तुर्की का इस्राइल पर झुकाव क्यूँ? कूटनीति या डर?

#तुर्की का इस्राइल पर झुकाव क्यूँ? कूटनीति या डर?#

#तुर्की का इस्राइल पर झुकाव क्यूँ? कूटनीति या डर?#
इसराइल के साथ-साथ तुर्की का ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्वी ग्रीस और अन्य देशों का एक समूह पूर्वी भूमध्यसागर से यूरोप के लिए एक संयुक्त गैस पाइपलाइन बनाने पर काम कर रहे हैं।

तुर्की का इस्राइल पर झुकाव क्यूँ? कूटनीति या डर?

एस. ज़ेड. मलिक

एक समय था, जब तुर्की मुसलमान बहुल देश के रूप में इसराइल का मज़बूत सहयोगी था, लेकिन अर्दोआन के सत्ता में आने के बाद से हालात बहुत तेज़ी से बदले हैं। कहा जाता समय बलवान होता है, समय, कभी कभी स्थिति ऐसा पैदा कर देता है कि इंसान क्या प्रकृतिक भी बदलने पर मजबूर हो जाती है। 

इस समय अर्दोआन के बारे में कहा जा रहा है कि वह अपने राजनीतिक करियर के सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं। देश में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ी है, राष्ट्रीय मुद्रा लीरा भी ऐतिहासिक रूप से कमज़ोर हुई है, विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति बहुत ठीक नहीं है, और अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने उन्हें अलग-थलग कर रखा है। ऐसे में अर्दोआन पुरानी दुश्मनी भुलाकर इसराइल, सऊदी और यूएई से दोस्ती करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

इसराइली अख़बार टाइम्स ऑफ़ इसराइल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, तुर्की के राष्ट्रपति अपने घर में बढ़ते आर्थिक संकट के बीच इसराइल को लेकर आर्थिक मुश्किलों के बीच अर्दोआन अपने क्षेत्रीय प्रतिद्ंवद्वियों से रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

 रिपोर्टों के मुताबिक़ “अमेरिका ने विवादित भूमध्यसागर गैस पाइपलाइन से पीछे हटने का फ़ैसला किया। इस फ़ैसले के बाद से अर्दोआन इसराइल की ओर देख रहे हैं। इसराइल के साथ-साथ तुर्की का ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्वी ग्रीस और अन्य देशों का एक समूह पूर्वी भूमध्यसागर से यूरोप के लिए एक संयुक्त गैस पाइपलाइन बनाने पर काम कर रहे हैं। तुर्की ने इस फ़ैसले का विरोध किया है। वह इस पर अपना दावा कर रहा है।

इस पाइपलाइन का अमेरिका के पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन ने भी समर्थन किया था। लेकिन इसराइली और अन्य मीडिया में रिपोर्ट छपी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले हफ़्ते ग्रीस को गोपनीय तरीक़े से सूचित किया था कि वो अब इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं होंगे।

कहा जा रहा है कि अमेरिका ने ऐसा एलान, तुर्की से तनाव पैदा होने की आशंका के कारण किया। अर्दोआन ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा है, “मुझे लगता है कि इस प्रोजेक्ट के वित्तीय मामलों को देखने के बाद अमेरिका ने इससे पीछे हटने का फ़ैसला किया है। मैं इसराइल से भूमध्यसागर से होते हुए यूरोप गैस पाइपलाइन ले जाने के लिए पुराने आइडिया पर बात कर रहा हूँ। हम इसे अब भी कर सकते हैं। अगर इसे यूरोप ले जाना है तो ये केवल तुर्की के ज़रिए ही जा सकता है।” अर्दोआन के इस बयान को मिडल ईस्ट आई ने प्रकाशित किया है।  

बहरहाल बुधवार को अर्दोआन ने राष्ट्रपति भवन में तुर्की और इस्लामिक देशों के यहूदियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात की थी। इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के स्वागत में राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा कि तुर्की-इसराइल का संबंध इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए बेहद अहम है। उन्होंने कहा “फ़लस्तीन को लेकर इसराइल के साथ मतभेद है लेकिन अर्थव्यवस्था, व्यापार, पर्यटन और विज्ञान के क्षेत्र में हमारा आपसी संबंध अपनी गति से बढ़ रहा है। जिससे शांति प्रक्रिया में इसराइल का रुख़ रचनात्मक है और इससे स्थिति को सामान्य करने में मदद मिलेगी।”

 आगे उन्होंने कहा की, “हम अभी इसराइली राष्ट्रपति हर्ज़ोग से बातचीत कर रहे हैं।  वह तुर्की के दौर पर आ सकते हैं। इसराइली प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट का भी सकारात्मक रुख़ है। हम अपनी तरफ़ से पारस्परिक फ़ायदे के लिए सभी ज़रूरी कोशिश करेंगे। नेता के रूप में हमें एक दूसरे से लड़ने के बजाय शांति के साथ रहना चाहिए।”

ज्ञात हो कि अर्दोआन ने 2005 में इसराइल का दौरा भी किया था। पिछले साल जब मई महीने में इसराइल की तत्कालनीन बिन्यामिन नेतन्याहू की सरकार ने गज़ा में हमास के ख़िलाफ़ हमले शुरू किए थे तो अर्दोआन ने सभी इस्लामिक देशों से एकजुट होने की अपील की थी।

 फ़लस्तीनियों के मुद्दे पर अर्दोआन इसराइल के ख़िलाफ़ हमेशा से आक्रामक रहे हैं. लेकिन 2010 के बाद चीज़ें और ख़राब हुईं। 2010 के मई महीने में मावी मारमारा पोत फ़लस्तीनी समर्थकों के लिए सामान लेकर जा रहा था।

इसी दौरान इसराइली कमांडो ने पोत पर रेड कर दी। यह पोत ग़ज़ा के लिए जा रहा था और इसराइली कमांडो ने अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में हमला बोला था। इस हमले में तुर्की के दस लोगों की जान गई थी। तब से ही तुर्की और इसराइल के रिश्तों में ऐसी दरार आई, जो सालों तक नहीं भरी।

 जबसे तुर्की की कमान रेचेप तैय्यप अर्दोआन के हाथ में आई है, इसराइल के साथ द्विपक्षीय संबंध में उतार-चढ़ाव हमेशा रहा और फ़लस्तीन के मुद्दे पर अर्दोआन हमेशा इसराइल को लेकर हमलावर रहते हैं, बावजूद इसके द्विपक्षीय रिश्तों को उन्होंने कभी ख़त्म नहीं किया।

 13 सालों में यह पहली बार ऐसा हुआ कि इसी सप्ताह गुरुवार को जब दोनों देशों के आला नेताओं तुर्की के विदेश मंत्री मेव्लुत चोवाशुग्लू ने फ़ोन पर इसराइल के विदेश मंत्री याएर लैपिड के बात की। 

   अर्दोआन ने कहा था, “हम अभी इसराइली राष्ट्रपति हर्ज़ोग से बातचीत कर रहे हैं। वह तुर्की के दौर पर आ सकते हैं। इसराइली प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट का भी सकारात्मक रुख़ है। हम अपनी तरफ़ से पारस्परिक फ़ायदे के लिए सभी ज़रूरी कोशिश करेंगे। नेता के रूप में हमें एक दूसरे से लड़ने के बजाय शांति के साथ रहना चाहिए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इसराइल और तुर्की के बीत ऊर्जा समझौता भी हो सकता है।

हालात से समझौता शायद इसी को कहते हैं।

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