नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में अपने पसंदीदा लेखकों की झलक पाने के लिए उमड़ी पुस्तकप्रेमियों की भीड़।
आपको अपनी भाषा में बात करने पर गर्व होना चाहिए और तभी यह एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त कर सकती है", श्री पुजोल
आपको अपनी भाषा में बात करने पर गर्व होना चाहिए और तभी यह एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त कर सकती है”, श्री पुजोल
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में अपने पसंदीदा लेखकों की झलक पाने के लिए उमड़ी पुस्तकप्रेमियों की भीड़।
एमपीएनएन – संवादाता
नई दिल्ली – “पुस्तकें सदैव हमारे साथ रहेंगी। भले ही ई-पुस्तकें लोकप्रिय हैं, किंतु प्रकाशित पुस्तक को उठाकर पढ़ने का अपना अलग आनंद है। नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में मौजूद साहित्य का विशाल संग्रह बातचीत को गति देता है जो हमें अधिक स्मार्ट, सहिष्णु, सहानुभूतिपूर्ण और ज्ञानवान बनाता है” नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023 के एक सत्र में सुप्रसिद्ध लेखक कुलप्रीत यादव ने कहा। थीम-प्रकृति के अनुकूल, एक सत्र में, कुलप्रीत यादव ने 1962 की ऐतिहासिक लड़ाई के किस्सों, जिसमें 120 भारतीय सैनिकों ने अंत तक लड़ाई लड़ी और 1,000 से अधिक चीनी सैनिकों को परास्त किया, से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।थीम मंडप में माननीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार की पुस्तक ‘डॉ महेंद्रलाल सरकार’ का लोकपर्ण किया गया।
अंतरराष्ट्रीय गतिविधि मंच पर एक सत्र के दौरान हिंदी में कार्यक्रम आयोजित किया गया जो मेले में आए अंतरराष्ट्रीय साहित्य-प्रेमियों के लिए सुखद आश्चर्य था। ऑस्कर पुजोल, इंस्टीट्यूटो सर्वान्तिस के निदेशक और भारतीय संस्कृति के प्रशंसक ने एक इंडो-स्पेनिश साहित्यिक चर्चा में भाग लिया। “हिंदी बोलने वालों की संख्या इतनी है कि इसे एक वैश्विक भाषा बनने की क्षमता प्रदान करती है है। आपको अपनी भाषा में बात करने पर गर्व होना चाहिए और तभी यह एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त कर सकती है”, श्री पुजोल ने कहा।
बाल मंडप में आज का दिन भी ख़ास रहा, जिसमें बाल पाठकों के लिए मजेदार और आकर्षक सत्रों का आयोजन किया गया। बच्चों ने संखा समानता, जिन्होंने अपने शानदार करियर में 400 से ज्यादा स्टैंप डिजाइन किए हैं, से स्टैंप डिजाइनिंग का हुनर सीखा। प्रसिद्ध कहानीकार उषा छाबड़ा और अम्बालिका भट्ट ने बच्चों की कल्पनाओं को पंख देने और रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए दो कहानी कार्यशालाओं का आयोजन किया। बच्चों के लिए इंटर स्कूल क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला दुनिया भर के प्रमुख प्रकाशन संस्थाओं की भागीदारी को आकर्षित करता है और विचारों को साझा करने व साहित्यिक समझ को बढ़ाने के लिए एक आकर्षक मंच प्रदान करता है। इस वर्ष 35 से अधिक देशों ने मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और अंतरराष्ट्रीय गतिविधि मंच पर सेमिनार, चर्चा और ऐसी कई साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं। साहित्यिक अनुवाद संस्थान (मास्को) द्वारा अनुवाद संस्थान के अनुदान कार्यक्रम पर एक प्रस्तुति का आयोजन किया गया।
लेखक मंच और ऑथर्स कॉर्नर पर नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला के प्रत्येक दिन विभिन्न भारतीय भाषा के साथ अंग्रेजी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकारों की सहभागिता से साहित्यिक परिचर्चाओं का आयोजन किया जा रहा है। लेखक मंच पर पहले सत्र में शैलेंद्र शैल, बी. एल. गौड़, राकेश पांडेय, वीणा मित्तल, विवेक गौतम व अन्य कवियों ने सैनिक, देश-प्रेम आदि भावों से ओत-प्रोत कविताएँ सुनाईं। दूसरे सत्र में डॉ सांत्वना श्रीकांत की पुस्तक ‘स्त्री का पुरुषार्थ’ का लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन किया गया। राजेश्वर वशिष्ट की अध्यक्षता में डॉ इला घोष, डॉ राजवंती जाखर, लिली मित्रा और अनीता पांडेय ने इस काव्य-संग्रह की कविताओं पर विशद चर्चा की।
बिहार के माननीय राज्यपाल, श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर और लोकसभा सदस्य श्री रविशंकर प्रसाद ने भी आज मेले का अवलोकन किया।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023 का आयोजन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा आई टी पी ओ के सहयोग से 25 फरवरी से 5 मार्च 2023 तक प्रतिष्ठित प्रगति मैदान में किया जा रहा है। स्कूल यूनिफॉर्म में बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनो के लिए प्रवेश निःशुल्क है। टिकट चुनिंदा मेट्रो स्टेशनों पर और ऑनलाइन insider.in पर उपलब्ध हैं।
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