डॉ ज़रीन हलीम द्वारा काव्य संग्रह “आठ पहर” का लोकार्पण।
"आठ पहर'' मेरी अंतर भावनाएँ हैं, जो मैंने अपने आस-पास देखा है, यह कविता उसी का एक प्रारूप है। अपने क़लम से उस परिदृष्य को आकार दिया है - डॉ. ज़रीन हलीम
“आठ पहर” मेरी अंतर भावनाएँ हैं, जो मैंने अपने आस-पास देखा है, यह कविता उसी का एक प्रारूप है। अपने क़लम से उस परिदृष्य को आकार दिया है।
डॉ ज़रीन हलीम द्वारा काव्य संग्रह “आठ पहर” का लोकार्पण।
एमपीएनएन – संवादाता
नई दिल्ली – पिछले दिनों जसोला विहार के सेक्टर 8 के सामुदायिक भवन में डॉ ज़रीन हलीम के काव्य संग्रह “आठ पहर” का लोकार्पण किया गया। जिसमे हुन्दुस्तान के प्रसिद्ध उर्दू शायरों, कवियों आलोचकों एवं व्यंग्यकारों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रसिद्ध आलोचक एवं लेखक हक्कानी अल-कासिमी ने शायरी को रूह (आत्मा) का खाना(भोजन) बताते हुए कहा कि मेडिकल साइंस में यह शारीरिक बीमारियों का एक प्रमुख इलाज है, जबकि शायरी भावनात्मक और मानसिक बीमारियों का इलाज है। उन्होंने कहा कि शायरी और दवा का बहुत गहरा रिश्ता है। चिकित्सा विज्ञान अनेक रोगों का इलाज कर चुका है, पर अकेलेपन जैसी भयानक बीमारी का उसके पास कोई इलाज नहीं है, जबकि कविता में अकेलेपन को बहुत प्रभावशाली ढंग से दूर करने की शक्ति है, उसमें विरोध और प्रतिकार का रंग प्रमुख है। मशहूर कथाकार शोभा सिंह ने देश के मौजूदा हालात की ओर इशारा करते हुए कहा कि लोकतंत्र खतरे में है और इसे बचाने के लिए सभी को आगे आने की जरूरत है. क्योंकि हमारा अस्तित्व लोकतंत्र के अस्तित्व में है। इसलिए सभी को संघर्ष करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कविता अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का एक बहुत बड़ा माध्यम है। जरीन हलीम ने भी अपनी शायरी में कई विषयों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि डॉ. जरीन हलीम ने हिम्मत दिखाई है, अगर महिलाओं का शोषण होता है तो वह उनके खिलाफ आवाज भी उठाती हैं।
वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने डॉ. ज़रीन हलीम की शायरी का ज़िक्र करते हुए कहा कि आम महिला के जीवन में ‘आठ पहर’ का बहुत महत्व है और महिलाओं की भावनाओं को डॉ. ज़रीन ने अपनी शायरी के माध्यम से व्याख्यान किया है।
जामिया मिलिया इस्लामिया के उर्दू विभाग के लेक्चरर डॉ. खालिद मुबशशिर ने शायरी की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस तरह एक डॉक्टर शरीर का इलाज करता है, उसी तरह कविता आत्मा का इलाज करती है। उन्होंने कहा कि अगर कोई डॉक्टर कविता के क्षेत्र में आता है तो कितनी खूबसूरत कविता अस्तित्व में आती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बक्सों में नहीं बांटा जाना चाहिए क्योंकि ब्रह्मांड में निर्माता का स्रोत महिला का सार है।
प्रोफेसर आबिद हलीम ने ‘आठ पहर’ पर टिप्पणी करते हुए कहा कि डॉ. ज़रीन हलीम ने अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक और सामाजिक शोषण को उभारा है। उन्होंने कहा कि वह शुरू से ही रचनात्मक दिमाग की मालकिन रही हैं। डॉ. फैजान शाहिद ने डॉ. जरीन हलीम के काव्य संग्रह पर एक रोचक पत्र प्रस्तुत किया, उन्होंने जरीन की शायरी के सभी रंगों की बहुत अच्छी तरह से चर्चा की। “आठ पहर” के विमोचन समारोह में डॉ. नौमान कौसर ने सभा की ज़िम्मेदारियों के दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया।
‘आठ पहर’ की लेखिका डॉ. ज़रीन हलीम ने सभी लेखकों, कवियों, पत्रकारों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘आठ पहर’ में मेरे अंदर की अपनी भावनाएँ हैं, जो मैंने अपने आस-पास देखा है, यह कविता उसी का एक प्रारूप है। अपने क़लम से इसका एक परिदृष्य को आकार दिया गया है। जो मेरे दिल से गुजरा है, मैंने भी उतना ही किया है। लोकार्पण के इस समारोह में मशहूर शायर और मुशायरे के आयोजक मोइन शादाब, जाने-माने पत्रकार और स्तंभकार आबिद अनवर, जाने-माने लेखक अब्दुल बारी कासमी, प्रोफ़ेसर फौज़ान जामिया मिलिया इस्लामिया के अरबी विभाग, न्यूज वन के एंकर और निडर पत्रकार नाहा हबीब खान और टेक्स्ट पब्लिकेशन के प्रमुख सलाम खान भी मौजूद थे।
ڈاکٹر زرین حلیم کے شعری مجموعہ ’’آٹھ پہر‘‘ کا اجرا
نئی دہلی، 21مارچ – شاعری کو روح کی غذا قرار دیتے ہوئے معروف نقاد اور صاحب طرز ادیب حقانی القاسمی نے کہا کہ میڈیکل سائنس میں جسمانی بیماریوں کا علاج ہے توشاعری جذباتی اور ذہنی بیماریوں کا علاج ہے۔یہ بات انہوں نے ڈاکٹر زرین حلیم کے شعری مجموعہ ’آٹھ پہر‘ کی رسم اجراءکی تقریب کی صدارت کرتے ہوئے کہی۔انہوں نے کہاکہ شاعری اور میڈیسن کا بہت گہرا رشتہ ہے۔ میڈیکل سائنس میں بہت ساری بیماریوں کا علاج ہے مگر تنہائی جیسی خوفناک بیماری کا اس کے پاس بھی کوئی علاج نہیں،جبکہ شاعری تنہائی کا بہت ہی موثر علاج کرنے کی طاقت رکھتی ہے۔انہوں نے کہاکہ ڈاکٹر زرین حلیم نے ’کوی دھرم‘ نبھایا ہے ، اس میں احتجاج اور مزاحمت کا رنگ نمایاں ہے ۔
مشہور کہانی کار شوبھا سنگھ نے ملک کے موجودہ حالات کی طرف اشارہ کرتے ہوئے کہا کہ جمہوریت خطرے میں ہے اور اس کو بچانے کے لئے سب کو آگے آنے کی ضرورت ہے۔ کیوں کہ جمہوریت کی بقامیں ہی ہماری بقا ہے۔ اس لئے سب کو جدوجہد کرنے کی ضرورت ہے۔انہوں نے کہاکہ شاعری اپنے جذبات و خیالات کے اظہار کا بڑا ذریعہ ہے ۔ زریں حلیم نے بھی اپنی شاعری میں بہت سے موضوعات کو اپنی پیروتے ہوئے عصر حاضر کی عکاسی کی ہے۔انہوں نے کہاکہ ڈاکٹر زرین حلیم نے جرأت مندی کا مظاہرہ کیا ہے ،خواتین کا اگر استحصال ہوتا ہے کہ وہ ان کے خلاف آوازبھی اٹھاتی ہیں۔
سینئر صحافی بھاشاسنگھ نے ڈاکٹر زرین حلیم کی شاعری کا ذکر کرتے ہوئے کہاکہ ایک عام خاتون کی زندگی میں ’آٹھ پہر‘ کی بڑی اہمیت ہے اور خواتین کے جو جذبات ہیں انہیں ڈاکٹر زرین نے اپنی شاعری کے ذریعہ آشکار کیا ہے۔
جامعہ ملیہ اسلامیہ کے شعبہ اردو کے استاذ ڈاکٹر خالد مبشر نے شاعری کی تشریح کرتے ہوئے کہاکہ جس طرح ڈاکٹر جسم کا علاج کرتا ہے اسی طرح شاعری روحانی علاج کرتی ہے۔ انہوں نے کہاکہ اگر کوئی ڈاکٹر شاعری کے میدان میں آجائے تو کیا خوبصورت شاعری وجود میں آتی ہے۔ انہوں نے کہاکہ عورت کو خانے میں تقسیم نہ کریں کیوں کہ کائنات میں خالق کا سرچشمہ عورت کی ذات ہے۔
پروفیسر عابد حلیم نے ’آٹھ پہر‘ پر اظہار خیال کرتے ہوئے کہاکہ ڈاکٹر زرین حلیم نے سماجی اور معاشرتی استحصال کو اپنی نظموں کے ذریعہ اٹھایا ہے۔ انہوں نے کہاکہ وہ شروع سے ہی تخلیقی ذہن کی مالک رہی ہیں۔ڈاکٹر زرین حلیم کے شعری مجموعہ کے حوالے ڈاکٹر فیضان شاہد نے پر مغز مقالہ پیش کیا، انھوں نے زرین کی شاعری کے تمام رنگوں پر بہت عمدہ گفتگو کی۔ ’آٹھ پہر‘ کے اجرا کی تقریب میں نظامت کے فرائض ڈاکٹر نعمان قیصر نے بحسن خوبی انجام یے۔
’آٹھ پہر‘ کی مصنفہ ڈاکٹر زریں حلیم نے تمام ادیبوں، شاعروں، صحافیوں اور شرکاکا شکریہ ادا کرتے ہوئے کہاکہ ’’آٹھ پہر‘‘ میں میرے داخلی جذبات و احساسات ہیں، میں نے اپنے اطراف میں جو کچھ بھی دیکھا ہے اسے شاعری کے روپ میں ڈھال دیا ہے۔ میرے دل پہ جو گزری ہے میں نے وہی رقم کیا ہے۔اجرا کی اس تقریب میں مشہور شاعر اور ناظم مشاعرہ معین شاداب، معروف صحافی اور کالم نگار عابد انور، معروف ادیب عبد الباری قاسمی،شعبہ عربی جامعہ ملیہ اسلامیہ کے پروفیسر فوزان، نیوز ون کی اینکر اور بے باک صحافی نہا حبیب خان اور عبارت پبلی کیشن کے سربراہ سلام خان کے علاوہ دیگر معزمین بھی شامل رہے ۔