विश्वविद्यालय राज्य सरकार के अधीन या केंद्र सरकार के अधीन या स्वमित्वधीन – आखिर क्यूँ विश्विद्यालय भी मनमानी करने लगे ?

गवर्निंग बॉडी के गठन हुए बिना ही दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित कॉलेजों में चल रहे साक्षात्कार - इन कॉलेजों में पदों की भर्ती या कोई भी वित्तीय निर्णय दिल्ली सरकार के प्रतिनिधित्व वाले गवर्निंग बॉडी के अप्रूवल के बिना नहीं लिया जा सकता है - मनीष सिसोदिया

गवर्निंग बॉडी के गठन हुए बिना ही दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित कॉलेजों में चल रहे साक्षात्कार – इन कॉलेजों में पदों की भर्ती या कोई भी वित्तीय निर्णय दिल्ली सरकार के प्रतिनिधित्व वाले गवर्निंग बॉडी के अप्रूवल के बिना नहीं लिया जा सकता है – मनीष सिसोदिया

विश्वविद्यालय राज्य सरकार के अधीन या केंद्र सरकार के अधीन या स्वमित्वधीन – आखिर क्यूँ विश्विद्यालय भी मनमानी करने लगे ?

गवर्निंग बॉडी के गठन हुए बिना ही दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित कॉलेजों में चल रहे साक्षात्कार – इन कॉलेजों में पदों की भर्ती या कोई भी वित्तीय निर्णय दिल्ली सरकार के प्रतिनिधित्व वाले गवर्निंग बॉडी के अप्रूवल के बिना नहीं लिया जा सकता है – मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली – जब से दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनी है तब से अभी तक दिल्ली की सरकार जैसी एक दरबान और एक ऑफ़िस बॉय दोनों का काम एक ही आदमी कर रहा है। मालिक एक है और एक ही नौकर डबल ड्यूटी क्र रहा है हर रोज़ मालिक की दांत खाता है और बेचैन सा रहता है।  जाए तो जाए कहाँ ? केंद्र सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री और अपने दिल्ली स्टेट मैनेजर दिल्ली के उपराजयपाल को दिल्ली के सरकार के सर पर बिठा कर केजरीवाल सरकार का जीना मुहाल कर दिया है। एक अन्य राज्य स्कार की तरह दिल्ली की केजरीवाल सरकार को स्वय निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।  इसलिए की दिल्ली को स्वत्ता प्राप्त नहीं हैं , दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है।  केंद्र सरकार दिल्ली को एक दरबान की तरह इस्तेमाल करती आ रही है।  पूर्व में केंद्र की यूपीए सरकार में दिल्ली सरकार कांग्रेस की थी , और केंद्र की यूपीए का संचालन कांग्रेस के हाँथ में था तो दिल्ली सुचारु रूप से विकास क्र रहा था साड़ी संस्थाएं सुचारु रूप से चल रहा था कोई दिक्कत नहीं थी।  परन्तु अब केंद्र में भाजपा की सरकार है और दिल्ली में आम आदमी पार्टी  यानी  केजरीवाल सरकार है जबकि दोनों एक ही संस्था के कार्यकर्ता हैं और एक गुरु के शिष्य हैं, और फिर दोनों का गोत्र भी मूलतः एक ही है , बावजूद बड़ा भाई छोटे भाई को दिल्ली दरबार चलाने नहीं दे रहा है। बड़ी अजीब सी बात है? 
बहरहाल – दिल्ली सरकार का  उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो.योगेश सिंह को पत्र लिखते हुए गवर्निंग बॉडी के पूरा न होने के बावजूद स्वामी श्रद्धानद कॉलेज में स्थायी पदों के लिए चल रहे साक्षात्कारों को तत्काल रद्द करने की बात कही। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा शासित कॉलेजों के लिए लिया गया कोई भी वित्तीय निर्णय दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालता है। ऐसे में इन कॉलेजों में पदों की भर्ती या अन्य कोई भी वित्तीय निर्णय दिल्ली सरकार के पर्याप्त प्रतिनिधित्व वाले गवर्निंग बॉडी के अप्रूवल के बिना नहीं लिया जा सकता है। इसलिए नियमों को ध्यान में रखते हुए कॉलेजों में स्थायी पदों के लिए भर्ती सहित वित्तीय प्रभावों के साथ कोई भी निर्णय पूर्ण रूप से कार्यरत गवर्निंग बॉडी के पूरी तरह गठन होने के बाद ही लिया जाए। 

श्री सिसोदिया ने पत्र में लिखा कि,”मेरे संज्ञान में आया है कि दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों में से कुछ में स्थायी पदों के लिए साक्षात्कार आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें स्वामी श्रद्धानद कॉलेज भी शामिल है, जहां 16/02/2023 से साक्षात्कार आयोजित किए जाएंगे। जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, इन 28 कॉलेजों में से कई में अभी पूरी गवर्निंग बॉडी नहीं है और वर्तमान में ये दिल्ली सरकार के प्रतिनिधित्व के बिना एक छोटे बॉडी द्वारा शासित है।

उन्होंने लिखा कि मैं शिक्षण के महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए साक्षात्कार आयोजित करने के महत्व को समझता हूं लेकिन इन कॉलेजों के लिए लिया गया कोई भी वित्तीय निर्णय दिल्ली सरकार पर भी वित्तीय प्रभाव डालता है। इसलिए, ऐसे सभी कॉलेजों में इन पदों के लिए निर्धारित साक्षात्कार तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाने चाहिए क्योंकि कोई भी वित्तीय निर्णय दिल्ली सरकार के पर्याप्त प्रतिनिधित्व वाले गवर्निंग बॉडी के अप्रूवल के बिना नहीं लिया जा सकता है। इसलिए नियमों को ध्यान में रखते हुए कॉलेजों में स्थायी पदों के लिए भर्ती सहित वित्तीय प्रभावों के साथ कोई भी निर्णय पूर्ण रूप से कार्यरत गवर्निंग बॉडी के पूरी तरह  गठन होने के बाद ही लिया जाए। 

बता दे कि शिक्षण पदों को भरने के महत्व को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के गठन की प्रक्रिया के संबंध में सरकार द्वारा 28/01/2023 को दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति को नामांकन भेजे जा चुके हैं। लेकिन नामांकन के पश्चात गवर्निंग बॉडी के चयन की प्रक्रिया अभी लंबित है। 

वहीँ दूसरी और केंद्र सरकार डिमॉलिश के लिय तैयार – राज्य सरकार पीड़ित परिवार को मदद के लिए तैयार

नई दिल्ली – साउथ दिल्ली स्थित महरौली में केंद्र सरकार की डीडीए द्वारा किए गए डेमोलिशन से बेघर हुए परिवारों के साथ केजरीवाल सरकार खड़ी हो गई है। गुरुवार को सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने मेहरौली में डेमोलिशन के चलते बेघर हुए परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के साथ टेंट, खाना, कंबल मुहैया कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अब यह फाइल एलजी के पास लंबित है। दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत और मदद पहुंचाने को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्ताव रखा था। राजस्व मंत्री ने डेमालिशन से प्रभावित परिवारों को सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल का अभार जताते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि सरकार के इस हस्तक्षेप से प्रभावित परिवारों को राहत मिलेगी। बता दें कि डीडीए ने महरौली पुरातत्व पार्क के विवादित सीमांकन के बहाने लाधा सराय गांव में कई घरों को गिरा दिया है। इसके चलते कई परिवार बेघर हो गए हैं और उनके पास बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। 
इससे पहले, राजस्व मंत्री श्री  कैलाश गहलोत ने डेमोलिशन से प्रभावित परिवारों को सहायता प्रदान करने को लेकर सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल के समक्ष प्रस्ताव रखा था। जिसमें उन्होंने कहा कि साउथ दिल्ली के लाधा साराय गांव में महरौली पुरातत्व पार्क के सीमांकन मामले की जानकारी मुझे वहां रहने वाले दो निवासियों ने दी। यह जानकारी मिलने के तत्काल बाद 10 फरवरी को मैंने साउथ दिल्ली के डीएम के साथ बैठक की। बैठक में मुझे बताया गया कि डीडीए के अनुरोध पर दिसंबर 2021 में सीमांकन किया गया। तब मैंने डीएम से पूछा कि क्या वहां के प्रभावित लोगों को सीमांकन के बारे में पहले सूचित किया गया था? क्योंकि मुझे बताया गया है कि प्रभावित लोगों को सीमांकन की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि 11 फरवरी 2023 को मैंने साउथ दिल्ली के डीएम को लाधा साराय, महरौली पुरातत्व पार्क का नए सिरे से सीमांकन कराने को कहा था। साथ ही, डीएम को सरकार के आदेश से डीडीए अधिकारियों को अवगत कराने का निर्देश दिया था कि इसका फिर से सीमांकन किया जाएगा, लेकिन इन निर्देशों का साउथ दिल्ली के डीएम द्वारा पालन नहीं किया गया। इसके बाद 14 फरवारी 2023 को फिर मैंने साउथ दिल्ली के डीएम को पत्र के जरिए निर्देशित किया कि सरकार के आदेश से डीडीए अधिकारियों को अवगत कराया जाए। राजस्व मंत्री बताया कि डीडीए द्वारा डेमोलिशन को रोक दिया गया है। जिला प्रशासन को बेघर हुए जरूरतमंद लोगों के लिए टेंट, भोजन, कंबल आदि की व्यवस्था करने का निर्देश दिया जाए। 
सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों के हितों की रक्षा के प्रति अपनी वचनबद्धता को प्रदर्शित करते हुए प्रभावित परिवारों को तत्काल सहायता एवं राहत प्रदान करने के लिए राजस्व मंत्री द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी। दिल्ली सरकार प्रभावित परिवारों को टेंट, भोजन, कंबल के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं के प्रावधान सहित हर संभव मदद पहुंचाना चाहती है। दिल्ली सरकार की यह पहल उन पीड़ितों के लिए एक स्वागत योग्य कदम है, जो डेमोलिशन अभियान से अपना गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस संकट की घड़ी में सरकार की तरफ से की गई यह त्वरित कार्रवाई सामाजिक कल्याण और न्याय पर बल देने के साथ ही सक्रिय शासन का उदाहरण प्रस्तुत करती है। अब इस फाइल को एलजी के पास भेजी गई है, जो अभी उनके पास लंबित है।
वहीं, राजस्व मंत्री श्री  कैलाश गहलोत ने मुख्यमंत्री को उनकी त्वरित कार्रवाई के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, “मैं महरौली डेमोलिशन अभियान से प्रभावित पीड़ितों को सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव को तत्काल स्वीकृत करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी का बहुत आभारी हूं। मुख्यमंत्री का यह समर्थन उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है कि दिल्ली सरकार अपने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाती रहेगी। मुझे विश्वास है कि सरकार के हस्तक्षेप से प्रभावित परिवारों को राहत मिलेगी और उन्हें इस कठिन समय में मदद मिलेगी।’’
*11 फरवरी को राजस्व मंत्री ने फिर से सीमांकन कराने के लिए साउथ दिल्ली डीएम को लिखा था पत्र
इससे पहले, 11 फरवरी 2023 को दिल्ली के राजस्व मंत्री श्री  कैलाश गहलोत ने महरौली क्षेत्र में डेमोलिशन की कार्रवाई पर साउथ दिल्ली के डीएम को पत्र लिखा था। जिसमें स्पष्ट किया गया कि डीडीए के अनुरोध पर राजस्व विभाग द्वारा सीमांकन की कार्रवाई उचित नहीं मानी जाएगी। उन्होंने साउथ दिल्ली के डीएम से यह भी कहा कि वे उनके आदेश से डीडीए के अधिकारियों को अवगत कराएं और नए सिरे से सीमांकन की कवायद शुरू की जाए। राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने लाधा सराय गांव स्थित महरौली पुरातत्व पार्क के सीमांकन के संबंध में साउथ दिल्ली के डीएम को पत्र लिखते हुए कहा था कि 9 फरवरी को लाधा सराय गांव के कुछ निवासियों ने और 10 फरवरी को मालवीर नगर के विधायक सोमनाथ भारती से एक शिकायत प्राप्त हुई। जिसमें कहा गया था कि डीडीए ने 12 फरवरी को महरौली क्षेत्र में डेमोलिशन के आदेश दिए हैं। इस आदेश के तहत डीडीए ने लाधा सराय गांव में सरकारी भूमि पर स्थित कथित अतिक्रमण को हटाने का निर्णय लिया है। प्राप्त शिकायत में यह भी कहा गया कि अतिक्रमण की पहचान करने के लिए डीडीए का एकमात्र स्रोत दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग द्वारा कथित भूमि का सीमांकन है। उक्त अभ्यावेदनों में यह भी कहा गया कि राजस्व विभाग द्वारा किया गया सीमांकन अवैध और शून्य था। इसे न तो कानून के अनुसार किया गया था और न ही इसे करने से पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया था। अभ्यावेदनों में अनुरोध किया गया था कि डेमोलिशन मामले का तत्काल संज्ञान लिया जाए और राजस्व अधिकारियों को सीमांकन रिपोर्ट को निरस्त करने के निर्देश दिए जाएं।
राजस्व मंत्री श्री  कैलाश गहलोत ने साउथ दिल्ली के डीएम को दिए पत्र में कहा था कि इस मामले में मुझे इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट के साथ-साथ सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई कि डीडीए ने 10 फरवरी को गांव लाधा सराय में डेमोलिशन अभियान चलाया है। वहां कई पुराने निर्माणों को यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया कि यह सरकारी भूमि पर बनाई गई हैं। 
*दिल्ली सरकार ने इन कारणों से डीडीए के अनुरोध पर राजस्व विभाग के सीमांकन को गलत बताया
1- लाधा सराय गांव घनी आबादी वाला क्षेत्र है और गांव में भवन व आवासीय घर बहुत पुराने हैं। यह एक स्वीकृत स्थिति है। 
2- 10 फरवरी की बैठक में राजस्व अधिकारियों द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि प्रभावित क्षेत्र में सीमांकन से पहले कब्जाधारियों को कोई नोटिस नहीं दिया गया था। जाहिर तौर पर सीमांकन करते समय कब्जाधारियों को शामिल नहीं किया गया। यह स्पष्ट है कि कब्जाधारियों को अंधेरे में रखकर सीमांकन किया गया और पीड़ित व्यक्तियों की कोई सुनवाई नहीं हुई थी। 
3- लाधा सराय गांव का शहरीकरण बहुत पहले ही हो गया था और इसलिए राजस्व विभाग राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट नहीं कर रहा है।
4- राजस्व अधिकारी इस तथ्य से अवगत थे कि डीडीए ने उनसे प्रभावित क्षेत्र के सीमांकन के लिए अनुरोध किया था, क्योंकि उनका इरादा उस क्षेत्र में डेमोलिशन अभियान चलाने का था। राजस्व अधिकारी डीयूएसआईबी अधिनियम 2010, दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास और स्थानांतरण नीति 2015  के प्रावधानों से अच्छी तरह से अवगत हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (विशेष प्रावधान) संशोधन अध्यादेश अभी भी प्रचलन में है और इसे समय-समय पर विस्तारित किया जा रहा है। राजस्व अधिकारियों को इसकी भी स्पष्ट जानकारी है।
5- यह स्पष्ट है कि राजस्व अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्र का सीमांकन करने से पहले उपरोक्त प्रावधानों पर विचार नहीं किया।
6- सर्वोच्च न्यायालय ने 5 जनवरी 2023 को दिए एक निर्णय में डेमोलिशन के आदेश पर रोक लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक उत्तराखंड राज्य में ध्वस्तीकरण अभियान पर लगाया है, जहां रेलवे के अंतर्गत आने वाली भूमि पर राज्य सरकार डेमोलिशन अभियान चलाने जा रही थी। 
7-यदि डीडीए के अनुरोध पर सीमांकन करने से पहले राजस्व अधिकारियों ने उपरोक्त बातों का ध्यान रखा होता तो निश्चित रूप से सीमांकन रिपोर्ट के अलग-अलग परिणाम सामने आते।
राजस्व मंत्री श्री  कैलाश गहलोत ने पत्र में कहा था कि इन सभी कारणों के मद्देनजर साउथ दिल्ली के डीएम को सलाह दी जाती है कि गांव लाधा सराय स्थित महरौली पुरातत्व पार्क का नए सिरे से सीमांकन किया जाए। साथ ही, इसका सख्ती से पालन किया जाए। सीमांकन की निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए इस कार्यवाई से प्रभावित होने वाले लोगों को सीमांकन रिपोर्ट तैयार करने के दौरान उपस्थित रहने के लिए कहा जाए। साथ ही, साउथ दिल्ली के डीएम को यह भी सलाह दी जाती है कि इस आदेश के बारे में वे तुरंत डीडीए अधिकारियों को सूचित करें और नए सिरे से सीमांकन की कवायद की शुरू जाए।

 

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