेंटर के अध्यक्ष शिक्षाविद समाजविद विश्लेषक मोहम्मद सिराजुद्दीन क़ुरैशी ने भी मेरा भारत महान एवं संविधान पर अपने व्याख्यान दिए।  
ज्ञात हो कि प्रसिद्ध डॉक्टर, वरिष्ठ सेना अधिकारी, शिक्षाविद् एवं परोपकारी लेखक डॉ (ब्रिगेडियर) एम आलम के राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिकाओं में 50 से अधिक लेख प्रकाशित हुए हैं और मानव जाति को एकजुट करने के लिए अध्यात्मवाद, दर्शन और मानवतावाद को कवर करने वाले क्षेत्रों में 20 पुस्तकें, उत्कृष्ट कृतियाँ लिखी हैं।
उन्होंने उर्दू में “मंज़ूम मज़मीन क़ुरान मजीद” और हिंदी में “क़ुरआन मजीद का काव्या सार” यानी कविता के रूप में क़ुरान का अनुवाद, ताकि एक आम भारतीय व्यक्ति क़ुरान को अपनी उर्दू/हिंदी भाषा में समझ सके।
उन्हें महाराष्ट्र सरकार द्वारा वर्ष 2013 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और मराठी में अब तक 20 पुस्तकें लिखी जो प्रकाशित हो चुकी हैं।
अभी वर्तमान में वह रूबी हॉल अस्पताल (अनुसंधान और रेफरल), पुणे में प्रोफेसर और एचओडी (शिक्षाविद) एवं बांझपन विशेषज्ञ और अनुसंधान केंद्र, के निदेशक हैं।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित बिहार के पूर्व सचिव सेवनिर्वित आईएएस अधिकारी डॉ0 एम.ए. इब्राहिमी, सभा की अध्यक्षता कर रहे   इंडिया इस्लामिक सेंटर के अध्यक्ष मो सिराजुद्दीन क़ुरैशी, प्रो0 डॉ. आसमी रज़ा दिल्ली विश्वविद्यालय, एवं अन्य विशिष्ट अतिथि एवं श्रोतागण उपस्थित रहे।
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