सीखने की कोई उम्र नहीं होती

जब तक जियो सीखते रहो,पढ़ते रहो, लिखते रहो, क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती

जब तक जियो सीखते रहो,पढ़ते रहो, लिखते रहो, क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती

सीखने की कोई उम्र नहीं होती

लेखिका – हरवंश डांगे (रिटायर्ड प्रिंसिपल) भोपाल

बिना मेहनत के होने वाला काम उम्र का बढ़ना है।सीखने का कोई समय नहीं होता, सीखने का कोई मजहब नहीं होता, कोई जात नहीं होती,धर्म नहीं होता, सीखना ना अमीर है,ना गरीब है। इसलिए सीखने का  इंतजार ना करें क्योंकि इंतजार करने वाला पिछड़ जाता है। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था “जब जागो तभी सवेरा एकला चलो रे” सीखने की चाहत हो तो उम्र, समय, पाबंदियां, परेशानियां बाधा नहीं बनती तो फिर सीखने में हिचकिचाहट कैसी? जीवन का हर पल हमे किसी भी मोड़ पर कुछ ना कुछ सिखा जाता है।जैसे मैं सन 2006 की रिटायर्ड प्रिंसिपल, 2019 को आंखों का ऑपरेशन कराने के लिए दिल्ली जा रही थी ट्रेन में मेरे साथ वाली सीट पर एक बुजुर्ग बैठे हुए थे मैंने देखा एक किताब में से कॉपी पर कुछ लिखते मिटाते लिखते फिर मिटाते वह पुस्तक शायद चाइनीस भाषा की लग रही थी मैंने पूछा आप क्या लिख रहे हैं वे बोले मैं चाइनीस भाषा सीख रहा हूं मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ और फिर मैंने पूछा सर इस उम्र में… वह बोले मैडम सीखने की कोई उम्र नहीं होती, ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती मैं चाहता हूं हसरत है मेरी कि मैं बरसों जिंदा रहूं और सीखता रहूं।मुझे उस बुजुर्ग व्यक्ति से बहुत प्रेरणा मिली जब तक जियो सीखते रहो,पढ़ते रहो, लिखते रहो, क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती यदि हम प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन करें तो ज्ञात होता है कि शिशु मां के गर्भ से ही सीखने की शुरुआत करता है और जब तक वो जीवित रहता सीखता ही रहता है। महाभारत का एक प्रसंग बहुत प्रसिद्ध कहा जाता है जब सुभद्रा गर्भवती थी तब भगवान कृष्ण सुभद्रा को चक्रव्यूह की रचना के विषय में बता रहे थे जब अंतिम प्रसंग समझा रहे थे तब सुभद्रा सो गई और चक्रव्यूह से निकलने का प्रसंग नहीं सुन पायी।इस कारण महाभारत के चक्रव्यूह की रचना में अभिमन्यु हार गए और कौरवों के द्वारा मारे गए। सीखने की आदत का किसी की उम्र से कोई संबंध नहीं होता हम अपने बच्चों से, आस पड़ोस के वातावरण से, सोशल मीडिया से कभी भी, कहीं भी,  कुछ भी,सीख सकते हैं और सीखते रहना चाहिए ताकि आगे की पीढ़ियों के साथ हम कदम से कदम मिलाकर चल सके।अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं जितना सीखने की इच्छा ना हो ना। बहुत सी बातें हमने अपने विद्यार्थी जीवन में सीखी होती हैं फिर भी हमारा ज्ञान अधूरा और सीमित रहता है। ज्ञान की कोई सीमा नही होती वो एक विशाल समुद्र है जिसका कोई ओर छोर नही होता।
“वक्त सबको मिलता है जिंदगी बदलने को, जिंदगी नहीं मिलती अधूरे को पूरा करने को।।
क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। सुना है मानना भी पड़ता है कि जिंदगी चार दिन की होती है सीखने के लिए 4 दिन भी बहुत होती हैं बशर्ते की समय की नाजुकता और रफ्तार को ध्यान में रखा जाए।मेहनत, लगन, संकल्प, आत्मविश्वास, और सीखने का जज्बा हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती।
“मजबूरियों, पाबंदियों को कोसना नहीं हर हाल में चलना सीखिये,
वक्त बर्फ है रेत है ठहरता नहीं वक्त को बदलना सीखिए,
घुटने चले ना चले सीखने के शौक को जिंदा रखना सीखिये,
सीखने की कोई उम्र नहीं होती मन को उड़ता पतंगा बनाना सीखिये।”

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