देश मे बनती दोहरी नीति और सम्प्रदायिक दुराग्रहिओ का शिकार शरजील इमाम, व अन्य मुस्लिम छात्र नेता।
भारत का अब यह कैसा क़ानून! हिंदुत्व सन्गठन के सदस्यों को बेल और मुस्लिन छात्र नेताओं को जेल?
सरकार की यह कैसी नीति है कि 30 जनवरी 2020, दिल्ली पुलिस की निगरानी में एक हिंदुत्व का घिनौना चेहरा जामियाँ के शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट करने वाले छात्रों पर अवैध हत्यार से फायरिंग करता है, और दिल्ली की अदालत उसे बेल दे देती है – और शरजील इमाम के भाषण देने पर उसे जेल दे देती है।
सैयद आसिफ इमाम
जेएनयू के छात्र शरजील इमाम को जेल गए 28 जनवरी को पूरे दो साल हो गया याद कीजिए दो साल पहले मुस्लिम विरोधी सीएए के खिलाफ शरजील इमाम ने भी चक्का जाम करने के लिए ही कहा था, लेकिन शरजील इमाम के इस बयान के बाद उन्हें एंटी नेशनल, ग़द्दार बताकर UAPA के तहत जेल में डाल दिया गया। कैसे मीडिया और तंत्र मिलकर एक मुस्लिम युवा को आतंकी बनाती है शरजील इसका बड़ा उदहारण है। शरजील इमाम पर अदालत ने राजद्रोह के आरोप तय कर दिए हैं किसान आंदोलन और CAA, NRC दोनो ही संवैधानिक आंदोलन थी, किसान आंदोलन में एक भी व्यक्ति की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, पर CAA, NRC के विरोध में आंदोलन करने पर UAPA क्यों, क्यों के ये आंदोलन मुसलमानों ने की थी इसलिए। सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन के लिए जिन लोगों को दहशतगर्द बताते हुए गिरफ्तार किया गया है, उनमें पहली गिरफ्तारी शरजील इमाम की है। सरकार के खिलाफ बोलना देश के खिलाफ बोलना नहीं होता, बल्कि ये देश के लिए, सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना कहलाता है। हिन्दुस्तान के इन तरक्की-पसंद नौजवानों को बीमार कहा जाता है। वो बीमार हैं इस में कोई शक नहीं, पर ये बीमारी वो इश्क़ है जो उनको अपने वतन के ज़र्रे ज़र्रे से है। कुछ दीवाने क़ौम की ख़ातिर आज भी जेल में इन सर्द रातों में ठंडी ज़मीन पर ठिठुरते हुए करवटें बदल रहे हैं जब हम अपने बिस्तर में कम्बल से लिपट कर सो रहे हैं एक आईआईटियन, एंव जेएनयू स्कॉलर को देशद्रोही बताया जाने लगा हैं।
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