मोटे अनाज है सेहत का खजाना

अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के लिए 8 अनाजों - बाजरा, रागी, कुटकी, सेवा, ज्वार, कंगनी, चेना और कोदो को शामिल किया गया है।

अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के लिए 8 अनाजों – बाजरा, रागी, कुटकी, सेवा, ज्वार, कंगनी, चेना और कोदो को शामिल किया गया है।

 मोटे अनाज है सेहत का खजाना

लेखक –  बृजेश कुमार पटेल

अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष2023 को हम मोटे अनाजो के वर्ष के रूप मना रहे है। यू तो हम सभी स्वस्थ रहना चाहते है पर अगर हम सभी खाने – पीने पर विशेष ध्यान दे तो एकदम स्वस्थ रहे। यदि महिलाएं मोनोपॉज अर्थात रजो धर्म से पहले मोटे अनाजों कोदो तथा रागी आदि अनाज 30ग्राम प्रति दिन के हिसाब से सेवन करे तो छाती के कैंसर का खतरा लगभग 520/0 कम हो जाता है।रोजाना अपने डाइट में 20 से 30 फीसदी मोटे अनाजों का सेवन करने पर बीमारियों का खतरा बेहद ही कम हो जाता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनती है और शारीरिक – मानसिक मजबूती भी मिलती है।वैसे तो दुनिया में मिलेत की 13 वराइटी मौजूद है, लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के लिए 8 अनाजों – बाजरा, रागी, कुटकी, सेवा, ज्वार, कंगनी, चेना और कोदो को शामिल किया गया है। यदि हम बात करे मोटे अनाजों के पौष्टिक महत्व की तो कई रोगों से छुटकारा पाने में ये मोटे अनाज महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। ह्रदय रोग, कैंसर गठिया रोग, सूजन का खतरा कम करते है और शरीर की प्रतिरोधक तंत्र को बेहतर बनाते है। इसमें प्रोटीन,वसा,लौह,रेशा,कैल्शियम और जिंक की भी भरपूर मात्रा होती है। मोटे अनाजों में रेशा की मात्रा काफी अधिक होती है लेकिन सामान्य खाने से यह नहीं मिल पाता है। इसलिए मोटे अनाजों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। कोदो, बाजरा, हरी कंगनी और बर्री में सबसे ज्यादा रेशा होता है। विशेषज्ञ यह नहीं कहते कि चावल, गेहूं या मक्का को भोजन में ही न शामिल करे बल्कि मोटे अनाजों को भी शामिल करे क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष का प्रमुख उद्देश्य खाने में विविधता पैदा करना है ताकि शरीर स्वस्थ रहे, जब सभी लोग इनका सेवन करेगे तो देश में इसका उत्पादन बढ़ेगा और किसान कम खर्च में इसे पैदा करने के लिए प्रेरित होंगे और इससे उनकी आय के खर्च में भी इजाफा होगा। चावल और गेहूं के मुकाबले बाजरा, रागी, ज्वार ,कुटकी, कोदो, कागनी चेना सवा, हरी कागानी में प्रचूर मात्रा में लौह तत्व पाए जाते है।मोटे अनाजों बाजरा, रागी, कुटकी, बर्री, शमक में जिंक भरपूर मात्रा में होता है । आइए जनता है मोटे अनाजों के बारे में – रागी (finger millet)- रागी में प्रोटीन 7.2 ग्राम, वसा 1.92 ग्राम, लौह 4.6 एमजी, रेशा 11.18 एमजी, कैल्शियम 364 एमजी, जिंक 2.50 एमजी। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है जो कि हृदय रोग एथरोस्क्लेरोसी स को बढ़ावा देता है। रागी को देशी भाषा में नचनी भी कहते है। इस अनाज का रंग लाल भुरा और स्वाद अखरोट जैसा होता है।रागी के नियमित सेवन से मधुमेह और रक्तचाप जैसी बीमारियों को नियंत्रित कर सकते है। यह विटामिन बी से भरपूर होता है। कंगनी (foxtail millet) – कंगनी में प्रोटीन12.3ग्राम ,वसा 4.3ग्राम, लौह 2.8 एमजी, रेशा4.25 एमजी, कैल्शियम 31 एमजी, जिंक 2.40 एमजी होता है। कंगनी को एसियाई देशों में उगाया जाता है। इस मिल्लेट का दाना पीला होता है जिसे दलिया से लेकर पुलाव जैसे कई व्यंजन बनने में इस्तेमाल किया जाता है। इसका स्वाद अखरोट जैसा होता है। यह आयरन पोटैसियम और मैग्नेशियम से भरपूर होता है। चेना (proso millet ) – चेना एक ऐसा अनाज है जो पूरी दुनिया में उगाया जाता है।भारत के साथ साथ यूरोप ,चीन और अमेरिका में इससे सूप,दलिया और नूडल बनाए जाते है। ये मिल्लेत फैट और कोलेस्ट्रोल फ्री होता है साथ ही चेना प्रोटीन, रेशा, विटामिन बी, आयरन और जिंक समेत कई विटामिन और खनिजों का मुख्य स्रोत है। कोदो – कोदो एक पारंपरिक अनाज है। इसे केद्रव भी कहते है। कोदो में प्रोटीन 8.3 ग्राम, वसा 1.4 ग्राम, लौह .5 एमजी, रेशा 9.० एमजी, कैल्शियम 27 एमजी, जिंक 1.65 एमजी होता है। इसमें कैंसर, पेट और मधुमेह के रोग दूर करने कि शक्ति होती है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते है। इसकी फसल धान की तरह होती है। सावा – सावा को देश के अलग- अलग भागो में उड़ालू या झंगोरा के नाम से जाना जाता है सावा का इतिहास भी बाकी मोटे अनाजों की तरह हजारों साल पुराना है इसका मौजूद रेशा ,प्रोटीन ,आयरन,कैल्शियम और विटामिन बी आदि शरीर को खास ऊर्जा देते है। इसके नियमित सेवन से सूजन,हृदय रोग और डायबिटीज का खतरा भी कम होता है।किसान भी सावा उगाना बेहद पसंद करते है क्युकी इसमें कीट या बीमारियां लगने का खतरा नहीं रहता है। ज्वार (sorghum) ज्वार में प्रोटीन 10.4 ग्राम, वसा 3.1 ग्राम, लौह 5.4 एमजी, रेशा 2.98 एमजी, कैल्शियम 23 एमजी, जिंक 3.00 एमजी होता है। ज्वार कैंसर, डायबिटीज के खतरे को कम करता है और इसमें मैग्नेशियम पर्याप्त मात्रा में होता है जो कि कैल्शियम के अवशोषण को बढ़िया बनाता है और हड्डी को मजबूत बनाता है।यह रक्त दाब, बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है ।यह एल्कलाइन होता है और अमलता को कम करता है। इसमें फोलिक अमला पाया जाता है जो कि नया कोसिकावो का निर्माण करता है और d.n.a के परिवर्तन को रोकता है जो कि कैंसर का कारण बनता है। यह आंखो के लिए बढ़िया होता है जोकि हमारे शरीर में एक इंजाइम की क्रियाविधि को बढ़ावा देता है जोकि विटामिन ए का निर्माण करता है और विटामिन ए रतौंधी के उपचार में उपयोगी है। खांसी जुकाम होने पर ज्वार के दानों को गुड़ में मिलाकर खाया जाता है।ज्वार के आंटे से बना काजल आंखो को ठंडक देता है। कुटकी (little millet) – कुटकी के ज्यादातर गुड़ चेना से मिलते है। कुटकी में प्रोटीन 7.7 ग्राम, वसा 4.7 ग्राम, लौह 9.3 एमजी, रेशा 7.6 एमजी, कैल्शियम 17 एमजी, जिंक 1.82 एमजी होता है। इसकी खेती करना किसानों के लिए जितना आसान है, इसके सेवन से भी उतने फायदे होते है। कुटकी की फसल 65 से 75 दिनों में पक जाती है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लेकर सुगर को नियंत्रित करने में असरदार माना जाता है। बाजरा (pearl millet)- बाजरा सबसे ज्यादा उगाए और खाए जाने वाला मोटा अनाज है,जिसकी सबसे ज्यादा खेती भारत और अफ्रीका में की जाती है।बाजरा को कई इलाकों में बजरी और कंबू के नाम से भी जानते है। बाजरा को हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है।कम सिंचाई वाले इलाकों के लिए बाजरा की फसल वरदान है। इसमें प्रोटीन 11.6 ग्राम, वसा 2.7 से7.1० ग्राम, लौह 7.1 एमजी, रेशा 2.6 से 4…0 एमजी, कैल्शियम 4.5 एमजी, जिंक 2.76 एमजी होता है। यह बाइल एसिड के स्राव को कम करता है जो कि gallstones शरीर में बनाता है। इसमें थियामिन, रीबिफ्लावी न और नियासिन भी होता है। यह मोटापा कम करता है। इससे मोटे दानों को अलग करने के बाद पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं बाजरे के फसल अवावशेशो से जैव ईंधन भी बनाया जाता है। प्रोटीन, फाइबर, अमीनो अम्ल समेत कई पोषक तत्वों से भरपूर millet se ब्रेड, कोक्कीज समेत कई व्यंजन बनाए जाते है। मोटे अनाजों में पल्प अर्थात गुदा अधिक होता है। इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं रहती है। यह पचने में आसान होता है जिससे आपका हाजमा भी दुरुस्त रहता है।यह शरीर में फैट को बढ़नेनहीं देता। बेशक सर्दियों में लोग मोटे अनाज को प्राथमिकता देते है पर आप तासीर के अनुसार इसका सेवन गर्मियों में कर सकती है। जैसे बाजरा गर्म तासीर का होता है और इसी तरह ज्वार की तासीर बीच की होती है। जबकि मक्के की तासीर ठंडी होती है। आइए मोटे अनाजों का प्रयोग पुनः अपने भोजन में शामिल करे और अपने आपको स्वस्थ रखे।

 

लेखक – बृजेश कुमार पटेल ,ग्राम – सिरौली जौनपुर यू पी पिन 222137मोबाइल 8382831904

,ईमेल brijeshkumarp83@gmail.com

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