मंडी हाउस में 5 दिवसीय 24 भाषाओं में 38वें साहितयुत्सव सम्पन्न।

साहित्य - मनुष्य का सारा जीवन है- चाहे वह किसी समुदाय, जाती, धर्म का हो, साहित्य हर समाज मेंहै - मेघवाल

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी साहित्य अकादमी द्वारा 38वें साहितयुत्सव 2022 का आयोजन किया गया । जिसमे 24 भाषाओं में पुस्तकें दर्शायी गई 

मंडी हाउस में 5 दिवसीय 24 भाषाओं में 38वें साहितयुत्सव सम्पन्न।

एस. ज़ेड. मलिक

नई दिल्ली –  हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी साहित्य अकादमी द्वारा 38वें साहितयुत्सव 2022 का आयोजन किया गया । जिसमे 24 भाषाओं में पुस्तकें दर्शायी गई 

 

यह उत्सव 10 मार्च 2022 से आरम्भ हो कर 15 मार्च 2022 को मंडी हाउस में सम्पन्न हुये। इसमे हर दिन चार से 5 सत्रों  का आयोजन किया गया था। 
10 मार्च को प्रातः 10:30 से 11 मंडी हाउस के साहित्य अकादमी स्थित  रविन्द्र भवन परिसर में  भारत सरकार के संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा साहितयुत्सव समारोह का रिबन काट कर एवं दीप प्रज्वलित 2021 की अकादमी की प्रमुख गतिविधियां की झलकियां उद्घाटन किया गया। जिसमे स्वागत वक्तव्य सचिव साहित्य अकादमी  के. श्रीनिवासराव तथा उद्घाटन वक्तव्य सदस्य , सामान्य परिषद साहित्य अकादमी श्री यशे दरजे थोंगछी ने दिया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप आमंत्रित अपने उद्घाटन भाषण में श्री मेघवाल ने कहा “साहित्य मानव समाज का गर्भ है , सर्वो समाज मे साहित्य है, चाहे वह दलित या पिछड़ी आदिवासी हो । आगे उन्होंने कहा जबसे मनुष्य ने सोंचना शुरू किया है और पढ़ना लिखना आरम्भ किया तब से साहित्य ने जन्म लिया है और आज चाहे विश्व जितना भी डिजिटल बन जाये परन्तु  पढ़ने और लिखने में कमी नहीं आई है ऐसा मेरा मानना है। 
साहितयुत्सव के पहले दिन चार सत्रों में विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमो आयोजन सम्पन्न किया, जिसमे पहला दिन युवाओं के नाम युवा लेखक सम्मेलन “युवा भारत का उदय” पूर्वाह्न10 से 11 बजे और 11 से 12 बजे तक ” मैं क्या लिखता/लिखती हूँ” विषय पर आयोजित किया गया , जिसकी अध्यक्षता श्री राम परिहार ने किया, रचना पाठ- मोनिका राणा (नेपाली) मोहिनी अरोरा(संस्कृत) विनीता शर्मा(राजस्थानी) बालसुधाकर मौली(तेलगु)
दूसरे सत्र में पारमिता शतपथी के अध्यक्षता में  ” जुनून या व्यावसाय” लेखन को प्रस्तूत किया गया।
तीसरा सत्र “कहानी पाठ ” को मृत्युंजय सिंह की अध्यक्षता में प्रस्तूत किया गया। वहीं 4था सत्र कवि-पाठ के कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेश ऋतुपर्ण ने किया।
वही विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित भारतीय भाषाओं में प्रकाशन की स्थिति पर परिचर्चा करने पहुंचे प्रख्यात मराठी लेखक ” रंगनाथ पठार” इस जिनका स्वागत साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासन ने किया। और संयोजक जनाब शीन. क़ाफ़. निज़ामी थे। और इसमे संवादी – बद्री शोशादरी, चांदना दत्ता, दर्शन दर्शी, हेमंत दिवते, प्रभात कुमार, रमेश कुमार मित्तल, और याक़ूब थे।
11 मार्च को उसे परिसर में प्रथम सत्र में आदिवासी लेखक सम्मेलन का कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस सम्मेलन का उद्घाटन सत्र में स्वागत वक्तव्य साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासन ने और उद्घाटन वक्तव्य अखोन असग़र अली बशारत ने दिये।
अध्यक्षीय वक्तव्य अध्यक्ष साहित्य अकादमी श्री चंद्रशेखर कंबार ने दिये। 
तथा प्रथम सत्र के दौरान दूसरे हाल में आदिवासी भाषाएँ और साहित्य: संरक्षण और पुनरुद्धार जिसकी अध्यक्षता सुरसिद्ध लेखक चंद्रकांत मुरासिंह, इसमे प्रतिभागी रहे आर.रमेश आर्य, लेखक थुप्सटन नोरबू और सुमनस्पति रेड्डी । 
 
दूसरे सत्र में 12 बजे बहुभाषीय कविता पाठ किया गया जिसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि एवं लेखक   श्री विश्राम वलवी (देहवाली)ने किया तथा ज्योति नायक राठौर (बंजारा) गरिष्ठ बी (हिक्कीपइक्की)
वंदना रतात मोरे (भीली) तुलसीदास राघेलाल भोयार(हल्वी), कुसुम चकमा(चकमा) सलोनी बारेह(जयन्तिया) अनादि कोड़ा (देसिया) हिरजिर इंगपिति(कार्बी) जान केम्पराई(सटीशर्न वर्मन)दिमासा, कथाकार एवं कवि श्री प्रदीप कँहर (कूई) प्रभुलाल परतेती (गोंडी)
तीसरे सत्र में बहुभाषीय कवि पाठ किया गया जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न भाषाओं के कवियों ने भाग लिया जिसकी अध्यक्षता
पश्चिम बंगाल लेप्चा भाषा के विचारक विद्वान, किष्कार लेखक भाषाविद ल्याड़  सौड़ तामसड़ (लेप्चा) ने की , तथा कविता पाठ खांसी भाषा की प्रसिद्ध कावित्री उपन्यासकार अल्फिदारे खारसिंटीयू, प्रतिष्ठित महाली कवि चित्रकार एवं कलाकार भजाई महाली, मिजो कावित्री एवं कथाकार अनिता वनललनूनमवी , पायीते भाषा के प्रसिद्ध लेखक वाल्टे गिनखेनपाऊ, पारधी भाषा के प्रतिष्ठित कवि एवं लेखक श्री भास्कर ज्ञान भोसले, पश्चिम बंगाल पुर्गी भाषा के जाने माने कलाकार एवं लेखक तक़ी खान नायाब, गुजरात के राठवा क्षेत्र के प्रख्यात राठवा भाषा के कवि, कथाकार, लेखक समालोचक श्री राजेशकुमार रमणलाल , लद्दाक के कारगिल शीना भाषा के प्रसिद्ध कवि कोशकार नाटककार और शोधकर्ता जनाब रज़ा अमजद बाड़गामी, जलगांव महाराष्ट्र के तड़वी भाषा के प्रतिष्ठित कवि जनाब रमज़ान गुलाब तड़वी। पश्चिम बंगाल टोटो भाषा की लेखिका श्रीमती  दिव्या टोटो।  कर्नाटका के बागड़ी भाषा की प्रतिष्ठित कावित्री लेखिका चट्टन बागड़ी।
12 मार्च 2022 शनिवार पूर्वाह्न 10 बजे से लेखक सम्मेलन में लब्धप्रतिष्ठित अंग्रेज़ी लेखक राजनेता श्री शशि थरूर का संवत्सर व्याख्यान होना था परन्तु किसी कारणवश वह उपस्थित नहीं हो सके परन्तु उसकी अध्यक्षता साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष श्री माधव कौश ने अपने रचनात्मक अनुभव साझा किया। 
वही पूर्वाह्न 11:15  से 12 बजे  तक चलने वाले कार्यक्रम आमने-सामने जिसमे साहित्य अकादमी पुरस्कार 2021 से पुरुस्कृत लिखकों की प्रतिष्ठित साहित्यकारों और विद्वानों से बात-चीत, जिसमे पुरुस्कृत असमिया लेखिका अनुराधा शर्मा पुजारी से भवनेश्वर डेका की बात चीत। 
दोपहर 12 बजे से 12:45 बजे तक पुरुस्कृत प्रख्यात बाड़ला लेखक ब्रात्य बसु से वरिष्ठ पत्रकार सुबोध सरकार से बात-चीत। 
12:45 से 1:30 बजे तक पुरुस्कृत प्रख्यात गुजराती लेखक यज्ञेश दुबे के साथ वरिष्ठ पत्रकार लेखक समीक्षक विनोद जोशी के साथ बात चीत रही।
दोपहर खाने के बाद 2:30 बजे अपराह्न 3:15 तक पुरुस्कृत प्रख्यात वरिष्ठ हिंदी लेखक दया सिन्हा के साथ पत्रकार चंदन कुमार की बात चीत।
 वहीं दूसरी ओर 2:30 से 3:15 दूसरे हाल में 1947 के बाद भारत मे नाटक का विकास पर “परिसंवाद” कार्यक्रम उद्घाटन सत्र का आरम्भ हुआ जिसमे स्वागत वक्तव्य साहित्य अकादमी के सचिव माननीय श्रीनिवासनराव द्वार किया गया वहीं उद्घाटन वक्तव्य     रंग मंच के प्रख्यात अभिनेता एवं निर्देशक, रंग-व्यक्तित्व माननीय श्री भानु भारती एवं अध्यक्षीय वक्तव्य साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माननीय श्री चंद्रशेखर खंबार ने दिये। तथा 3:15  से 4:00 बजे तक विचार सत्र का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता कन्नड़ कवि, नाटककार अभिनेता निर्देशक एवं  समालोचक श्री सतीश कुलकर्णी, और आलेख पाठ -भारतीय रंगमंच की विशेषज्ञा निर्देशक और प्रशिक्षक, असमिया लेखक रबिजिता गोगोई , रंग निर्देशक और नाट्य आचार्य शांतनु बोस, प्रतिष्ठित लेखक एवं पत्रकार श्री संगम पांडे,  प्रख्यात रंगकर्मी नाटककार लोचक, निर्देशक, अभिनेता राजा वारियर, मणिपुर के प्रख्यात कवि एवं लेखक पी. बीरचंद्र सिंह, मराठी रंगमंच और साहित्यिक जगत के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व श्री अभिराम भडकमकर ने भाग लिया।
3:15 से संध्या 4 बजे तक पुरुस्कृत प्रख्यात तमिल लेखिका अम्बई से मालन की बात चीत चली तो वहीं 4 बजे से  पुरुस्कृत तेलगु लेखक गोरटी वेंकन्ना के साथ नागमलेश्वर राव की बात चीत के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।
 इसके बाद संध्या 5 बजे कमानी ऑडोटेरियम मंडी हाउस में 24 साहित्यकारों, लिखकों, और रंगमंच कर्मियों, को साहित्य अकादमी का साहित्य पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। 
13 मार्च को एक ओर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर साहित्य का प्रभाव पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका उदघाटन सत्र पूर्वाह्न 10:30 से आरम्भ हो कर 11:30 बजे तक चला जिसमे स्वागत वक्तव्य साहित्य अकादमी के सचिव माननीय के. श्रीनिवासन एवं उदघाटन वक्तव्य प्रख्यात हिंदी कवि एवं समालोचक  विश्वनाथ प्रसाद तिवारी , बीज वक्तव्य , प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी लेखक एवं अनुवादक हरीश त्रिवेदी, अध्यक्षीय वक्तव्य , साहित्य अकादनी के  अध्यक्ष माननीय श्री चंरशेखर कंबार, तथा समापन वक्तव्य उपाध्यक्ष साहित्य अकादमी माननीय श्री माधव कौशिक, ने किया ।
प्रथम सत्र का आरम्भ मध्याह्न 12:00 बजे से 1:30 तक चला जसमे राष्ट्रवादी साहित्य और स्वतंत्रता का विचार कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता नंदकिशोर आचार्य ने किया तथा इसमे आलेख पाठ वेल्लीककील राघवन , कपिल कुमार, एम.ए. आलवार ने किया।
इसके दूसरा सत्र दोपहर बाद 2:30 पर आरम्भ हुआ और संध्या 4:0 बजे तक चला जसमे भारतीय साहित्य और उभरता भारत पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता दामोदर मावज़ों ने किया और इसमे आलेख पाठ राणा नायर, धनंजय सिंह, जयदीप सारंगी ने किया।
तथा तीसरा सत्र संध्या 4:30 से 6:0 तक चला जसमे “स्वतंत्रता आंदोलन में अनुवाद की भूमिका” पर परिचर्चा किया गया जिसकी अध्यक्षता चंद्रकांत पाटिल, ने किया तथा इसमे आलेख पाठ लेखिका रख्शन्दा जलील, लेखक दामोदर खडसे, जीवन नांडूंग ने किये।
वही दूसरे हाल में 2:30 से 3:00 तक परिसंवाद कार्यक्रम चल जिसका विषय 1947 के बाद भारतीय भाषाओं में फैंटेसी और साइंस फिक्शन लेखन पर चर्चाचा हुई जिसमें स्वागत वक्तव्य साहित्य अकादमी के सचिव माननीय के.श्रीनिवासराव ने दिये एवं उदघाटन वक्तव्य प्रख्यात हिंदी लेखक माननीय श्री देवेन्द्र मेवाड़ी ने दिये।
वहीं 3:00 बजे से 5 बजे तक विचार सत्र का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता, ज़मा आज़ूरदा ने किया तथा उसमें, रत्ना तामुली(आसिमया), रजत चौधरी(अंग्रेज़ी)लेखक, जोजेफ तुस्कानों मराठी लेखक, ओडिया लेखक कमलाकांत जेना , संस्कृत भाषा के जानकार जनार्दन हेगेंडे, तमिल के लेखक इरा नट्रासन, ने आलेख पाठ किये। 
 वहीं दूसरी ओर दूसरे हाल में संध्या 6:00 से महत्ता सदस्य अर्पण “जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य, प्रख्यात संस्कृत विद्वान दार्शनिक एवं आध्यात्मिक गुरु का ज्ञान संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे स्वागत वक्तव्य एवं प्रशस्ति – पाठ साहित्य अकादमी के सचिव माननिय के. श्रीनिवासराव ने किया । महत्तर सदस्यता अर्पण अध्यक्षीय वक्तव्य  साहित्य अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कांबर ने दिये। स्वीकृती वक्तत्य पर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने विचारों से संबोधीत किया। तथा अभिनंदन वक्तत्य साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माननीय श्री माधव कौशिक ने दिया। 
इसके बाद संवाद कार्येक्रम आरंभ हुआ जिसकी अध्यक्षता साहित्य अकादमी के संयोजक व संस्कृत परामर्श मंडल अभिराज राजेन्द्र मिश्रा ने किया। तथा वक्ता का समापन रमाकांत शुक्ल और रामसलाही द्विवेदी ने किया । 
14 मार्च — चौथा सत्र का शुभारंभ पूर्वाह्न 10:00 से 11:30 तक साहित्य अकादमी के पहली मंजिल पर सभागार में किया गया
 जिसमे “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पे साहित्य का प्रभाव ” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया  वहीं भारतीय अंग्रेज़ी साहित्य का उदय” पर चर्चा किया गया जिसकी अध्यक्षता पूर्व अध्यक्ष अंग्रेज़ी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय सुमन्यु शतपथी ने की, तथा लेखन पाठ – सचिन सी. केतकर, ॐ द्वेवेदी, सायनतन दास गुप्ता, 
चाय के बाद फिर 5वां सत्र के दोपहर  12 बजे से 1:30 से आरम्भ हुआ  ” स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारिता की भूमिका” विषय पर संवाद कार्यक्रम किया गया जिसकी अध्यक्षता पूर्व निर्देशक एनबीटी ,कुलपति बलदेव भाई शर्मा ने की,  एवं मालन वी नारायण, अनंत विजय, मधु आचार्य (आशावादी) ने आलेख पाठ किये।
दोपहर के भोजन के बाद छठा सत्र 2:30 से संध्या 4 बजे तक आयोजित किया गया, जिसमे “भारतीय कथा साहित्य में स्वतंत्रता की तड़प” विषय पर संवाद कार्यक्रम किया गया जिसकी अध्यक्षता के.सचिदानंद, की, और बी तिरुपति राव , दर्शना धोलकिया, गौरहरि दास, ने आलेख पाठ किया। 
चाय के बाद संध्या 4:30 से 6:00बजे तक “लोक साहित्य और स्वतंत्रता आंदोलन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता शीतांशु यशश्चंद्र ने किया तथा महेंद्र कुमार मिश्र, प्रदीप ज्योति महंत और फ़ारूक़ फ़ैयाज़ ने आलेख पाठ किया।
 वहीं दूसरी ओर परिसर के दूसरे हाल में ट्रांसजेंडर कवि सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें स्वागत वक्तव्य साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासनराव ने क्या  तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित प्रख्यात कवि एवं समालोचक विनोद जोशी ने अपने वक्तव्य दिये, तथा अध्यक्षीय वक्तव्य अकादमी के अध्यक्ष माननीय श्री चंद्रशेखर कंबार ने दिये। इस अवसर बाड़ला कवि पार्थसारथी मजूमदार, गुजराती कावित्री एवं लेखिका पायल राठवा, हिंदी कावित्री रेशमा प्रसाद, ओड़िया कावित्री मीरा परिडा, मराठी कावित्री एवं साहित्य लेखक दिशा शेख़, एवं तमिल कावित्री कल्कि सुब्रमनियम, ने कविता पाठ किये।
वही दूसरी ओर संध्या 4:30 से 6:00 बजे ट्रांसजेंडर का पहला सत्र परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता मानवी बंधोपाध्याय ने किया तथा बाड़ला भाषा मे मृत्तिका (अभिजीत चटर्जी), हिंदी कवि धनंजय चौहान, हिंदी कावित्री रवीना बरिहा,  हिंदी कवि ऋतवीक चक्रवर्ती, मलयालम कावित्री विज्याराजमल्लिका ओड़िया कविर्ती साधना मिश्र एवं उर्दू कविता मनीषा महंत ने कविता पाठ किये।
15 मार्च को 8वां सत्र प्रारम्भ करते हुए प्रातः 10:00-से 11बजे तक साहित्य अकादमी के सभागार में “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर साहित्य का प्रभाव ” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । और “भारतीय कविता और स्वतंत्रता आंदोलन ” विषय पर संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता लेखक उदय नारायण सिंह, ने किया। और आर राजराव, जतिंदर कुमार नायक, कृष्ण मनवल्ली ने कविता पाठ किया।
चाय के बाद नौवाँ सत्र में दोपहर 12:00 बजे से 1:30 तक के कार्यक्रम “स्त्री लेखक और स्वतंत्रता आंदोलन”,  जिसकी अध्यक्षता संजुक्ता दास गुप्ता, ने की तथा कार्बी डेका हज़ारिका, सुनीता भड़वाल, सुध शेषाययन ने आलेख पाठ किया। 
दोपहर भोजन के बाद दसवां सत्र में “हाशिय पर स्वर और स्वतंत्रता आंदोलन” कार्यक्रम की अध्यक्षता अनिल कुमार बर, नई किया तथा मदन मोहन सोरेन, हरिराम मीणा , श्युराज सिंह बेचैन, ने आलेखपाठ किया।
वही  “साहित्य एवं स्त्री सशक्तिकरण” विषय पर  परिसंवाद कार्यक्रम में उद्घाटन सत्र में कार्यक्रम की अध्यक्षता ममता कालिया, तथा आसिमया लेखक पोरी हिलोईदारी, बोडो लेखक अंजली दाईमारी, अंग्रेज़ी लेखक नीतू, गुजराती लेखक उर्वशी पांड्या, संताली की लेखिका रानी मूर्मू, तामील भाषा लेखिका की सलमा, और उर्दू लेखिका हिना अफ़साना ने आलेख पाठ किये।
अंतिम दिन के उद्घाटन सत्र में “उत्तर-पूर्वी, और लेखक सम्मेलन”  का स्वागत वक्तव्य साहित्य अकादमी के सचिव माननीय श्रीनिवासराव ने किया तथा उद्घाटन वक्तव्य प्रख्यात हिंदी कवि अरुण कमल ने किया एवं विशिष्ट अतिथि वक्तव्य प्रख्यात आसिमया लेखक ध्रुव ज्योति बोरा ने दिया। 

Comments are closed.