“ऐसा कहां से लाएं, कि तुझ सा कहें जिसे”
अद्भुत संभावनाओं के बावजूद बिहार को उपेक्षित दृष्टि से देखा जाता रहा है।
मगर ये कहने में किसी भी ईमानदार व्यक्ति को संकोच नहीं होना चाहिए कि नीतीश कुमार ने ही सब से पहले बिहार में विकास का नारा दिया और अपने इस संकल्प को जुनून बना डाला।
नीतीश कुमार का संकल्प ही विकास का विकल्प है
एमपीएनएन – डा क़ासिम खुर्शीद
उर्दू हिंदी के अंतर्राष्ट्रीय शायर शिक्षाविद पूर्व विभागाध्यक्ष भाषा शिक्षा बिहार डा क़ासिम खुर्शीद ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकास नीति को हवाला देते हुए कहा है कि नीतीश कुमार का संकल्प ही विकास का विकल्प है। डा खुर्शीद ने अपने व्यावहारिक अनुभवों के आधार पर ये भी कहा कि, मेरा जन्म भी इसी बिहार की धरती पर हुआ, और मैंने बचपन से अपने बिहार के इस पावन धरती को देखा, यहां की मिट्टी से मेरा गहरा रिश्ता है। जब से होश संभाला है तब से अब तक केवल बड़े बड़े दावे ही सुने मगर ज़मीन पर ऐसा कुछ विशेष नहीं दिखा और अद्भुत संभावनाओं के बावजूद बिहार को उपेक्षित दृष्टि से देखा जाता रहा। मगर ये कहने में किसी भी ईमानदार व्यक्ति को संकोच नहीं होना चाहिए कि नीतीश कुमार ने ही सब से पहले बिहार में विकास का नारा दिया और अपने इस संकल्प को जुनून बना डाला। एक उच्च अधिकारी के तौर पर मुझे भी उनके नेतृत्व में काम करने का अवसर मिला और बिहार में शिक्षा दिवस बिहार दिवस की शुरुआत का मैं भी साक्षी बना और साथ काम करने का निरंतर अवसर प्राप्त हुआ। इस लिए केवल उनके कार्यकाल के विकास पर ही नज़र डालें तो ये किसी सपने के साकार होने जैसा ही मालूम होता है। ईमानदारी पहले किताबों और भाषणों तक सीमित थी मगर अब कहने से ज़्यादा करने में विश्वास रखती नज़र आ रही है। चूंकि नीतीश कुमार जे पी आंदोलन से उभरने के साथ बुद्धिजीवी भी हैं इंजीनियर भी हैं इस लिए विज़न बड़ा हो गया । और इन सब में जो सब से बड़ी ताक़त है वो है उनकी बेपनाह ईमानदारी, उनकी सादगी, साधारण रहन सहन और उनके सद्भावनापूर्ण उच्च विचार सब ने मिल कर एक अद्भुत छवि बना दी है। इस लिए उन्हें, न दुनिया के सितम याद रहते हैं न कोई कटुता साथ रहती है। जिस शिद्दत के साथ उन्होंने बिहार में विकास का नया इतिहास रच दिया है उसके लिए आने वाले समयों में भी अमर रहेंगे। इस लिए, कहना पड़ता है “ऐसा कहां से लाएं, कि तुझ सा कहें जिसे”।
