बढ़ती महंगाई से जनता त्रस्त – और दोनों सरकारें मस्त।
दिल्ली सरकार दिल्ली की झीलों को पुनर्जीवित कर उन्हें आकर्षक पर्यटन स्थलों में तब्दील करने में जुटी। क्या दिल्ली सरकार ने अपने नये प्रतिनिधियों को पूंजीपति बनने का अवसर नहीं दे रही है?
दिल्ली सरकार दिल्ली की झीलों को पुनर्जीवित कर उन्हें आकर्षक पर्यटन स्थलों में तब्दील करने में जुटी। क्या दिल्ली सरकार ने अपने नये प्रतिनिधियों को पूंजीपति बनने का अवसर नहीं दे रही है?
दिल्ली सरकार भी कांग्रेस की राह? महंगाई से दिल्ली की जनता त्रस्त और दिल्ली सरकार दिल्ली को पेरिस, वाशिंगटन बनाने में मस्त।
एस. ज़ेड. मलिक
नई दिल्ली – केजरीवाल सरकार दिल्ली की झीलों को पुनर्जीवित कर उन्हें आकर्षक पर्यटन स्थलों में तब्दील करने में जुटी है। इसी कड़ी में दिल्ली के जल मंत्री व दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने रोहिणी सेक्टर-25 स्थित रोहिणी झील का मुआयना किया। परियोजना में जारी विभिन्न इकाइयों के कार्यों की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा की। जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को विभिन्न पहलुओं पर सुझाव दिए, जो दिल्ली सरकार द्वारा चलाई जा रही झीलों के कायाकल्प परियोजना का हिस्सा है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों से झील को उम्मीदों के अनुरूप बदलने और समय से गुणवत्ता पूर्ण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। इसके अलावा इकोलॉजिकल सिस्टम को बनाए रखने और लागत प्रभावी तरीकों के साथ ज्यादा से ज्यादा अंडरग्राउंड वॉटर रिचार्च करने के लिए परियोजना को तैयार करने के लिए कहा है।
केजरीवाल सरकार, दिल्ली को ‘झीलों का शहर’ बनाने के सपने को साकार करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है। इस परियोजना के तहत पहले चरण में सरकार की ओर से 250 जलाशयों और 23 झीलों को जीवंत किया जा रहा है। इसका उद्देश्य शहरी बाढ़ को रोकना और अवरुद्ध नालियों से बचने के लिए विभिन्न जलाशयों का निर्माण करना है। दिल्ली सरकार ‘सस्टेनेबल मॉडल’ का उपयोग करके झीलों का कायाकल्प कर रही है। झीलों के आस-पास पर्यावरण तंत्र को जीवंत करने के लिए देसी पौधे लगाए जा रहे है। साथ ही सभी जल निकायों को सुंदर रूप देने की दिशा में कड़ी मेहनत की जा रही है।
रोहिणी झील राजधानी में पुनर्जीवित होने वाली 23 झीलों में से एक है और इसे जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने एक प्रमुख परियोजना के रूप में भी नामित किया गया है। झीलों के कायाकल्प के लिए झील का सुंदरीकरण, भू-निर्माण और ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण किया जा रहा है। रोहिणी झील और रोहिणी एसटीपी, दोनों 100 एकड़ जमीन पर है, जिसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 20 एकड़ पर और झील 80 एकड़ में विकसित की जा रही है। इस झील में 15 एमजीडी की क्षमता वाले एसटीपी से उपचारित पानी को एकत्रित किया जाएगा। साथ ही बरसात का पानी भी यहाँ पर एकत्रित किया जा सकेगा जिससे आने वाले कुछ सालों में भूजल स्तर में बढ़ोतरी होगी।
जल मंत्री सत्येंद्र जैन का प्राथमिक उद्देश्य 80 एकड़ भूमि पर बनाई जाए रही रोहिणी झील को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है, ताकि यह लोगों के मनोरंजन के लिए टूरिस्ट स्पॉट बन सके। यह परियोजना 8 महीने की समय सीमा में पूरा होने की उम्मीद है। इसके पूरा होने के एक महीने बाद ही पर्यटकों के लिए ओपन किया जाएगा। जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि रोहिणी झील को सुंदर बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम विशेषज्ञों की मदद भी ले रहे हैं। झील को इस तरह से पुनर्विकसित किया जा रहा है कि लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनें। झील सालभर साफ पानी से भरी रहेगी। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इससे अधिकतम अंडरग्राउंड वॉटर रिचार्ज हो। ये सभी कार्य पर्यावरण के अनुसार ही हो रहे हैं। उन्होंने बचाया कि बारिश की बूंदों को सहेजने के लिए जलाशयों को जीवित करना जरूरी है। इसके लिए भी दिल्ली सरकार द्वारा लगातार काम किया जा हैं।
झील का विकास पिकनिक स्पॉट (पर्यटन स्थल) के रूप में किया जा रहा है। करीब 80 एकड़ के क्षेत्र में झील का अत्याधुनिक भूनिर्माण किया जाएगा। झील स्थल में प्राइमरी और सेकेंडरी, दो पैदल चलने के लिए पथ और 4.5 मीटर का एक जंगल का रास्ता भी होगा, जो झील के बीच से होकर गुजरेगा। यहां लगे कई पेड़-पौधे न केवल पर्यटकों को इसकी सुंदरता के लिए आकर्षित करेंगे बल्कि लोगों को प्रकृति के करीब आने का भी मौका मिलेगा। इसके साथ ही झील में कई विश्व स्तरीय सुविधाएं भी होंगी, जैसे पार्किंग स्पेस, कैफेटेरिया, चिल्ड्रन पार्क, एंट्रेंस प्लाजा, ग्रैंड स्टेप्ड प्लाजा आदि। झील स्थल पर एक स्टेप्ड वाटर गार्डन, वाटर एल्कोव्स और भारत में जल संचयन की कहानी बताने वाला एक आउटडोर म्यूजियम भी बनाया जाएगा। रोहिणी झील पिकनिक स्पॉट, दर्शनीय स्थल, खेलकूद के अलावा सुबह-शाम सैर और शारीरिक व्यायाम करने वाले लोगों के लिए भी एक बेहतर जगह होगी।
रोहिणी झील न केवल दिल्ली के लोगों के लिए एक मनोरंजन स्थल के रूप में विकसित होगी, बल्कि इसके विकासित होने के बाद यह परियोजना दिल्ली के गिरते भूजल स्तर में सुधार लाने में भी मददगार साबित होगी। झील कार्बन भंडारण के लिए एक सिंक के रूप में भी काम करेगी। पौधों, पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों के लिए आशियाना बनेगी। झील से आसपास की आबोहवा भी साफ होगी। इससे महानगर की बढ़ती आबादी के लिए पानी की डिमांड और सप्लाई के अंतर को कम करने के अलावा गर्मी के चरम के दौरान तापमान को कम करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही आसपास के लोगों को भी राहत मिलेगी। रोहिणी एसटीपी से ट्रीटेड वेस्टवॉटर को ‘वाटर पॉलिशिंग प्रोसेस’ से गुजारने के बाद इसे झील में छोड़ा जाएगा। रोहिणी झील में एक एनोक्सिक तालाब भी है, जिसमें प्राकृतिक पौधे होंगे और झील में जल स्तर बढ़ाएंगे। जलीय वनस्पतियों और जीवों के लिए जगह के साथ-साथ एक मछली का तालाब भी होगा। छत पर एक सौर पैनल के साथ एक पेयजल झील भी होगी। इस परियोजना से वेस्टवॉटर को दोबारा उपयोग करने में मदद मिलेगी और आसपास के वातावरण में सुधार के साथ हरियाली भी बढ़ेगी।
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