दिल्ली कांग्रेस की गुमशुदा नीति केवल आलोचना
केजरीवाल सरकार का शिक्षा मॉडल, नाम बड़े और दर्शन छोटे - श्री अनिल भारद्वाज
केजरीवाल सरकार दिल्ली में आंगनबाड़ी वर्करों की मांगों को नजरअंदाज करके पंजाब में आंगनबाड़ी वर्करों को हक दिलाने की बात कर रहे है। – श्री अनिल भारद्वाज
दिल्ली कांग्रेस की गुमशुदा नीति केवल आलोचना वाली नीति?
केजरीवाल का शिक्षा मॉडल, नाम बड़े और दर्शन छोटे – केजरीवाल दिल्ली में आंगनबाड़ी वर्करों की मांगों को नजरअंदाज करके पंजाब में आंगनबाड़ी वर्करों को हक दिलाने की बात कर रहे है। – श्री अनिल भारद्वाज
एस. ज़ेड. मलिक
नई दिल्ली, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पास शायद अब दिल्ली जीतने की कोई रणनीति नही रही या इसलिये की कांग्रेस अब तक अपने किसी भी प्रेस वार्ता में न तो अपना एजेंडा की स्पष्ट कर रही है और न कोई रणनीति ही तय कर पा रही है सिवा आलोचना के पिछले दिनों भी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को मीडिया कमेटी के चैयरमेन श्री अनिल भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का शिक्षा मॉडल, नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत को सार्थक करता है, क्योंकि केजरीवाल का शिक्षा मॉडल भ्रामक प्रचार, विज्ञापन और झूठ की बुनियाद पर टिका है। उन्होंने कहा कि 7 वर्षों में केजरीवाल ने दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। आरटीआई के द्वारा सत्यापित करके खुलासा किया। संवाददाता सम्मेलन में मीडिया कमेटी के वाईस चैयरमेन परवेज आलम भी मौजूद थे। संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए श्री भारद्वाज ने कहा कि दुनिया में दिल्ली के बेहतरीन शिक्षा मॉडल की दुहाई देने वाले अरविन्द केजरीवाल पंजाब में दिल्ली मॉडल को लागू करने की बात कहकर वहां के लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि 7 वर्षों में दिल्ली सरकार के स्कूलों में 1.09 लाख छात्रों ने स्कूल छोड़ा है और इसी दौरान प्राईवेट स्कूलों में 3.25 लाख छात्रों की संख्या बढ़ी है। अगर निगम स्कूलों को छोड़ने वाले छात्रों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या कहीं अधिक होगी।
उन्हीने ने कहा कि उच्च शिक्षा देने का दावा करने वाली केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2020 में दसवीं कक्षा का परिणाम 82.61 प्रतिशत के साथ नीचे से दूसरे स्थान पर रहा जबकि कांग्रेस की दीक्षित सरकार के कार्यकाल अंतिम वर्ष 2013 में यह 99.46 प्रतिशत था। यही हाल बारहवीं कक्षा के परिणाम का है। आम आदमी पार्टी की सरकार अच्छे परिणामों के चक्कर में 9वीं और 11वीं में छात्रों को फेल कर रही है लगातार 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं में छात्रों की संख्या कम हो रही है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, जिसका झूठा और भ्रामक प्रचार करके केजरीवाल बेहतरीन मॉडल बता रहे है।
श्री अनिल भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने 2015 के घोषणा पत्र में दिल्ली में 500 नए स्कूल और 20 नए कॉलेज खोलने का वायदा किया था। 7 वर्षों में केजरीवाल की सरकार ने सिर्फ एक स्कूल बापरोला में बनाया है, जबकि दिल्ली की कांग्रेस सरकार द्वारा स्कूलों के लिए 82 प्लॉट खाली छोड़े थे और केजरीवाल मल्टीपल एजेंसी सिस्टम की दुहाई देकर जमीन न होने की दुहाई देते है। केजरीवाल इन प्लाटों पर स्कूल क्यों नही बनवाते। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की तर्ज पर भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम में 2007 में 1739 प्राईमरी स्कूलों की तुलना में 2021 में घटकर 1625 रह गए है। भाजपा के शासन में 15 वर्षों में 114 स्कूल कम हुए है।
श्री भारद्वाज ने सवाल करते हुए कहा कि क्या स्कूलों में प्रींसिपल, टीचरों व नॉन-टीचिंग स्टॉफ की भारी कमी के बावजूद बेहतर शिक्षा दी जा सकती है? नियमित होने के इंतजार में दिल्ली सरकार के स्कूलों में कार्यरत 22000 गेस्ट टीचर शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में प्रींसिपलों के 1060 स्वीकृत पदों में से 760 पद खाली है, वाईस प्रींसिपलों के 1844 स्वीकृत पदों में से 479 पद खाली है और पीजीटी शिक्षकों के पद अप्रैल 2015 में 2965 खाली पद की तुलना मार्च 2021 में 4394 पद खाली है व टीजीटी शिक्षकों के पद अप्रैल 2015 में 9550 खाली पद की संख्या बढ़कर मार्च 2021 तक 15513 खाली पदों तक पहुॅच गई तथा 4332 नॉन टीचिंग स्टॉफ के पद खाली है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त आंकड़ों की जानकारी दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ता आरटीआई एक्टविस्ट तेजपाल सिंह ने अर्जित की, जिनकी कॉपी प्रेस विज्ञप्ति के साथ भेजी जा रही है।
उन्हों ने कहा कि पंजाब और उत्तराखंड के आंगनबाड़ी वर्करों और गेस्ट टीचरों को नियमित करने की झूठा आश्वासन देने वाले अरविन्द केजरीवाल द्वारा दिल्ली के 22000 अतिथि टीचरों को न्याय कब मिलेगा। जब दिल्ली में गेस्ट टीचरों ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के निवास पर अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया तो केजरीवाल को उनकी बातें सुनने के लिए समय ही नही दिया। श्री भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल निवास पर दिल्ली के लगभग 4000 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पिछले कई दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अपना वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर बैठे है परंतु केजरीवाल दिल्ली छोड़ चुनावी राज्यों में आंगनबाड़ी वर्करों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने की झूठी बयानबाजी और वायदे कर रहे है। जबकि दिल्ली के आंगनबाड़ी वर्कर्स और गेस्ट टीचर नियमित होने का इंतजार पिछले 7 वर्षों से कर रहे है। उन्होंने ने कहा कि 9678 रुपये मासिक आंगनबाड़ी वर्कर्स और 4839 मासिक वेतन पर काम करने वाले आगनबाड़ी सहायक बढ़ती महंगाई में अपना घर चलाने को मजबूर है जबकि इन्हें आगनबाड़ी से संबधित कार्य के अतिरिक्त बीएलओ का काम, जानवरों
का सर्वे, कोविड महामारी घर-घर जाकर राशन बांटने और प्राईमरी शिक्षा देने तक काम कर रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल चुनावी दौर में दिल्ली सरकार चुनावी राज्यों से चला रहे है और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सुनने के लिए कोई मंत्री, विधायक तक मौजूद नही है।
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