“लगाओ आग न उन बेमकीं मकानों को। कि शोला आप के खिरमन को भी जला देगा।।”

डॉ. अजय मालवीय "बाहर इलाहाबादी" भारतीय अस्मिता एवं संस्कृति का सम्मानजनक ढंग से हिंदी और उर्दू में समान रूप से विवेचन किया है और भारतीय संस्कृति और सभ्यता को उन्होंने इसके माध्यम से उभारा है।
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कारगिल की यादें – राम अवतार बैरवा

चाहे आ घाटी के रस्ते या सहरा-ओ-सागर से सरहद पर मुस्तैद खड़े हैं भूखे शेर कतार से।। तेरे चमन में भी महकेंगे खुशहाली के फूल सदा। आकर ले जा बीज अमन के मेरे इस गुलजार से।।
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इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर का चुनाव, देश या राज्य का चुनाव या सुसाईटी का चुनाव?

आईआईसीसी का चुनाव जीत कर कोई भी आये  वह ऐसा काम करे जिसमे इस्लामिक मेज़ियम , इस्लामिक कल्चर से भरी लाइब्रेरी और इस्लामिक सभ्यता और संस्कार का माहौल भी वहां झलकना चाहिये।  
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आख़िर गोधरा कांड के सच्चाई के नाम पर फ़िल्म क्यूं बनाया जा रहा – क्या फ़िल्म मेकर इतना ईमानदार…

गुजरात गोधरा कांड के २२ साल पहले हुए इस अमानवीय घटना के पीछे की साजिश की परतों का पता लगायेंगी । क्या इस फ़िल्म से साजिश करने वालों को सजा मिलेगी?
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खलील मामून के निधन पर गालिब इंस्टीट्यूट में 2 मिंट का मौन धारण कर शोक प्रकट किया।

खलील मामून एक साहसी और पढ़े-लिखे व्यक्तित्व थे. उनकी उपस्थिति ने कर्नाटक के साहित्यिक माहौल में एक बड़ी हलचल पैदा कर दी।
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इक़बाल एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी के स्थापना दिवस, पर “गैलेक्सी ऑफ़ सॉरो” का विमोचन।

महिलाओं के लिए मौसम बदल रहा है, दृश्य भी बदल रहा है। और दृष्टि और दृष्टिकोण में भी बदलाव आ रहा है, अब स्त्री को शरीर में ही नहीं मन में भी ढूंढना होगा
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पहली बार दिल्ली में महिलाओं की भागीदारी वाला अंतरराष्ट्रीय साहित्योत्सव का आयोजन

भारतीय समाज को साक्षर बनाने के लिये महिलाओं को साहित्य से रुचि रखना होगा तथा अधिक से अधिक महिलाओं को शिक्षा और साहित्य से जोड़ कर महिला समाज को गौरवांवित करें -
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“हिंदी पत्रकारिता भूमिका एवं समीक्षा’ का लोकार्पण

"सविता चड्ढा की पुस्तक"हिंदी पत्रकारिता भूमिका और समीक्षा"पत्रकारिता जगत की गीता है। जो पत्रकारों को एक सही राह दिखाती है। सविता चड्ढा जी ने विभिन्न विषयों पर अपनी लेखनी चलाई है।
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