आकाशवाणी रंगभवन में भव्य समारोहों की भव्य प्रस्तुतियां
विभिन्न संस्थाओं में आयोजित कार्यक्रमों से "एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य" की परिकल्पना को तो सार्थक हुई ही , एक भारत: श्रेष्ठ भारत के भाव को भी भी बल मिला ।
विभिन्न संस्थाओं में आयोजित कार्यक्रमों से “एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य” की परिकल्पना को तो सार्थक हुई ही , एक भारत: श्रेष्ठ भारत के भाव को भी भी बल मिला ।
आकाशवाणी रंगभवन में सांस्कृति समारोहों की भव्य प्रस्तुतियां
MPNN-News
नई दिल्ली – आकाशवाणी की ओर से भारत द्वारा जी 20 की अध्यक्षता के उल्लास में आयोजित कार्यक्रमों का अल्प विराम 6 सितम्बर को आकाशवाणी के रंगभवन सभागार में विभिन्न भव्य संगीतमयी प्रस्तुतियों के साथ सम्पन्न हुआ । 21 जुलाई से 6 सितंबर तक आकाशवाणी, दिल्ली द्वारा राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विभिन्न शिक्षा संस्थानों और अटारी बार्डर (एक शाम जवानों के नाम) में गीत, संगीत, नृत्य, लोक नृत्य, नाटक, साहित्य और लोक कलाओं पर आधारित अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलते ही आकाशवाणी हर दिन कोई न कोई कार्यक्रम जी 20 पर आयोजित करता आ रहा है ।
लगभग 50 दिन तक चले इस रंगारंग समारोह का उद्घाटन 21 जुलाई को आकाशवाणी रंगभवन सभागार में आकाशवाणी की प्रिंसिपल महानिदेशक डॉ. वसुधा गुप्ता ने अपने इस वादे और इरादे के साथ किया था कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य साहित्य, कला और संस्कृति का संरक्षण तो है ही, ज्ञान मनोरंजन और युवा प्रतिभाओं को मंच देना भी है । आकाशवाणी, दिल्ली के कार्यक्रम प्रमुख श्री मनोहर सिंह रावत के सफल और कुशल नेतृत्व में आकाशवाणी के तमाम कार्यक्रम अधिकारियों ने दिन-रात एक करके इस कार्यक्रम को बेहतर अंजाम दिया। विभिन्न संस्थाओं में आयोजित कार्यक्रमों से “एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य” की परिकल्पना को तो सार्थक हुई ही , एक भारत: श्रेष्ठ भारत के भाव को भी भी बल मिला ।
6 सितम्बर को रंगभवन में देश के अनेक क्षेत्रों से आए गीत, संगीत और नृत्य कलाकारों ने लगभग 7 घंटे तक संगीत मैराथन के माध्यम से देश के आत्मिक भाव को यहां जीवंत किया। ये जी 20 में भाग ले रहे तमाम देशों का स्वागत अभिनंदन भी था । उद्घाटन की तरह ही इस कार्यक्रम का समापन भी आकाशवाणी की प्रिंसिपल महानिदेशक डॉ. वसुधा गुप्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ । इस भव्य संगीतमय मैराथन की शुरुआत बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) के युवा कलाकार श्री जुगल किशोर नामदेव और पार्टी द्वारा मां शीतला की स्तुति में प्रस्तुत बधाई संगीत के साथ हुई ।
इस स्तुति के बाद गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज के छात्रों द्वारा पंजाबी लोक गीत ने पूरे रंगभवन को अपने नृत्य पाश में बांध लिया। तदुपरांत बुंदेलखण्ड के कलाकारों ने फिर माता का स्तुति गान से सबको शारदीय नवरात्र के आगमन की भक्ति में डुबो दिया। गुरु तेग बहादुर कॉलेज के विद्यार्थियों ने लुड्डी डांस और पंजाबी मार्शल आर्ट प्रस्तुत किया। इसके बाद बुन्देलखण्ड के कलाकारों द्वारा प्रांतीय गीत – नृत्य प्रस्तुत किये । इसके बाद “एक भारत श्रेष्ठ भारत ” की परिकल्पना को चरितार्थ करती ये संगीत मैराथन उत्तर भारत की ओर मुड़ गई । संसार चंद एंड पार्टी द्वारा जब हिमाचल प्रदेश के किन्नौर क्षेत्र का लोक नृत्य प्रस्तुत किया तो उपस्थित अतिथियों के हृदय में हल्की सी सिहरन दौड़ गई । बिष्णु प्रिया और समूह द्वारा जब असम का बिहू नृत्य प्रस्तुत किया तो लगा जैसे दर्शक घाटियों और पठारों में सजीव बैठे हो । कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति में असम की वादियों का चित्र खींच दिया। सिक्किम के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत घंटू नृत्य की प्रस्तुति ने देर तक उपस्थित अतिथियों को घाटियों और पठारों से दूर नहीं होने दिया ।
गुजरात की साक्षी सेठ और समूह ने यहां गरबा नृत्य कर आने वाले नवरात्रों को स्मृत करवा दिया । नम्रता राय एंड पार्टी द्वारा प्रस्तुत “गीत गोविंद” ने जन्माष्टमी की देहरी पर आशा के अनेक दीप जला दिए । इस रंगारंग समारोह का समापन विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों और आकाशवाणी के अधिकारियों – कर्मचारियों और रेडियो के प्रस्तुतकर्ताओं द्वारा पेश अभिनंदन राग के साथ हुआ । समारोह का समापन कार्यक्रम प्रमुख श्री मनोहर सिंह रावत द्वारा कार्यक्रम की सफलता में योगदान देने वाले प्रत्येक अधिकारियों, कर्मचारियों, पत्रकारों, रिपोर्टर्स को धन्यवाद ज्ञापन और पुष्प उपहार के साथ हुआ । अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि यह महज छोटा सा पड़ाव है । अभी बहुत कुछ शेष है। जल्द ही आकाशवाणी दिल्ली द्वारा देश के पहले सीमावर्ती गांव माणा में एक बेहतरीन प्रस्तुति का आयोजन किया जाएगा । उन्होंने बताया कि आकाशवाणी के नियमित दर्शकों के अलावा इन कार्यक्रमों को आकाशवाणी के लाइव यूट्यूब चैनल पर दुनिया भर में 2.5 मिलियन दर्शकों ने देखा।
कार्यक्रमों की श्रंखला में इससे पूर्व शुक्रवार 1 सितंबर को आकाशवाणी, दिल्ली के रंगभवन सभागार में ही कव्वाली और मुशायरे का आयोजन किया गया । सांय 5 बजे उप महानिदेशक श्री जितेंद्र परूती, कार्यक्रम प्रमुख श्री मनोहर सिंह रावत और सहयोगी कार्यक्रम अधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर मां शारदे की वंदना में शिरकत की।
इस शामे महफिल का बहुत ही बेहतरीन आगाज कर रही सुश्री तपस्या ने ज्योंहि इस महफिल की निजामत के लिए मकबूल शायर और आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी जनाब नोमान शौक़ को माईक पर आमंत्रण दिया , उनका दोहरा संघर्ष पल में नयी गरिमा, नए उत्साह और अशआरीय जीवट में बदल गया । उन्होंने रात की दहलीज पे माइक को पतवार की तरह ऐसे थामा कि रात के कदम घड़ी – दर – घड़ी थमते चले गए । मुशायरे का वक्त पहले 2 बजे तय था मगर वक्त को ये अच्छी तरह मालूम था कि दिन के उजाले में चांद किसे ढूंढेगा ?
युवा शायरा अलीना इतरत ने जब अपना मशहूर शेर पढ़ा-
“अभी तो चाक पे जारी है रक़्स मिट्टी का,
अभी कुम्हार की नीयत बदल भी सकती है । “
तो पूरी महफिल जवां होती चली गई ।
जनाब नोमान शौक़ ने भी इस महफिल को अपनी शायरी से नवाजा –
“कायदे बाज़ार के इस बार उल्टे हो गए,
आप तो आए नहीं पर फूल मंहगे हो गए ।”
जनाब शकील आज़मी जब मंच पर आए तो रंगभवन में अश्आर की बहार छा गई –
“मैं अगर रुकता तो ये शहर मेरे गाँव आता,
मैंने ही निकलने में बहुत जल्दी की ।”
“मैंने दीवार पे क्या लिख दिया खुद को,
बारीशे होने लगी मुझको मिटाने के लिए ।’
जनाब इकबाल अशहर के शेर –
“ये कौन बैठा है दहलीज पे उदास-उदास,
ये किस गली में चला आया बेइरादा मैं ।”
के अर्थ की बयानी ज़ाहिर हुई तो उपस्थित कई श्रोताओं के अतीत और वर्तमान के अंधियारे रोशन हो गए ।
“किसी को कांटों से चोट पहुंची , किसी को फूलों ने मार डाला
जो इस मुसीबत से बच गए थे उसे वउसउलओ ने मार डाला.”
जैसे शेर भी मानवीय चिंता और चेतना के प्रहरी बनकर श्रोताओं की स्मृति में क़ैद हो गए .
” सभी को याद रखना भी कभी मुमकिन नहीं होता,
किसी को याद रखते हैं किसी को भूल जाते हैं ।”
शायरी किसी व्यक्ति विशेष की नहीं जज्बातों का दूसरा नाम है। लगभग तीन घंटे के इस शआमए-मुशायरे ने सभी को अपने जज्बातों में बांधें रखा।
सर्व श्री आलम खुर्शीद, शकील जमाली, इकबाल अशहर, अज़्म शाकिरी, शकील आज़मी, अलीना इतरत, तारिक़ क़मर और इरशाद ख़ां सिकंदर आदि सभी ने कमाल के कलाम पढ़े।
इस महफिल के बाद निज़ामी बंधु और साथियों की कव्वाली ने तो इस शाम में रआतए-जउन्हआई के ऐसे रंग भरे कि श्रोताओं की रूह रोशन हो उठी ।
3 सितम्बर को आकाशवाणी के अधिकारियों -कर्मचारियों द्वारा आकाशवाणी, संसद मार्ग से क्नाट पैलेस होते हुए आकाशवाणी तक
जी-20 दौड़ ने भी हर पथिक का ध्यान खींचा । SSB बैंड द्वारा इस दौड़ के स्वागत से अभी तक सभी अभिभूत हैं।