“लगाओ आग न उन बेमकीं मकानों को। कि शोला आप के खिरमन को भी जला देगा।।”
डॉ. अजय मालवीय "बाहर इलाहाबादी" भारतीय अस्मिता एवं संस्कृति का सम्मानजनक ढंग से हिंदी और उर्दू में समान रूप से विवेचन किया है और भारतीय संस्कृति और सभ्यता को उन्होंने इसके माध्यम से उभारा है।
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