काको में 12वां सूफी महोत्सव 

हिंदुस्तान में गंगा-जमुनी तहजीब और सूफी धारा को आगे बढ़ाने में हजरत मखदूमे बीबी कमाल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।

हिंदुस्तान में गंगा-जमुनी तहजीब और सूफी धारा को आगे बढ़ाने में हजरत मखदूमे बीबी कमाल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।

काको में 12वां सूफी महोत्सव 

 

सैय्यद आसिफ इमाम काकवी

काको में वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सूफी महोत्सव की शुरुआत की तब से यहां लगातार इसका आयोजन किया जा रहा है . 29 सितम्बर की संध्या बीबी कमाल के मक़बरा पर सूफी महोत्सव के आयोजन के मौके पर प्रसिद्ध सूफी गायिका कविता सेठ ने सूफ़ियाना गीतों से महोत्सव को रौनक़ बख्शी। सूफी महोत्सव का आयोजन बिहार सरकार के पर्यटन विभाग और जहानाबाद जिला प्रशासन की ओर से किया गया था। काको की सर-जमीन जो औलिया ए किराम का मस्कन और इल्म की रौशनी और मीनार है जिसको अहल ए ज़बान कमालाबाद वाले के नाम से याद करते हैं। हिंदुस्तान के सूबा ए बिहार ज़िला जहानाबाद में कमालाबाद काको वाक़े है। और उन सादात ए किराम का मस्कन है जो निहायत ख़ामोशी के साथ अपने रुहानी फ़ैज़ान से इस आलम को बहरा-वर कर रहे हैं।

महान सूफी हज़रत मख़दुमा बी बी कमाल अलैहि रहमा का सलाना उर्स बनाम सूफी फेस्टिवल, सरकारी एज़ाज के साथ चादरपोशी की रस्म अदा की गई, इस अवसर पर जहानाबाद सांसद श्री चंदेश्वर चंद्रवंशी, जहानाबाद विधायक सुदय यादव, घोसी विधायक बलीराम यादव, मखदुमपुर विधायक सतीश दास, जिलाधिकारी रिची पांडेय, पुलिस अधीक्षक, उप विकास आयुक्त,ए डी एम समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन के अधिकारी, आम जनता एवं अकीदतमंद उपस्थित थे। हजरत बीबी कमाल के सलाना उर्स के अवसर पर शुक्रवार की देर शाम आयोजित सूफी महोत्सव का उद्घाटन दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ।

 

इसके पूर्व जिलाधिकारी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि बीबी हजरत कमाल का मजार ऐतिहासिक धरोहर है। प्रत्येक साल यहां उर्स के अवसर पर पर्यटन विभाग द्वारा सूफी महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस तरह के आयोजन से सामाजिक समरसता एवं प्रेम भाईचारे का माहौल कायम होता है।

काको महोत्सव के अवसर पर आयोजित सूफियाना संगीतमय शाम में चार चांद लगा दिया. काको पनिहास की कल कल करती पानी के किनारे पर आयोजित इस सूफी महोत्सव में सूफ़ी गायिका कविता सेठ ने अपनी गायकी से महोत्सव की रौनकता बढ़ा दी. इस आयोजन में डीएम के निर्देश पर मौजूद स्थानीय कलाकारों का भी जलवा रहा। जब सूफी महोत्सव का आगाज हुआ तो महोत्सव स्थल के चारों ओर मौला मौला गूंजने लगा. काको की शाम आज सूफियाना रंग में रंगी थी हर ओर अपनी दुआ कबूल होने की बात दिल में थी।

सूबा-ए-बिहार का ख़ित्ता मगध,पाटलिपुत्र,राजगीर और मनेर शरीफ अपनी सियासी बर-तरी, इल्मी शोहरत के साथ साथ रूहानी तक़द्दुस और अ’ज़मत के लिए हर दौर में मुमताज-ओ-बे-मिसाल रहा है। विश्व प्रसिद्ध हज़रत मखदूमे बीबी कमाल रहमतुल्ला अलहे का उर्स शऱीफ मनाया गया। देश विदेश से आये अकीदतमंद ने उर्स शऱीफ में अपनी हाज़री पेश की। सलाना उर्स मुबारक बीबी कमाल परिसर में फतेहा-ए-सेहमनी के साथ शुरू हो गया। अकीदतमंदों की भीड़ बीबी कमाल दरगाह की ओर चल पड़ी और लोग जियारत में शामिल हो गये। उर्स शऱीफ शुरू होते ही मज़ार मुबारक़ पर गुलपोशी और चादरपोशी का सिलसिला चलता रहा हिंदुस्तान के अलग अलग शहरों से पहुँचे जायरीन और अकीदतमंदों ने दरगाह पर इबादत की और झोली फैलाकर अल्लाह की बारगाह में दुआएँ करने और सरकार के वसीले से अल्लाह से दुआएँ मांगी। हर धर्म के लोग दरगाह पर हाज़री को आते हैं। पूरी दरगाह रोशनी के लबालब नज़र आ रही थी अंदर से बाहर तक दरगाह को खूबसूरती के साथ सजाया गया। विभिन्न शहरों से अकीदतमंद बीबी कमाल मख़दूम साहब के मुरीद शिरकत करने के लिए भारी तादाद में यहां आते हैं। विशेष पकवान के रूप में गुड़ की खीर पकायी जाती है। फातेहा के बाद अकीदतमंदों में उसका विवरण मिट्टी के बर्तन ‘ढकनी’ में किया जाता है। दरगाह कमेटी और दरगाह निगरानी कमेटी काको से और अकीदतमंद ने जायरीन को लंगर तकसीम कराया गया। हिंदुस्तान में गंगा-जमुनी तहजीब और सूफी धारा को आगे बढ़ाने में हजरत मखदूमे बीबी कमाल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। जायरीन की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सारी व्यवस्था अच्छी तरह से बनाई थी। सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी पुलिस बल मुस्तैद रहा। काको में दो दिवसीय सूफी महोत्सव के पहले दिन दरगाह निगरानी कमेटी ओर दरगाह कमेटी के सज्जादा नशीं सैय्यद शाह मोहम्मद सदररूद्दीन के नेतृत्व में पहले दिन का सलाना जलसा आयोजित होते है। चादरपोशी के बाद देश-प्रदेश के लिए अमन-चैन की दुआएं मांगी गयी. हिंदुस्तान में सूफी विचारधारा के कई केंद्र हैं उस में एक मुख्य केन्द्र हजरत मखदूमे बीबी कमाल है। अफगानिस्तान के कातगर निवासी हजरत सैयद काजी शहाबुद्दीन पीर जगजोत की पुत्री तथा सुलेमान लंगर रहम तुल्लाह की पत्नी थी। सूफियों ने एकता अखंडता कि शिछा हर समय में दी। हिंदुस्तान में गंगा-जमुनी तहजीब और सूफी धारा को आगे बढ़ाने में हजरत मखदूमे बीबी कमाल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। काको की शाम आज सूफियाना रंग में रंगी है। काको स्थित हजरत बीबी कमाल की मजार पर चादरपोशी और जायरीनों ने बिहारी की तरक्की व आपसी भाईचारे के बरकरार रहने की दुआ मांगी। सूफी संतों की फेहरिस्त में बीबी कमाल का नाम भी प्रमुख लोगों में है। आईने अकबरी में महान सूफी संत मखदूम बीबी कमाल की चर्चा की गयी है। जिन्होंने न सिर्फ जहानाबाद बल्कि पूरे विश्व में सुफियत की रौशनी जगमगायी है। इनका मूल नाम मखदुमा बीबी हटिया उर्फ बीबी कमाल है। दरअसल बचपन से ही उनकी करामात को देखकर उनके पिता शहाबुद्दीन पीर जराजौत रहमतुल्लाह अलैह उन्हें प्यार से बीबी कमाल के नाम से पुकारते थे यही कारण है कि वह इसी नाम से सुविख्यात हो गयी।
क्या कहिए अहले दिल के लिए क्या है काको
हर शहर, हर दयार से अच्छा है काको ..

सैय्यद आसिफ इमाम काकवी

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