नेशनल उर्दू काउंसिल द्वारा आयोजित विश्व पुस्तक मेले में समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता।
पत्रिकाओं को प्रकाशित करना किसी एक व्यक्ति की बात नहीं है, इसके लिये एक अनुभवी टीम की आवश्यकता पड़ती है,
एक मानक साहित्यिक पत्रिका को सफलतापूर्वक केवल तभी प्रकाशित किया जा सकता है जब एक प्रतिभाशाली संपादकीय टीम उस पर अपनी पूरी ईमानदारी के साथ मेहनत करती है।
नेशनल उर्दू काउंसिल द्वारा आयोजित विश्व पुस्तक मेले में समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता।
एस. ज़ेड. मलिक
नई दिल्ली: – नेशनल उर्दू काउंसिल द्वारा विश्व पुस्तक मेले में काउंसिल ने अपने स्टॉल पर ही समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता नामक एक संवाद का आयोजन किय। जिसमें नई पीढ़ी के लेखक डॉ, खान मोहम्मद रिजवान, डॉ. मोहम्मद रेहान और डॉ. शाहिद हबीब फालाही ने अतिथि के रूप में भाग लिया और साहित्यिक पत्रकारिता पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के प्रो. मुहम्मद काज़िम ने की, उन्होंने अपने अध्यक्षीय संबोधन में, राष्ट्रीय उर्दू परिषद के निदेशक के साथ साथ वहां उपस्थित अतिथियों को भी बधाई देते हुए कहा काउंसिल ने युवाओं को लिए एक ऐसा महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया, जिससे युवाओं में पत्रकारिता एवं सम्पादन में एक नई ऊर्जा मिलेगी, आगे उन्होंने कहा युवाओं को उर्दू पत्रकारिता और सम्पादन को सीखने और समझने का यह सब से उत्तम मंच है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के दौर में हमें संभावनाओं का सामना करना पड़ा है इसे स्थिर रखने के लिये हमें अधिक जिम्मेदार होने की आवश्यकता है। साहित्यिक पत्रिकाओं के प्रकाशन के बारे में, उन्होंने कहा कि पत्रिकाओं को प्रकाशित करना किसी एक व्यक्ति की बात नहीं है, इसके लिये एक अनुभवी टीम की आवश्यकता पड़ती है, भाषा को जानना एक अलग बात है। और साहित्य को जानना अलग है तथा संस्थान का संचालन करना एक अलग बात है, इसलिए एक मानक साहित्यिक पत्रिका को सफलतापूर्वक केवल तभी प्रकाशित किया जा सकता है जब एक प्रतिभाशाली संपादकीय टीम उस पर अपनी पूरी ईमानदारी के साथ मेहनत करती है। बहरहाल इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉ. मुसरत ने किया था।
