बिहार को नाम नहीं, काम चाहिए: नीतीश जी, अब जनता मूर्ख नहीं है!

अब जब चुनाव नज़दीक है, तो सरकार ‘नाम बदलो, भावनाएं उकसाओ’ की नीति अपना रही है। लेकिन अब जनता इतनी भोली नहीं रही। उसे मालूम है कि नाम बदलने से पेट नहीं भरता, नौकरियां नहीं मिलतीं, अस्पताल नहीं खुलते, और किसान की हालत नहीं सुधरती।

आपने भाजपा से ‘जुमला राजनीति’ तो सीख ली, लेकिन ये भूल गए कि बिहार के लोग अब सोशल मीडिया और ज़मीनी हकीकत – दोनों को समझने लगे हैं। उन्हें सिर्फ नाम नहीं, काम चाहिए। गयाजी बन जाने से न पर्यटन बढ़ेगा, न रोज़गार मिलेगा। बिहार को चाहिए योजनाएं, बजट, और राजनीतिक ईमानदारी।

बिहार को नाम नहीं, काम चाहिए: नीतीश जी, अब जनता मूर्ख नहीं है!

सैय्यद आसिफ इमाम काकवी

“ठीक है नीतीश जी” ये जुमला अब जनता की हँसी का विषय बन चुका है। एक दौर था जब नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कहा जाता था, लेकिन आज 2025 के चुनावी माहौल में वो भी नाम बदलने की राजनीति करने लगे हैं। ‘गया’ को ‘गयाजी’ बनाने की पहल कोई धार्मिक या सांस्कृतिक संवेदना नहीं, बल्कि एक राजनीतिक हथकंडा है – जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने का ज़रिया।

लगभग दो दशकों से सत्ता में रहने के बावजूद बिहार में रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के नाम पर वही पुराने वादे दोहराए जा रहे हैं। युवाओं की आंखों में सपने नहीं, बेचैनी है। हर साल लाखों छात्र पलायन कर जाते हैं – क्योंकि यहां उन्हें न उच्च शिक्षा की व्यवस्था है, न नौकरी की गारंटी।
अब जब चुनाव नज़दीक है, तो सरकार ‘नाम बदलो, भावनाएं उकसाओ’ की नीति अपना रही है। लेकिन अब जनता इतनी भोली नहीं रही। उसे मालूम है कि नाम बदलने से पेट नहीं भरता, नौकरियां नहीं मिलतीं, अस्पताल नहीं खुलते, और किसान की हालत नहीं सुधरती।
“बिहार में बहार है” – ये नारा अब खोखला लगने लगा है। अगर सच में बहार होती तो बिहार के गांवों में आज भी बिजली-पानी की समस्या न होती। अगर विकास हुआ होता, तो पटना की सड़कें गड्ढों का जाल न होतीं।
नीतीश जी, आपने भाजपा से ‘जुमला राजनीति’ तो सीख ली, लेकिन ये भूल गए कि बिहार के लोग अब सोशल मीडिया और ज़मीनी हकीकत – दोनों को समझने लगे हैं। उन्हें सिर्फ नाम नहीं, काम चाहिए। गयाजी बन जाने से न पर्यटन बढ़ेगा, न रोज़गार मिलेगा। बिहार को चाहिए योजनाएं, बजट, और राजनीतिक ईमानदारी।

बिहार की नई पीढ़ी अब जाति, धर्म और नाम बदलने की राजनीति से ऊपर उठ चुकी है। वह सवाल पूछना जानती है – और इस बार चुनाव में जवाब भी मांगेगी।

ZEA
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