जी 20 शिखर सम्मेलन 2023 चकाचौंध परन्तु पीछे घनाघोर अंधेरा

जी 20 शिखर सम्मेलन ने जलता, कराहता भारत को बना दिया विश्व का हीरो। सम्पूर्ण विश्व में साबित कर दिया हिन्दू राष्ट्र। 

5 महीने से भारत का जलता हुआ उत्तरपूर्व राज्य मणिपुर, जिसके उठते हुए शोलों की चकाचौंध क्र देनी वाली रौशनी में नई दिल्ली जी 20 शिखर सम्मेलन को त्रेताकाल के शृंगार से सजा कर भारत मिलन समारोह में बीसों देशों के साथ  कोई न कोई करार पर हस्ताक्षर करवा कर भारत विश्व व्यापार मेला साबित क्र दिया।

बिलखते, जलते कांपते भारत के सीने पर जी 20 अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन 2023 के कामयाबी का जश्न।

 जी 20 शिखर सम्मेलन ने जलता, कराहता भारत को बना दिया विश्व का हीरो। सम्पूर्ण विश्व में साबित कर दिया हिन्दू राष्ट्र – परिणाम ज़ीरो
जी 20 शिखर सम्मेलन 2023 चकाचौंध परन्तु दूसरी ओर ग़म – ग़ुस्सा और असमंजसता ????????
 जलता, कराहता भारत के सीने पर जी 20 अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का भव्य समारोह में मनुवादी हिन्दू राष्ट्र की क्षवी दिखाने की कोशिश – नकारात्मक परिणाम।
नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी भारत के 10 वर्षीय प्रधानमंत्री जिनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम होगी, और फिर प्रशंसा कोई करे न करे, उनकी अपनी खरीदी हुई गुलाम मीडिया तो युद्ध स्तर पर जी जान से प्रशन्सा तो कर ही रही है। इस विश्व व्यापी – जी 20 अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन को त्रेतायुग के सारे स्मृति चिन्ह के प्रतीकों से सम्मेलन की जगह नई दिल्ली के प्रगति मैदान को सजा कर और अपने सभा मे इंडिया नाम की जगह #भारत# शब्द के नाम का एक पट्टी लगा कर  हिन्दू राष्ट्र साबित करने की कोशिश की। कोई माने या माने – पहले किसी भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले समेलन में भारत, हिंदुस्तान, इंडिया को सर्व-धर्म-सम्मत का प्रतीक चिन्ह लगया जाता था जिसमे  मुसलमानों का चांद-तारा, क्रिश्चनों का होली क्रोस, सिखों का गुरुद्वारे का एक प्रतीक चिन्ह लगाया जाता था, जिस से साबित होता था कि इस पावन धरती पर धर्मों के लोग सद्भावनापूर्ण आपस के मिल जुल कर रहते हैं।  लेकिन मोदीशाह शक्ति काल के इस सम्मेलन को त्रेता काल के इन प्रतीकों से सजा कर कोवेंशन हाल में India से “भारत” दर्शाया वहीं “हिंदुस्तान” नाम को सिरे से खारिज कर दिया जहां 1000 वर्षों के मुग़लिया सल्तनत ने अपने युग में किसी एक हिन्दू गावँ का भी नाम नहीं बदला। हां, इस बात का प्रमाण मिलता है कि नई आबादी बसा कर उस गावँ का नाम अपने पुर्जो या जागीरदारों या ज़मींदारों या राजाओं या किसी मंत्री के नाम से रखा था, जिसे आज योगी सरकार बदल रही है।  परन्तु अफसोस भारत सरकार की सोंच का “इंडिया” तो अंग्रेज़ो का दिया हुआ नाम है जिसने हिंदुस्तान के हीरे जवाहरात से सजे महलों से सारे धन भारत छोड़ने पहले ब्रिटिश ले गये, लेकिन मुगलों का कहीं भी यह सबूत नहीं मिलता की उन्होंने ने भारत, हिंदुस्तान का धन लूट कर कोई अरब ले कर गया है, जो आये यहां वह यही बस गये। 
 बहरहाल -अभी तो सम्मेलन पर चर्चा है – हर विपक्षी मोदी विरोधी पार्टियां अपने यहां आने वाले मेहमानों की खातिर खामोश हो गई – कमो बेस उनके स्वागत प्रशन्सा करते दिखाई देने लगी। यह मोदी जी नीति का “कमाल है, ज़बरदस्त बोन्सर बल्ले बाज़ पिच पर खड़ा बॉल पर निशाना साधे हुए बॉल को शॉर्ट देने की बजाए अपने अपने को सुरक्षित करने के लिये झुक गया बॉल ऊपर से निकल गयी, जबकि बल्लेबाज़ पूरी सुरक्षा के साथ पीच पर खड़ा है बावजूद वह अपने आपको को बचाने के लिये झुक गया। यही हाल आज के विपक्षियों का है। आज भारतीय राजनीतिक विपक्षी पार्टियों में लोक लज्जा, सहानुभूति, से परिपूर्ण देखने को मिल रहा है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपने नए अध्यक्ष बहाल कर के वह अपने अध्यक्ष का स्वागत न करने का फैसला लिया, इसलिये कि अपने यहां दिल्ली में आने वाले विदेशी मेहमानों को पोस्टरों बैनरों से दिल्ली गन्दी न लगे। यह थी दिल्ली कांग्रेस की सभ्यता वाली सींच, जो अपने से अधिक दूसरों को सम्मान देने में गर्व समझते हैं, वैसे हमारे भारत की यह परंपरा है रही है दूसरों की आदर करना, लेकिन अपने आपको हिंदुत्व विचारधारा वाली राजनीतिक पार्टियां जो भाजपा समर्थित हैं वह इन सद्गुणों का समयानुसार भरपूर इस्तेमाल करते हैं।
  जैसे भारत मे जी 20 शिखर सम्मेलन और 5 महीने से भारत का जलता हुआ उत्तरपूर्व राज्य मणिपुर, उसका कोई समाधान नहीं उस पर प्रधानमंत्री न तो अपने मुख्यमंत्री को बदला न प्रशासन को ही टाइट किया , बल्कि आरोप है कि राज्य की पुलिस बाहुल समुदायें को संरक्षण और उन्हें अन्य समुदायों से लड़ने के लिये अपना हत्यार भी उपलब्ध कर रही है,  – भारत मे हिन्दू-मुसलमानों के बीच सोशल मीडिया द्वारा ज़बरदस्त तरीके से नफरत फैलाना, भारत महंगाई चरम सीमा पार कर रही है, दुसरीं ओर 72 प्रतिशत बेरोज़गारी बढ़ कर बर्दाश्त की सीमा लांघ रही है, तीसरे महंगाई गरीबी रेखा से नीची जीवन यापन करने वालों के घर के चूल्हे ठंडे कर रही है। और इन सब बातों को दरकिनार कर भारत देश के प्रधानमंत्री विश्व स्तरीय सम्मेलन समारोह कर भारत मे विश्व भर में चकाचौंध बना दिया।
अभी जी 20 अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की सेहरे की लड़ी भी नहीं सुखी थी कि 14 सितंबर की कश्मीर में आतंकी हमले में तीन जवान शहीद हो गये जिसका शहीद के परिवार को संतावना देना और संवेदना प्रकट करना भी मुनासिब नहीं समझा। बल्कि उसी दिन भाजपाई अपने कार्यालय में जी20 के कामयाबी पर जश्न मना रहे थे तो इन्हें के भारत का एक प्रसिद्ध अंग्रेजी समाचार पत्र THE TELIGRAPH ने लिखा कि एक तरफ 5 महीने से मणिपुर जातीय हिंसा में जल रहा है और दुसरीं तरफ आतंकी हमला में कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के 4 जवान शहीद हो गए जिनका पार्थिक शरीर लोग अपनी भावभीनी नम आंखों से अपने कांधे पर उठाए अंतिम विदाई रहे हैं और हमारे देश का प्रधानमंत्री दिल्ली में अपने पार्टी के मुख्यालय पर जश्न मना रहा है। यह देश की विडम्बना कहें या दुर्भगय? और यह भाजपाई दूरों को देश द्रोही कहने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
  
बहरहाल –  एक ओर “जी 20 शिखर सम्मेलन”  में प्रधानमंत्री, जहां एक ओर – विश्व मे शांति, सद्भावना और विकास की कल्पना कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार के पुलिस प्रशासन के संरक्षण बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद अन्य हिन्दू और गौ के रक्षा के नाम पर तो कहीं शोभा यात्रा निकालने के नाम पर गठित गरोह भगवा रंग रंगे ड्रेस कोड धारण कर अवैध हत्यार लैस राज्य पुलिस की निगरानी हत्यार लहराते एक समुदायें एक ही को टारगेट करते जयश्रीराम के उद्घोष के साथ मस्जिदों पर हमला और मस्जिदों के इमामों की हत्या और निमाज़ियों कि हत्या, चाहे गरुग्राम हो या चाहे मुज़फ़्फ़रपुर के एक देहात की घटना या उत्तर प्रदेश में जगह जगह कहीं, अज़ान बन्द कराने ने नाम पर तो – दंगा लूट-पात हत्या आगजनी कर रहे हैं, और दंगा पीड़ितों को ही दंगाइयों का आरोप लगा कर पुलिस जेल में डाल रही है और उनका मकान भी सरकारी बुलडोज़र से तोड़ा जा रहा है। जहाँ हर जगह इन आताताइयों के माध्यम से भारत अपने घर मे अशांति और सम्प्रदायिक दंगे और असहिष्णुता फैला रहा है – विश्व के राजनयिकों के सामने विश्व मे शांति और सद्भावनाओं की कल्पना कर रहा है। 
दरअसल – इस सम्मेलन का मक़सद विश्व मे शांति सद्भावना और विश्वास, वासुधैवा कुटुम्बकम – एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य, एक बेटा , एक विश्व और वन ग्रीड अर्थात एक लालच”  यह बात पल्ले नहीं पड़ी ? मोदी जी की यह कैसी नीति है? यह कैसी सोंच है? जिस पर सभी को एक सोंच, रखने की सलाह। और “इंडिया टेक्नालॉजी एक्ट” को सर्वसहमति से मान्यता दी गई। भारत का हरित विकास, संतुलित, समावेशी, मजबूत स्थायी विकास पर ज़ोर, बहुपक्षीय संस्थानों और व्यावस्था को पुर्नजीवित करने पर ज़ोर। वहीं जर्मन के राष्ट्रपति ओलाफ़ शोलज ने कहा जलवायु, भूख, बेरोज़गारी चुनौतियों से लड़ने प्रतिबद्धता दिखाने पर बल दिया, सतत विकास लक्ष्य के प्रगति में तेज़ी लाने की आवश्यकता।
भविष्य में भारत मेडलिस्ट से होते हुए यूरोप तक कॉरिडोर यानी रेल मार्ग और यातायात जिससे भारत के लिए यूरोप और अरब के साथ व्यापार में आसानी होगी। सारी बातें सही है – परन्तु मुख राम राम बगल में छुरी” यह कैसी नीति है? 
भारत के प्रधानमंत्री अपनी बात रखने में कहीं सक्षम हों न हों परन्तु भारत में जी20 शिखर सम्मेलन करा कर अपनी बात रखने में अपनी धरती पर पूरी ताकत लगा दी। मंच पर जहां 20 देशों का नाम की तख्ती लगाई गई वही एक तख्ती हमेशा से इंडिया के नाम से कहीं भी लगाई जाती थी आज वह अपनी धरती पर भारत का नाम के तख्ती लगा कर अपनी शक्ति पहला प्रदर्शन किया, वहीं सम्मेलन की जगह को 5वीं सदी के युग की स्मृतियों को प्रदर्शित कर भारत के नाम और त्रेतायुग की सभ्यता और संस्कृति को सम्पूर्ण रूप से प्रदर्शित कर यह साबित तो कर दिया कि भारत की पारम्परिक सभ्यता यही प्रतीक है।  पर सवाल यह है कि – क्या उस युग को नवीकरण कर इस युग मे आधुनिकरण मनुसृति संविधान बनाया जाएगा या बना दिया गया है, केवल उसका भी प्रदर्शित करना मात्र औपचारिकता बाकी है। जिस प्रकार भारत ने अपनी बातें जितनी प्रमुखता से 20 देशों के बीच रखी क्या उन देशों पर इसका कोई असर पड़ेगा या नही यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन मेरे विचार से 20 देशों पर भारत की एक नई छवी ज़रूर उभरी होगी। इंडिया की जगह “भारत” यह नाम पर जितने भी विदेशी मेहमान आये थे उन्हें सोंचने पर मजबूर कर दिया होगा की आखिर इस देश के प्रधानमंत्री के दिमाग मे क्या चल रहा है? क्या चाहते हैं? मेरे विचार से यहां उपस्थित विदेशी मेहमान के मन मे यह सवाल ज़रूर पैदा हुआ होगा और लोग शांति से यही सवाल ले कर यहां से गये होंगे। जिसका परिणाम स्वरूप कनाडा के प्रधानमंत्री की हवाई जहाज़ के खराब होने के बाद जो कनाडा के प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया देखने और सुनने को मिली। इससे लगता है कि कनाडा भारत के साथ अब भविष्य में कोई डील नहीं करने वाला है।
 दूसरा प्रमाण यह कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन दूसरे दिन यहां के काययक्रम को छोड़ कर खामोशी से वियतनाम की यात्रा पर निकल गये, वहां जाने के बाद वियतनाम मीडिया के सामने भारत सरकार की मीडिया नीति पर अफसोस स्पष्ट किया की वह मीडिया से बात करने की अनुमति नही दी गई, जो बहुत ही गलत नीति है। भारत के साथ समझौते के सवाल पर उन्होंने ने कहा कि भारत के साथ हमारी अभी कोई डील नही हुई है। देखा जायेगा।
तीसरा परिणाम रूस और चीन ने पहले ही इस सम्मेलन में  भागीदारी निभाने साफ मना कर दिया था परन्तु चीन के फाइनांस मंत्री के प्रतिनिधि व्यापार सम्बन्धीत रिपोर्ट की खातिर उपस्थित हुए थे। अब तो इस बात से यह साफ हो जाता है विदेशी मेहमान यहां सम्मेलन में अपनी पुस्थिति को व्यर्थ और अपनी बेइज़्ज़ती ही महसूस कर रहे थे। 
रही बात सऊदी अरब के साथ भारत की डील की – एक बात बड़ी अजीब सी लगती है, भारत के मुसलमानों को दबा कर रखने के प्रयास में और अपने आपको सत्ता पर काबिज रखने के लिये मोदिशाह एंड कम्पनी ने इतनी नफरतों का प्रचार प्रसार किया कि देश के हर आबादी वाली गलियों में नफरतों की बयार बहने लगी, फिर भी नफरतों ने आपसी भाईचारा को समाप्त नहीं कर पाया। तो सवाल है कि भारतीय मुसलमान भाजपाईयों का शत्रु है तो बाहरी विदेशी मुसलमान गल्फ और मेडलिस्ट देश वाले मोदी जी के विशेष दोस्त कैसे बन गये, उनसे मोदी जी ने दोस्ती का हाँथ कैसे बढाया दिया और क्यूँ? मोदी जी भारत के हित मे सऊदी अरब देशों से दोस्ती की है या अपने हित में?  तो मोदी जी अपने हमनवा और राहुल गांधी के सवाल “मोदी जी और अडानी का क्या रिश्ता है” को अब दुबई से मुम्बई तक के कॉरिडोर की ठीकेदारी देने के करार पर हस्ताक्षर होना है। सऊदी के दिमाग मे बस चुका है भारत दुनिया का सब से बड़ा तेल और हत्यार का बाज़ार है, तथा अबरक, अमोनिया , ऑक्साइड मैंगनीज़ और गनधक अर्थात यूरेनियम का दुनियां का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। जो अभी सऊदी महाशक्ति बनने को चाहिये वह भारत से हांसिल हो सकता है। आने वाले समय मे सऊदी अरब विश्व का महाशक्ति बन कर उभरेगा।    
  और भारत कल सोने की चिड़िया थी, और आज सोने के रुपयों का बबर शेर बन कर दहाड़ रहा है। जिस पर निगाहें विश्व की बड़ी बड़ी महान शक्तियों की है। और अब हर महान शक्ति भारत के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ते स्थापित कर भारत को अपनाना चाहेंगी, अब वह दौर नहीं जब आताताइयों द्वारा भारत पर क़ब्ज़ा किया जाता था। अब भारत, विश्व के एटॉमिक शक्तियों में से एक है। अब भारत पर कोई क़ब्ज़ा करने के लिये सोंचना तो दूर, अब विश्व की महान शक्तियां चाहेंगी भारत से मधुर सम्बन्ध बनाये रखना – महान शक्तियां दोस्ती का हाँथ ज़रूर बढ़ा रही हैं। परन्तु विश्व का सब से बड़ा लोकतंत्र होने के नाते दूसरे देश भारत को गुलाम तो नहीं बना सकते पर भारत के प्रधान को ज़रूर खरीद सकते हैं।  
    
80 करोड़ भारत की सीधी सादी जनता ने जब अपने मताधिकार को समझा तो उसने ऐसे ऐसे अपने प्रतिनिधि चुनना आरम्भ कर दिया की गरीब और गरीब होते गए और प्रतिनिधि अमीर हो गये। आज प्रतिनिधियों को जनता इतनी शक्ति दे दी कि ऊनी ही मतदाता को मूर्ख समझ कर गुलाम बना लिया और उसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं इन प्रतिनिधियों ने आज भारत देश एक ऐसा देश बन गया कि जहां फिर से एक राजा बन गया गया ऐसा राजा जिसके दो मुंह दो तरह की बातें बोलने के लिये और चार दिमाग, चार प्रकार से सोंचने के लिये, नये भारत का राजा की   जिस राजा के राज्य की 80 प्रतिशत प्रजा बेरोज़गार और भिखारी, हिंसात्मक प्रवृतिवाले हैं वह राजा दूसरों का झगड़ा और भूख प्यास कैसे मिटायेगा?
 जो राजा अपने राज्य के आपसी झगड़े को मिटा नहीं पा रहा है, मणिपुर आज उसी प्रकार जातीय हिंसा में जल रहा है, और राजा अब भी खामोश है और सम्मेलन में दूसरे देशों को मदद करने की बात कर रहा है, और इस राजा के हाली-महल, मंत्री सन्तरी राजा की वाहवाही कर रहे हैं। और इस सम्मेलन पर भारत की जनता आपस में एक दूसरे सवाल पूछ रही हैं इससे भारत की जनता को क्या लाभ मिलेगा। जबकि भारत सरकार ने इस सम्मेलन को सजाने और मेहमान नवाजी में लगभग ₹-4700/- करोड़ रुपया खर्च कर दिया। यह पैसा क्या अडानी अम्बानी ने दिया या भारतीय रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने दिया या यह पैसा भारत के जनता की मेहनत और मजदूरी की गाढ़ी कमाई थी? 
    
इस सम्मेलन के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री यह कह रहे थे कि कोविट 19 के बाद विश्वास में कमी आई है और विश्व मे युद्ध ने सम्पूर्ण विश्व मे विश्वास की कमी आई है। इसलिये विश्वास के संकट को दूर करने के लिए – वासु धैव कुटुंबकम के दिल्ली में जी 20 यानी बीस देशों के  समूह का शिखर सम्मेलन
नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी भारत के 10 वर्षीय प्रधानमंत्री जिनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम होगी, ऐसा लगता है की हिटलर और स्वर्गीय श्रीमती प्रियदर्शनी इंद्रागाँधी के जीवन को बहुत गहराई में शोध किया है। इसलिए की जो उनके मन में बस गया वह कर के ही दम लेते हैं। अंतर् इतना है की हिटलर ज़िद्दी था और अपनी शक्ति का प्रयोग ललकार कर किया करता था,  उसने अपने ज़िद्द के आगे कभी देश या सम्माज  की  परवाह नहीं की । और इंद्रागाँधी ज़िद्दी नहीं थी उन्हें गुस्सा भी बहुत काम आता था जब भी गुसा आता था तो चेतावनी दे कर अपनी शक्ति का दुरूपयोग बहुत संभाल किया करती थी, ऑप्रेशन ब्लूस्टार गोल्डन टेम्पल लेकिन जब भी जिस चीज़ को हासिल करना चाहा आसानी से हासिल कर लिया करती थी, जैसे भारत को अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का सदस्य बनना उन्हों ने हांसिल किया , पाकिस्तान से बंगला देश को अलग कर एक देश बनवा दिया।
लेकिन भारत इंडिया ,हिन्दुस्तान का नुख्सान नहीं किया – जितना की 2014 से अब तक भारत का नुक्सान हुआ है। उसका कारण है की हमारे निवर्तमान प्रधान मंत्री जहां ज़िद्दी हठी हैं वहीं ढीठ भी हैं, ढीठ होना स्वयं के लिए , समाज के लिए , और देश के लिए खतरनाक है।   वह हठी तो हैं लेकिन साथ में अब चाणक्यनीति को पूर्ण रूप से अपना लिया है , वह भली भाँती जानते हैं की अपनी शक्ति और अपने पद का दुरूपयोग और उपयोग कहाँ और कैसे करना है। जैसा की पिछले दिनों जी 20 शिखर सम्मेलन के 57 देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों , राजनायिकों , प्रतिनिधिओं को इंडिया आमंत्रित कर सम्पूर्ण विश्व अपने नाम का डंका बजवा दिया तो कही प्रशंसा तो कहीं का असमंजसता में डाल दिया। और यहां भारत में 80 करोड़ पर दम  भरने वाली भाजपा और अंध भक्तों का तो प्रशंसा करते मुंह नहीं सुख रहा है। और फिर कोई प्रशंसा करे न करे उनकी अपनी खरीदी हुई गुलाम मीडिया तो युद्ध स्तर पर जी जान से प्रशन्सा तो कर ही रही है।
इस विश्व व्यापी ”जी 20″ शिखर सम्मेलन में त्रेतायुग, महाभारत काल के सारे स्मृति चिन्ह से सम्मेलन की जगह नई दिल्ली के प्रगति मैदान को सजा कर भारत हिन्दू राष्ट्र साबित भी करने में कोई कसार नहीं छोड़ी। कोई माने या माने – पहले किसी भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले समेलन में मुसलमानों का चांद-तारा, क्रिश्चनों का होली क्रोस, सिखों का गुरुद्वारे का एक प्रतीक चिन्ह लगाया जाता था लेकिन मोदीशाह शक्ति काल के इस सम्मेलन को त्रेता काल के इन प्रतीकों से सजा कर कोवेंशन हाल में India से “भारत” लिखवा कर अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्राध्यक्षों को बहुत खूबसुरती और प्यार से भारतगणराज्य जहां मनवाया वही जाने अनजाने में हिंदु राष्ट्र भी विश्व के शक्तिशाली ग्रुप जी 20 को चंद लम्हो के लिए ही सही स्वीकार तो करवा लिया। मोदी है तो मुमकीन है। और परस्थिति ऐसी उत्पन्न पैदा कर दिया की  हर विपक्षी मोदी विरोधी पार्टियों को अपने यहां आने वाले मेहमानों की खातिर खामोश भी रहना पड़ा और न चाहते हुए भी कमो बेस मेहमानों का स्वागत और प्रधानमंत्री के काम की प्रशन्सा करते दिखाई देने लगी ” कमाल है,  ज़बरदस्त बोन्सर, बल्ले बाज़ पिच पर खड़ा बॉल पर निशाना साधे हुए बॉल को शॉर्ट देने की बजाए अपने अपने को सुरक्षित करने के लिये झुक गया बॉल ऊपर से निकल गयी, जबकि बल्लेबाज़ पूरी सुरक्षा के साथ पीच पर खड़ा है बावजूद वह अपने आपको को बचाने के लिये झुक गया। यही हाल आज के विपक्षियों का है। आज भारतीय राजनीतिक विपक्षी पार्टियों में लोक लज्जा, सहानुभूति, से परिपूर्ण देखने को मिल। वैसे भी हमारे हिन्दुस्तान की यह परम्परा रही है की अपने से अधिक दूसरों को सम्मान देने में गर्व समझते हैं, वैसे हमारे भारत की यह परंपरा है रही है दूसरों की आदर करना, लेकिन अपने आपको हिंदुत्व विचारधारा वाली राजनीतिक पार्टियां जो भाजपा समर्थित हैं वह इन सद्गुणों का समयानुसार ही भरपूर इस्तेमाल करते हैं, जैसे 5 महीने से भारत का जलता हुआ उत्तरपूर्व राज्य मणिपुर, जिसके उठते हुए शोलों की चकाचौंध कर देनी वाली रौशनी में नई दिल्ली जी 20 शिखर सम्मेलन को त्रेताकाल के शृंगार से सजा कर भारत मिलन समारोह में बीसों देशों के साथ  कोई न कोई करार पर हस्ताक्षर करवा कर भारत विश्व व्यापार मेला साबित कर दिया – चाहे देश बेरोज़गारी , महंगाई , सम्पर्दायिक दंगा, जातीय दंगा, में धधकता क्यूँ रहे, प्रधानमंत्री अपने ही कामों में व्यस्त रहेंगे। ऐसे राहुल गाँधी यदि सवाल पूछते है की “आखिर अदादि मोदी जी का क्या रिश्ता है ” तो बुरा क्यूँ लगता है ? मोदी जी को बुरा लगे न लगे परन्तु सम्पूर्ण भाजपाईओं का तन बदन जल उठता है – मणिपुर हिंसा पर सारे भाजपा सरकार के मुँह पर ताला लगा है और उसका कोई समाधान नहीं उस पर प्रधानमंत्री न तो अपने मुख्यमंत्री को बदला न प्रशासन को ही टाइट किया , बल्कि आरोप है कि राज्य की पुलिस बाहुल समुदायें को संरक्षण और उन्हें अन्य समुदायों से लड़ने के लिये अपना हत्यार भी उपलब्ध कर रही है,  – भारत मे हिन्दू-मुसलमानों के बीच सोशल मीडिया द्वारा ज़बरदस्त तरीके से नफरत फैलाना, भारत महंगाई चरम सीमा पार कर रही है, दुसरीं ओर 72 प्रतिशत बेरोज़गारी बढ़ कर बर्दाश्त की सीमा लांघ रही है, तीसरे महंगाई गरीबी रेखा से नीची जीवन यापन करने वालों के घर के चूल्हे ठंडे कर रही है। और इन सब बातों को दरकिनार कर भारत देश के प्रधानमंत्री विश्व स्तरीय सम्मेलन समारोह कर भारत मे विश्व भर में चकाचौंध बना दिया।
  एक ओर “जी 20 शिखर सम्मेलन”  में जहां एक ओर – विश्व मे शांति, सद्भावना और विकास की  की, भाजपा सरकार के पुलिस प्रशासन के संरक्षण बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद अन्य हिन्दू और गौ के रक्षा के नाम पर तो कहीं शोभा यात्रा निकालने के नाम पर गठित गरोह भगवा रंग रंगे ड्रेस कोड धारण कर अवैध हत्यार लैस राज्य पुलिस की निगरानी हत्यार लहराते एक समुदायें एक ही को टारगेट करते जयश्रीराम ने उद्घोष के साथ मस्जिदकों पर हमला और मस्जिदों के इमामों की हत्या और निमाज़ियों कि हत्या, चाहे गरुग्राम हो या चाहे मुज़फ़्फ़रपुर के एक देहात की घटना या उत्तर प्रदेश में जगह जगह कहीं अज़ान बन्द कराने ने नाम पर तो – दंगा लूट-पात हत्या आगजनी कर रहे हैं, दुसरीं ओर उन्ही पीड़ितों को दंगाइयों का आरोप लगा कर पुलिस जेल में डाल रही है और अब तो उनका मकान भी सरकारी बुलडोज़र से थोड़ा जा रहा है। जहाँ हर जगह इन आताताइयों के माध्यम से भारत अपने घर मे अशांति और सम्प्रदायिक दंगे और असहिष्णुता फैला रहा है – विश्व के राजनयिकों के सामने विश्व मे शांति और सद्भावनाओं की कल्पना कर रहा है। यहां पर भी इस कार्यक्रम का नाम आज-तक के सुधीर चौधरी वाला “ब्लैक & व्हाइट” ही होना चाहिये था।
जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन पहले सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘न्यू दिल्ली जी-20 लीडर्स समिट डिक्लेरेशन’ पर सहमति बनने का एलान किया। इसमें रूस का कोई ज़िक्र नहीं किया गया। इस सम्मेलन में पश्चिम एशिया के देशों से यूरोप को जोड़ने के लिए समुद्री और रेल मार्ग विकसित करने का एलान किया गया। भारत और अमेरिका में इस परियोजना में भागीदार होगा।
इस सम्मेलन का मक़सद विश्व मे शांति सद्भावना और विश्वास, वासुधैवा कुटुम्बकम – एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य, एक बेटा , एक विश्व और एक ग्रीड अर्थात एक लालच यह बात पल्ले नहीं पड़ी यह कैसी है मोदी जी सोंच जिस पर मोदी जी कह रहे हैं सभी को एक सोंच, रखने की सलाह। और “इंडिया टेक्नालॉजी एक्ट” को सर्वसहमति से मान्यता दी गई। भारत का हरित विकास , संतुलित, समावेशी, मजबूत स्थायी विकास पर ज़ोर, बहुपक्षीय संस्थानों और व्यावस्था को पुर्नजीवित करने पर ज़ोर। जर्मन के राष्ट्रपति ओलाफ़ शोलज ने कहा जलवायु, भूख, बेरोज़गारी चुनौतियों से लड़ने प्रतिबद्धता दिखाने की आवश्यकता , सतत विकास लक्ष्य के प्रगति में तेज़ी लाने की आवश्यकता।
भविष्य का मतलब भारत मेडलिस्ट से होते हुए यूरोप तक कॉरिडोर यानी रेल मार्ग और यातायात जिससे भारत के लिए यूरोप और अरब के साथ व्यापार में आसानी होगी।
सारी बातें सही है – परन्तु मुख राम राम बगल में छुरी” यह कैसी नीति है? 
भारत के प्रधानमंत्री अपनी बात रखने में कहीं सक्षम हों न हों परन्तु भारत शिखर सम्मेलन करा कर अपनी बात रखने में अपनी धरती पर पूरी ताकत लगा दी। मंच पर जहां 20 देशों का नाम की तख्ती लगाई गई वही एक तख्ती हमेशा से इंडिया के नाम से कहीं भी लगाई जाती थी आज वह अपनी धरती पर भारत का नाम के तख्ती लगा कर अपनी शक्ति पहला प्रदर्शन किया, वहीं सम्मेलन की जगह को 5वीं सदी के युग की स्मृतियों को प्रदर्शित कर भारत के नाम और त्रेतायुग की सभ्यता और संस्कृति को सम्पूर्ण रूप से प्रदर्शित कर यह साबित तो कर दिया कि भारत की पारम्परिक सभ्यता यही प्रतीक है, पर क्या उस युग को नवीकरण कर इस युग मे आधुनिकरण मनुसृति संविधान बनाया जाएगा या बना दिया गया है, केवल उसका भी प्रदर्शित करना मात्र औपचारिकता करना बाकी है। जिस प्रकार भारत ने अपनी बातें जितनी प्रमुखता से 20 देशों के बीच रखी क्या उन देशों पर इसका कोई असर पड़ेगा या नही यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन मेरे विचार से 20 देशों पर  भारत की एक नई छवी ज़रूर उभरी होगी। इंडिया की जगह “भारत” और भारत कल भी सोने की चिड़िया थी, और आज सोने के रुपयों का शेर बबर बन दहाड़ रहा है। 
भारत देश एक ऐसा देश बन गया जिस युग में राजा दशरथ का दौर था उस्समय राजाओं को आभूषण से अपना शरीर ढकना पड़ता था बाक़ी आम लोगों को कपड़े पहनने कि अनुमति नहीं थी, कपड़े की कमी थी साल भर में उतना ही कपड़ा बनता था की बड़े मुश्किल से राजाओं और उनके हाली महालिओं को ही पूरा होता था, आम लोग कपड़े पहनते तो राजा की बेइज़्ज़ती होती होती इस लिए आम लोगों को कपड़े पहनने की अनुमति नहीं थी। इसलिए किउस समय राजा का हुक्म ही क़ानून और संविधान हुआ करता था,  आज लोकतंत्र     एक राजा बन गया गया ऐसा राजा जिसके दो मुंह दो तरह की बातें बोलने के लिये और चार दिमाग, चार प्रकार से सोंचने के लिये, नये भारत का राजा की   जिस राजा के राज्य की 80 प्रतिशत प्रजा बेरोज़गार और भिखारी, हिंसात्मक प्रवृतिवाले हैं वह राजा दूसरों का झगड़ा और भूख प्यास कैसे मिटायेगा? जो राजा अपने राज्य के आपसी झगड़े को मिटा नहीं पा रहा है, मणिपुर आज उसी प्रकार जातीय हिंसा में जल रहा है, और राजा अब भी खामोश है और सम्मेलन में दूसरे देशों को मदद करने की बात कर रहा है, और इस राजा के हाली-महल, मंत्री सन्तरी राजा की वाहवाही कर रहे हैं। और इस सम्मेलन पर भारत की जनता आपस में एक दूसरे सवाल पूछ रही हैं इससे भारत की जनता को क्या लाभ मिलेगा। जबकि भारत सरकार ने इस सम्मेलन को सजाने और मेहमान नवाजी में लगभग ₹-4700/- करोड़ रुपया खर्च कर दिया। यह पैसा क्या अडानी अम्बानी ने दिया या भारतीय रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने दिया या यह पैसा भारत के जनता की मेहनत और मजदूरी की गाढ़ी कमाई थी? 
    
इस सम्मेलन के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री यह कह रहे थे कि कोविट 19 के बाद विश्वास में कमी आई है और विश्व मे युद्ध ने सम्पूर्ण विश्व मे विश्वास की कमी आई है। इसलिये विश्वास के संकट को दूर करने के लिए – वासु धैव कुटुंबकम के दिल्ली में जी 20 यानी बीस देशों के  समूह का शिखर सम्मेलन का पहला दिन जिसमे अफ़्रीकी संघ को इस बार भारत के मंच पर इस 20 देशों समूह में शामील कर लिया गया अब अगली बैठक में “जी 20” की जगह “जी-21” होगा  
पहले सत्र में – एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य, एक बेटा , एक विश्व और एक ग्रीड अर्थात एक लालच यह बात पल्ले नहीं पड़ी यह कैसी मोदी जी सोंच जिस पर मोदी जी कह रहे हैं सभी को एक सोंच, रखने की सलाह। और इस सत्र में सबसे बड़ी बात की “इंडिया टेक्नालॉजी एक्ट” को सर्वसहमति से मान्यता दी गई। भारत का हरित विकास , संतुलित, समावेशी, मजबूत स्थायी विकास पर ज़ोर, बहुपक्षीय संस्थानों और व्यावस्था को पुर्नजीवित करने पर ज़ोर। जर्मन के राष्ट्रपति ओलाफ़ शोलज ने कहा जलवायु, भूख, बेरोज़गारी चुनौतियों से लड़ने प्रतिबद्धता दिखाने की आवश्यकता , सतत विकास लक्ष्य के प्रगति में तेज़ी लाने की आवश्यकता।
भारत स्थित उच्चायोग ने एक बयान में बताया है कि कोपेनहेगन समझौते के बाद स्थापित ‘ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ)’ में ब्रिटेन दो अरब डॉलर का योगदान देगा.
जी-20 के लिए भारत पहुंचे ऋषि सुनक का सबसे बड़ा एलान – उन्होंने कहा कि उनका देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रयास करने को प्रतिबद्ध है। बीबीसी रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश उच्चायोग के अनुसार, ब्रिटेन ‘ग्रीन क्लाइमेट फंड’ को 1.62 अरब पाउंड (दो अरब डॉलर) देगा, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में दुनिया की मदद करने के लिए की गई सबसे बड़ी एकल फंडिंग वचनबद्धता है। ब्रिटिश उच्चायोग ने बताया कि पीएम सुनक ने दुनिया के नेताओं से अपील की है कि वे दिसंबर में होने वाले COP-28 शिखर सम्मेलन से पहले एक साथ काम करें। इससे कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके और जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने में दुनिया के कमज़ोर देशों की मदद की जा सके। ब्रिटेन जीसीएफ में 1.62 अरब पाउंड (दो अरब डॉलर) का योगदान देगा। इस फंड को 2009 में COP15 में हुए कोपेनहेगन समझौते के बाद 194 देशों द्वारा स्थापित किया गया था।जी-20 सम्मेलन के दूसरे दिन यानी रविवार को अमेरिका के राष्ट्रपति राजघाट पहुंचे। और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद जो बाइडन वियतनाम के लिए निकल गए हैं।बहरहाल – दूसरा सत्र – एक परिवार –

जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘न्यू दिल्ली जी-20 लीडर्स समिट डिक्लेरेशन’ पर सहमति बनने का एलान किया। इसमें रूस का कोई ज़िक्र नहीं किया गया।
इस सम्मेलन में पश्चिम एशिया के देशों से यूरोप को जोड़ने के लिए समुद्री और रेल मार्ग विकसित करने का एलान किया गया. भारत और अमेरिका में इस परियोजना में भागीदार होगा।

 नई दिल्ली घोषणा पत्र बायोफ्यूल अलाइंस -हर वर्ग देश हर समाज हर क्षेत्र को जोड़ना है ग्लोबल विकास समावेशी
 

सुबह 8:15 से 9 बजे: सदस्य देशों के नेता और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि ‘राजघाट’ पहुंचेंगे।

सुबह 10:30 से दोपहर 12:30 बजे तक: शिखर सम्मेलन का तीसरा और अंतिम सत्र ‘वन फ्यूचर’ का आयोजन इसमें ‘नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन’ को एडॉप्ट किया जाएगा।

 रविवार को जी 20 के शीर्ष नेताओं में केवल सऊदी के प्रधानमंत्री और प्रतिनिधी छोड़ कर सभी प्रतिनिधियों ने प्रातः 8:15 से 9:20 AM राजघाट महात्मा गांधी के समाधी पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्राद्धाजंलि दिया तथा भक्ति गीतों का आनंद लिया। इसके बाद सभी सभा स्थल की ओर लौट गये जहां सुबह 10:15 से 10:30 बजे तक: भारत मंडपम के साउथ प्लाज़ा में वृक्षारोपण समारोह किया गया। इसके बाद सुबह 10:30 से दोपहर 12:30 बजे तक: शिखर सम्मेलन का तीसरा और अंतिम सत्र ‘वन फ्यूचर’ का आयोजन इसमें ‘नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन’ को एडॉप्ट किया गया।
 अंत मे शाम 7:35 में अपने बनाये हुए अंतर्राष्ट्रीय मीडिया सेंटर में पहुंचे ज़रूर लेकिन सिर्फ अपनी शक्ल दिखा कर धन्यवाद देने इस काम का भी प्रधानमंत्री को बधाई और धन्यवाद की मीडिया के समुह में आ कर कम से कम मीडिया का धन्यवाद तो दिया ।

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