उर्दू साहित्य एवं टिप्पणीकार चिराग़े उर्दू अब्दुल क़वी देसनवी का 94वे जयंती, और भरतीय उर्दू स्कॉलर खामोश?
जन्म 1 नवंबर 1930 को बिहार के नालंदा जिले के देसना गाँव में हुआ।
उर्दु के इस अज़ीम नायक को देसनवी के पूर्वज विद्वानों के परिवार से थे, और उनका गाँव देसना, साहित्य और संस्कृति का केंद्र था, जो अपनी समृद्ध विरासत के लिए जाना जाता है।
सारी दुनिया उर्दू के प्रसिद्ध लेखक और साहित्यिक टिप्पणीकार अब्दुल क़वी दसनवी की 94वीं जयंती मना रही है।
सैय्यद आसिफ इमाम काकवी
अब्दुल क़वी देसनवी उर्दू साहित्य के प्रमुख लेखकों में से एक थे, जिन्होंने उर्दू साहित्य के प्रचार और प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 1 नवंबर 1930 को बिहार के नालंदा जिले के देसना गाँव में हुआ। आज उनकी यौम ए वाफ़ात है ख़िराज ए अक़ीदत पेश कर दीजिए उर्दु के इस अज़ीम नायक को देसनवी के पूर्वज विद्वानों के परिवार से थे, और उनका गाँव देसना, साहित्य और संस्कृति का केंद्र था, जो अपनी समृद्ध विरासत के लिए जाना जाता है। इस गाँव में स्थित अल-इस्लाह उर्दू लाइब्रेरी ने भी इस साहित्यिक माहौल में अपनी भूमिका निभाई। इस लाइब्रेरी को देखने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और तत्कालीन राज्यपाल डॉ. जाकिर हुसैन भी आए थे, जिससे गाँव की प्रसिद्धि और बढ़ गई।
शिक्षा और दीक्षा अब्दुल क़वी देसनवी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहार में प्राप्त की, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए वे मुंबई चले गए। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भोपाल में बसने का निर्णय किया, जहाँ उन्होंने अपनी जिंदगी के लगभग पचास साल बिताए। यहाँ उन्होंने सैफिया कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में उर्दू साहित्य पढ़ाया और अपनी साहित्यिक यात्रा को एक नई दिशा दी।
साहित्यिक योगदान
अब्दुल क़वी देसनवी ने उर्दू के महान शायरों और विद्वानों पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। उनके लेखन में मिर्ज़ा ग़ालिब, अल्लामा इक़बाल, और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसी प्रमुख हस्तियों पर गहन शोध शामिल है। उनकी रचनाओं ने न केवल इन हस्तियों के जीवन और विचारों को उर्दू साहित्य में जीवंत किया, बल्कि उन लोगों के विचारों को व्यापक पाठक वर्ग तक पहुँचाया।
उनकी प्रमुख कृतियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
• ग़ालिब: शख़्सियत और फ़िक्र
• इक़बाल की शायरी का नज़रिया
• मौलाना आज़ाद के नज़रिए
इसके अलावा उन्होंने कई कविताएँ, निबंध और फिक्शन भी लिखे, जिनमें उनकी साहित्यिक विद्वता और भावुकता स्पष्ट दिखाई देती है।
शागिर्द और साहित्यिक धरोहर
देसनवी के शागिर्दों में बॉलीवुड के प्रसिद्ध लेखक और गीतकार जावेद अख्तर, कवि मुश्ताक़ सिंह, इक़बाल मसूद, प्रोफेसर मुज़फ़्फ़र हनफ़ी, और प्रोफेसर ख़ालिद महमूद जैसे कई महत्वपूर्ण नाम शामिल हैं। उनके मार्गदर्शन में कई शागिर्दों ने उर्दू साहित्य में नाम कमाया और अपने-अपने क्षेत्र में विशेष योगदान दिया।
पुरस्कार और सम्मान
अब्दुल क़वी देसनवी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें शामिल हैं:
• नवाब सिद्दीक़ी हसन ख़ान अवार्ड (भोपाल)
• बिहार उर्दू अकादमी अवार्ड
• ऑल इंडिया परवेज़ शहीदी अवार्ड (वेस्ट बंगाल)
देसना गाँव और उसकी सांस्कृतिक विरासत
अब्दुल क़वी देसनवी का जन्मस्थान देसना गाँव भी विशेष सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यह गाँव नालंदा जिले के बिहारशरीफ़ के पास स्थित है और एशिया के महान इस्लामिक विद्वान सैयद सुलैमान नदवी का भी यह गाँव है। देसना की संस्कृति में साहित्य, विद्वता, और परंपरा की गहरी छाप है, जो अब्दुल क़वी देसनवी की साहित्यिक सोच में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।
निष्कर्ष
अब्दुल क़वी देसनवी ने अपने जीवन में उर्दू साहित्य को एक नई पहचान दिलाई और अपने लेखन से उर्दू साहित्य प्रेमियों को गहरा योगदान दिया। उनके साहित्यिक कार्यों ने नई पीढ़ियों को उर्दू भाषा और साहित्य से जोड़ा और उनके द्वारा प्रशिक्षित शागिर्दों ने उनके विचारों और शिक्षाओं को आगे बढ़ाया। उनका जीवन और कार्य उर्दू साहित्य की एक अमूल्य धरोहर है।
सैय्यद आसिफ इमाम काकवी