बीबी कमाल के दरगाह पर सूफी महोत्सव का आयोजन इस अवसर पर काको पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन.
काको जहां साक्षरता बियार बहता है वहीं वहीं सुफ-सन्तो के प्रति आस्था की धरोहर है - यहां मुहर्रम भी शियाओं से अधिक उत्साहपूर्वक मनाया जाता है
काको जहां साक्षरता बियार बहता है वहीं वहीं सुफ-सन्तो के प्रति आस्था की धरोहर है – यहां मुहर्रम भी शियाओं से अधिक उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
बीबी कमाल के दरगाह पर सूफी महोत्सव का आयोजन इस अवसर पर काको पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन.
सैय्यद आसिफ इमाम काकवी
हिन्द की राबिया के नाम से विख्यात और भारत की प्रथम महिला सूफी संत मखदूमा बीवी कमाल की दरगाह पर शुक्रवार की शाम सूफी महोत्सव का आयोजन हुआ। इस अवसर पर काको पर लिखी गई अल्मा लतीफ शम्सी की पुस्तक काको की कहानी अल्मा की जबानी का भी विमोचन भी हुआ। इस अवसर बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन के अधिकारी, आम जनता एवं अकीदतमंद उपस्थित थे। आलमी अदब में ऐसे अदीब जिन्होंने अपने अदब में मक़ामी लहजा और मक़ामी रिश्तों के ताने बाने को क़ौमी और बैनुल-अक़्वामी मंज़रनामे में पैवस्त होने पर ज़ोर दिया तो अल्मा लतीफ शम्सी का नाम अपनी तमाम-तर हिस्सियात के साथ उर्दू-हिंदी अदब में एक नायाब और मुनफ़रिद मक़ाम रखता है। अल्मा लतीफ शम्सी निहायत ज़रख़ेज़ तख़लीक़ी ज़ेहन के अदीब-ओ-शाइर है। ज़िला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग के नेतृत्व में संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री कुमार सर्वजीत, ज़िले के प्रभारी मंत्री सन्तोष कुमार सुमन, सांसद चंदेश्वर प्रसाद, विधायक रामबली सिंह यादव, सुदय यादव, सतीश दास आदि ने दरगाह पर चादरपोशी की और राज्य में अमन-चैन खुशहाली एवं आपसी सौहार्द्र के लिए दुआएं मांगी। चादरपोशी के उपरांत सूफी महोत्सव का उद्घाटन सूबे के पर्यटन मंत्री श्री कुमार सरबजीत श्री रिची पांडे, जिलाधिकारी जहानाबाद जहानाबाद सांसद श्री चंदेश्वर चन्द्रवंशी, जहानाबाद विधायक सुदय यादव, घोषी विधायक बलीराम यादव, मखदुमपुर विधायक सतीश दास, जिलाधिकारी रिची पाण्डे, पुलिस अधीक्षक, उप विकास आयुक्त,ए डी एम समेत ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्जवलित कर महोत्सव का उद्घाटन किया। इसके पूर्व जिलाधिकारी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि बीबी हजरत कमाल का मजार ऐतिहासिक धरोहर है। प्रत्येक साल यहां उर्स के अवसर पर पर्यटन विभाग द्वारा सूफी महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस तरह के आयोजन से सामाजिक समरसता एवं प्रेम भाईचारे का माहौल कायम होता है। निदेशक कमल कुंज ने कहा कि का को बिहार के ऐतिहासिक पुरातात्विक धार्मिक और साम्प्रदायिक सद्भाव केन्द्रों में एक है। इसके विकास के लिए पर्यटन विभाग अपनी ओर से पूरी कोशिश आगे भी जारी रखेगा। स्थानीय सांसद चांदेश्वर प्रसाद ने कहा कि बीवी कमाल सूफी संत महिला थी, जो अलौकिक दिव्य विद्या के लिए विख्यात थी। बीबी कमाल के ऐतिहासिक दरगाह गंगा -जमुनी संस्कृति को जीवंत कृति है, इधर विधायक ने बीबी कमाल के ऐतिहासिक दरगाह की महत्ता पर प्रकाश डाला। जिप अध्यक्ष रानी ने कहा कि बीबी कमाल के ऐतिहासिक दरगाह गंगा -जमुनी संस्कृति को जीवंत रखे हुए है। हिन्द की राबिया के नाम से विख्यात और भारत की प्रथम महिला सूफी संत मखदूमा बीवी कमाल की दरगाह पर शुक्रवार की शाम सूफी महोत्सव का आयोजन हुआ। इसके पहले पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन ने समारोह को लेकर व्यापक तैयारियां कर रखी थी।समारोह के आगाज के बाद जैसे-जैसे शाम ढलती गयी, सूफियाना संगीत की स्वर लहरियों पर पूरा माहौल हिलोरें लेने लगा। सबसे पहले मखदुमपुर की स्थानीय छात्रा शिवानी भट्ट ने अपनी शुरूआती प्रस्तुतियों से ही माहौल में समा बांध दिया। उसके बाद अन्य स्थानीय कलाकारों ने सिलसिले को और खूबसूरत बनना शुरू कर दिया। एहसान आलम विनय कुमार विकल जैसे स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी खूबसूरत देसी प्रस्तुतियों से खूब बाह वाही बटोरी। बाद में प्रसिद्ध सूफी गायक दीपक परिहार ने मोर्चा संभाला और फिर अपनी एक से बढ़कर एक सूफियाना गीतों से मौके पर उपस्थित हजारों श्रोताजनों के दिलों के तारों को झंकृत कर दिया। प्रसिद्ध सूफी गायिका सुश्री ममता जोशी ने जब सूर ताल के साथ सूफियाना कलाम छेड़ा तो समारोह स्थल में उपस्थित सभी लोग खड़े होकर उसका साथ देने लगे. काको की शाम आज सूफियाना रंग में रंगी थी। हिन्दुस्तान यूँ तो हमेशा सूफ़ियों और दरवेशों का अ’ज़ीम मरकज़ रहा है। आप एक बहुत बडी सूफी बुज़र्ग है आपके करामात का चर्चा आज पूरे हिंदुस्तान में है। आप हिंदुसतान के सिलसिला सहरवर्दी के बानी हज़रत मखदूम सयैद शहाब उद्दीन पीर जगजूत राहतुल्लाह अलैह की सहेबज़ादी है। इन्हीं बा-सफ़ा सूफ़ियों में हज़रत मखदूमा सय्यदा बीबी कमाल रहमतुल्लाह अलैहा नाम सर-ए-फ़िहरिस्त आता है। आप अपने वक़्त की मशहूर ख़ातून थीं। आपको अल्लाह तआ’ला ने अपने फ़ज़्ल-ए-बे-कराँ से ख़ूब नवाज़ा था और रूहानियत का अ’ज़ीम मर्तबा अ’ता फ़रमाया था। उस वक़्त के बड़े-बड़े उ’लमा-ओ-सुलहा आपकी अज़्मत-ओ-बुज़ुर्गी का एहतिराम करते थे। आप अपने ज़ाहिरी-ओ-बातिनी कमालात, रियाज़त,फ़ैज़-रसानी और जूद-ओ-सख़ा में दूर-दूर तक मशहूर थीं। आप दुनिया-ए-तारीख़-ए-तसव्वुफ़ की उन ख़ास ख़्वातीन औलिया में शामिल हैं, जिन्हें मक़ाम-ए-राबिया अ’ता हुआ है। या’नी कि आप अपने वक़्त की राबिया हैं। ऐसा कहा जाता है कि आपका काफला काको के रास्ते से अक्सर गुज़रा करता था। आपके तौर तरीके को देखकर वहाँ के बाशिंदा आपसे अक़ीदत व मोहब्बत करने लगे। आपके तरीके को देखकर लोग इस्लाम मे दाखिल होने लगे।आप अक्सर अपने काफले को जब उस रास्ते से गुजरती तो आपका उस इलाके में पड़ाव होता।
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