भाजपा के घड़ियाली आँसुओं में नहीं फँसेंगी दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी

कि दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता के घड़ियाली आँसुओं में दिल्ली की हज़ारों आँगनवाड़ीकर्मी नहीं फँसने वाली हैं। अध्यक्षा शिवानी कौल

आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के ख़िलाफ़ केन्द्र की भाजपा सरकार और केजरीवाल की दिल्ली सरकार द्वारा मिलकर दमनात्मक कार्रवाइयाँ की जा रही हैं।

भाजपा के घड़ियाली आँसुओं में नहीं फँसेंगी दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी


 
22 मार्च 2022 – दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन की अध्यक्षा शिवानी कौल ने कहा कि दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता के घड़ियाली आँसुओं में दिल्ली की हज़ारों आँगनवाड़ीकर्मी नहीं फँसने वाली हैं।
 
ग़ौरतलब है कि कल दिनाँक 21 मार्च को दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने एक प्रेस वार्ता की, जिसमें उन्होंने आँगनवाड़ीकर्मियों की हड़ताल पर एस्मा लगाने व 991 आँगनवाड़ी कर्मियों की बर्ख़ास्तगी पर काफ़ी घड़ियाली आँसू बहाये। लेकिन सच्चाई यह है कि बिना भाजपा और केन्द्र सरकार के आदेश के न तो उपराज्यपाल एस्मा लगा सकते थे और न ही 991 आँगनवाड़ीकर्मियों का टर्मिनेशन हो सकता था। असल में आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के ख़िलाफ़ केन्द्र की भाजपा सरकार और केजरीवाल की दिल्ली सरकार द्वारा मिलकर दमनात्मक कार्रवाइयाँ की जा रही हैं।
 
शिवानी कौल ने आगे कहा कि अगर आँगनवाड़ीकर्मियों की जायज़ माँगों के प्रति भाजपा का वास्तव में कोई सरोकार होता, तो एलजी के ज़रिये वह एस्मा लगाने ही नहीं देती। यह बात जगजाहिर है कि दिल्ली में एलजी सरकार का मुखिया है, और एस्मा लगाने जैसा निर्णय एलजी भाजपा के निर्देश के बिना नहीं ले सकता है। इसलिए जिस भाजपा ने एस्मा लगवाया, अब वही एलजी से अनुरोध कर एस्मा को हटवाने का जो ढोंग कर रही है। इस ढोंग के जाल में दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी नहीं फँसने वाली हैं। शिवानी कौल ने पूछा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता साफ-साफ यह सच्चाई क्यों नहीं बताते कि 8 मार्च को भाजपा और आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं की उपराज्यपाल के घर पर बैठक हुई थी जिसमें इन दोनों पार्टियों ने मिलकर आँगनवाड़ीकर्मियों की 38 दिन से चल रही ऐतिहासिक हड़ताल पर एस्मा जैसा काला कानून थोपने का निर्णय लिया था?
 
यूनियन अध्यक्षा शिवानी कौल ने पूछा कि आदेश गुप्ता यह क्यों नहीं बताते हैं कि तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मन्त्री राजेंद्र पाल गौतम के साथ खुद ये भी 8 मार्च की इस साजिशाना बैठक में शामिल थे जिसमें आँगनवाड़ीकर्मियों की हड़ताल पर एस्मा थोपने का षड्यन्त्र रचा गया था? अब अगर भाजपा के आदेश गुप्ता को लगता है कि वह आँगनवाड़ीकर्मियों की तक़लीफ़ों पर मगरमच्छ वाले आँसू बहाने की नौटंकी करके आँगनवाड़ीकर्मियों द्वारा चल रहे भाजपा के बहिष्कार अभियान को रुकवा सकते हैं तो वह भारी ग़लतफ़हमी का शिकार हैं। दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ ही भाजपा का भी बहिष्कार जारी रहेगा और अब पहले से भी बड़े पैमाने पर चलेगा।
 
शिवानी ने आगे कहा कि विगत 2 मार्च से महिला एवं बाल विकास विभाग ने आँगनवाड़ीकर्मियों की बर्ख़ास्तगी की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, जिसके बाद इस सन्दर्भ में दिल्ली के उपराज्यपाल को यूनियन के नेतृत्व में आँगनवाड़ीकर्मियों द्वारा कई बार ज्ञापन सौंपा गया। लेकिन एलजी की तरफ़ से इन तमाम ज्ञापनों पर किसी प्रकार का कोई जवाब नहीं आया। इसके आलावा जब हड़ताल के दौरान ही यूनियन के नेतृत्व में क़रीब 50 आँगनवाड़ीकर्मी आईटीओ के भाजपा के मुख्यालय पर पहुँचीं, तब आदेश गुप्ता ने इन महिलाओं से मिलने से ही इन्कार कर दिया। 2018 में प्रधानमन्त्री मोदी के आँगनवाड़ीकर्मियों के मानदेय में 1500 रुपये और 750 रुपये की बढोत्तरी के पैसे की अदायगी के मुद्दे पर भी दिल्ली भाजपा बेशर्म चुप्पी साधे हुए है! अब सवाल यह उठता है कि अचानक दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आँगनवाड़ीकर्मियों की समस्याओं पर इतने आँसू क्यों बहा रहे हैं, और दिल्ली भाजपा आँगनवाड़ीकर्मियों की हितैषी बनने का ढोंग क्यों कर रही है!? इसके पीछे की सच्चाई यह है कि पिछले एक सप्ताह से पूरी दिल्ली में आँगनवाड़ीकर्मियों द्वारा आने वाले निगम चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों के चुनावी बहिष्कार का सघन और व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के असर से घबराकर दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को बक़ायदा प्रेस वार्ता करनी पड़ी, और आँगनवाड़ीकर्मियों का हितैषी बनने का पाखण्ड करना पड़ा। लेकिन दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी 38 दिनों की अपनी हड़ताल में भाजपा और आम आदमी पार्टी का असली चरित्र देख चुकी हैं। वैसे तो आप और भाजपा तमाम गैर ज़रूरी मुद्दों समेत इस बात पर भिड़ने को तैयार रहते हैं कि दिल्ली सरकार का असली मुखिया कौन है, मुख्यन्त्री अरविन्द केजरीवाल या उपराज्यपाल!? लेकिन दिल्ली की 22,000 आँगनवाड़ीकर्मियों और उनके परिवारों को प्रभावित करने वाले मुद्दे पर ये दोनों ही पार्टियाँ एक हो गयीं और हमारी जायज़ और न्यायसंगत हड़ताल पर ‘एस्मा’ जैसा काला क़ानून थोप दिया गया। यही नहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के ज़रिये क़रीब 1,000 आँगनवाड़ीकर्मियों को बर्ख़ास्त भी कर दिया। अब चूँकि वे आँगनवाड़ीकर्मियों के बहिष्कार अभियान से घबरा गये हैं, इसलिए वे इस प्रकार का स्वाँग रच रहे हैं, क्योंकि अब उन्हें भी यह समझ आ रहा है कि आँगनवाड़ीकर्मियों से बैर मोल लेकर भाजपा ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है, और आने वाले निगम चुनाव में उनका सूपड़ा साफ़ होने वाला है।
 
भाजपा के नेताओं की सारी नौटंकियों और ढोंगों को दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी बख़ूबी समझती हैं। इनके तमाम हथकण्डों के नाममात्र के असर के लिए भी अब काफ़ी देर हो चुकी है। इसलिए दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन की कार्यकारिणी ने यह निर्णय लिया है कि इस प्रकार की नौटंकी के जवाब में आने वाले नगर निगम चुनाव में भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों के ही ख़िलाफ़ बहिष्कार अभियान को और भी ज़्यादा तीव्र गति से तथा और भी सघन और व्यापक तरीके से चलाया जायेगा।
 
प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए यूनियन अध्यक्षा शिवानी कौल ने आगे कहा कि ‘एस्मा’ के थोपे जाने के ख़िलाफ़ यूनियन द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जा चुकी है। दिल्ली के मुख्यमन्त्री केजरीवाल और एलजी अनिल बैजल को लीगल नोटिस भी भेजा जा चुका है। साथ ही 991 आँगनवाड़ीकर्मियों की गैर क़ानूनी बर्ख़ास्तगी के ख़िलाफ़ कोर्ट में मुक़दमा जारी है। हमें इस बात की पूरी उम्मीद है कि कोर्ट एक सही फ़ैसला देते हुए इन गैर क़ानूनी बर्ख़ास्तगियों को रद्द करेगा और पीड़ित आँगनवाड़ीकर्मियों के साथ न्याय करेगा।
 
यदि हमें न्यायालय से भी न्याय नहीं मिलता है तो हम अपने संघर्ष के आगे के रास्तों और तरीकों पर विचार करेंगे। हम जो चाहते हैं वह बिल्कुल स्पष्ट है। यूनियन से वार्ता और हमारी सभी माँगों पर नुक़्तेवार बातचीत के द्वारा हमारी सभी माँगों पर सकारात्मक समाधान से कम हमें कुछ भी नहीं चाहिए।

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