रिदा वेलफेयर फाउंडेशन के शिक्षा विस्तार पर बढ़ते कदम! अस्थाई मज़दूरों के बच्चों की ली शिक्षित करने की ज़िम्मेदारी।

रिदा वेलफेयर फाउंडेशन के शिक्षा विस्तार पर बढ़ते कदम! अस्थाई मज़दूरों के बच्चों की ली शिक्षित करने की ज़िम्मेदारी।

रिदा वेलफेयर फाउंडेशन के शिक्षा विस्तार पर बढ़ते कदम! अस्थाई मज़दूरों के बच्चों की ली शिक्षित करने की ज़िम्मेदारी।

एस. ज़ेड. मलिक
नई दिल्ली – रिदा वेलफेयर फाउंडेशन ने पिछले 25 दिसम्बर 2021 को महल्ले के वैसे गरीब बच्चे जो सुबह होते ही अपने मोहल्ले के मंदिरों और गुरुद्वारों तथा मज़ारों पर भीख मांग कर अपने माता पिता पेट भरते है एवं अपना खेल का समय वहां व्यतीत करते है जिसे शायद सभ्य भाषा मे (स्ट्रीट चिल्ड्रन) कहा जाता है। इस प्रकार के बच्चों को  उत्तरी-पश्चमी ज़िला प्रीतम पूरा के UU ब्लॉक के पार्क में इकट्ठा कर उन्हें शिक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिये स्कूल बैग पानी की बोतल पिंसिल बॉक्स, कॉपी, वितरित कर उन्हें शिक्षा की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। 
इसी संदर्भ में फाउंडेशन की चेयर पर्सन अधिवक्ता नाईम जहाँ हीना एवं फाउंडेशन के समन्यव्यक दिनेश मिश्रा और पत्रकार एस. ज़ेड. मलिक ने मकरसंक्रांति के अवसर पर13 जनवरी 2022 मंगलवार को मॉडल टाउन के निकट पुलिस लाइन कॉलोनी का दौरा किया जहां स्थित सर्वोदय विद्यालय के निकट कम्युनिटी सेंटर के निर्माण में लगे लग-भग 15 परिवारों के अस्थाई मज़दूर प्रवासियों का सर्वे किया किया।
वहां उन्होंने देखा कि लगभग 20 से 25 बच्चे जो अपने माता-पिता के साथ उनके कार्यस्थल पर रह रहे हैं। वहां  उन्होंने महिला मज़दूरों से उनकी कार्यशैली का ब्यौरा लिया। उन महिला मज़दूरों ने अपनी अपनी जीवन शैली की पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि हम भी चाहते हैं कि हमारे बच्चे अच्छा से अच्छ खांए – पहने, और अच्छी शिक्षा हांसिल करें परन्तु ऐसा सम्भव नही है, हम मज़दूर अस्थाई हैं।
 आज यहां कल कहीं और, महिला मज़दूरों ने बताया बताया की अभी हम लोग जो परिवार यहां रह रहे हैं वह एक जगह के नहीं हैं। कुछ छतीसगढ़, कुछ मध्यप्रदेश, कुछ यूपी, बिहार और झारखंड, उड़ीसा के हैं, बहुत से परिवारों में बच्चे कार्यस्थल पर ही पैदा होते और उनका लालन पालन इन्ही कार्यस्थल पर ही होता है और वह भी यहीं पर हम मज़दूरों की कार्यशैली को देखते हुए अपनी बढ़ती उम्र के साथ यही सीखते हैं और फिर अपने जीवन को बिना शिक्षा ग्रहण किये उसी कार्यों में समर्पित कर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। 
जबकि सरकार हमारे कार्यशैली और हमारी स्थिति की अच्छी तरह जानकारी रखती है , सरकार चाहे तो हमारे जीवन को भी बेहतर बना कर हमें भी समाज मे बराबरी का दर्जा दिला सकती है। 
फाउंडेशन की चेयरपर्सन हीना ने बच्चों के अभिभावकों से बात-चीत कर उन्हें उनके बच्चो को शिक्षित करने  का आश्वासन देते हुए उन मज़दूर महिलाओं को भी संकल्प दिलाया कि वह चाहे भारत के जिस जगह भी हों वह अपने बच्चों को किसी प्रकार से शिक्षित कराने की हर सम्भव प्रयासरत रहेंगी। 
वहीं उपस्थित फाउंडेशन के समन्यव्यक दिनेश मिश्रा ने दिल्ली के मॉडल टाउन के निकट पुलिस लाइन अंतर्गत अस्थाई मज़दूरों के बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प लेते हुए शिक्षक बहाल करने तथा उनके रखरखाव की ज़िम्मीवारी ली।

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