दिल्ली एलजी फिर अड़े – दिल्ली सरकार को होल्ड – अब राष्ट्रपति की ओर निगाह।

सढ़े चार महीने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, एलजी से अनुरोध है कि वे अपनी अंतिम राय दें कि क्या इसे राष्ट्रपति को भेजना चाहेंगे- अरविंद केजरीवाल*

– सढ़े चार महीने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, एलजी से अनुरोध है कि वे अपनी अंतिम राय दें कि क्या इसे राष्ट्रपति को भेजना चाहेंगे- अरविंद केजरीवाल*

दिल्ली एलजी फिर अड़े – दिल्ली सरकार को होल्ड – अब राष्ट्रपति की ओर निगाह।

– सढ़े चार महीने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, एलजी से अनुरोध है कि वे अपनी अंतिम राय दें कि क्या इसे राष्ट्रपति को भेजना चाहेंगे- अरविंद केजरीवाल*

इतना समझाने के बावजूद उपराज्यपाल गलत तरीके से अधिकार क्षेत्र के बिना ही शिक्षा के मामलों पर अपनी ऑब्जर्वेशन रख रहे हैं। साथ ही अधिग्रहण प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं। एलजी जनवरी 2023 तक फाइल को लेकर बैठे रहे और अधिकार क्षेत्र के बिना ही गलत तरीके से अपनी ऑब्जर्वेशन रखकर स्कूल के अधिग्रहण में बाधा डाली। उन्होंने तुच्छ टिप्पणी के साथ प्रस्ताव वापस विभाग के पास भेज दी।
मामले पर दोबारा विचार करने के बाद तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने फिर से स्कूल को टेकओवर करने की मांग की थी। सीएम ने उनकी ऑब्जर्वेशन और नए प्रस्ताव का परीक्षण करने के बाद फरवरी 2023 में एलजी की मंजूरी के लिए फाइल आगे बढ़ाई थी। हालांकि, एलजी एक बार फिर अप्रैल 2023 तक फ़ाइल को लेकर बैठे रहे और फ़ाइल पर गलत तरीके से ऑब्जर्वेशन देकर फिर से स्कूल के अधिग्रहण में बाधा डाली।
अप्रैल में मौजूदा शिक्षा मंत्री आतिशी ने एलजी के ऑब्जर्वेशन के बाद एक और प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें फिर से स्कूल के अधिग्रहण की मांग की गई। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को फिर से प्रस्ताव भेजा है और कहा है कि सरकार ने अंतिम निर्णय ले लिया है। उन्होंने एलजी से जीएनसीटीडी (संशोधन) नियम, 2021 के ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस के नियम 47 ए के तहत अपनी अंतिम राय देने का अनुरोध किया है कि क्या वे सरकार से असहमत होना चाहते हैं और मामले को राष्ट्रपति को भेजना चाहते हैं।
इस मामले को एलजी को भेजे हुए साढ़े चार महीने से अधिक हो चुके हैं। ऐसे में कई बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है। दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल से त्वरित कार्रवाई करने और छात्रों के हित को देखते हुए स्कूल के अधिग्रहण के लिए आवश्यक स्वीकृति प्रदान करने की अपील की थी। 
एलजी द्वारा शिक्षा से संबंधित मामलों में बाधा डालने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को विदेश में ट्रेनिंग के लिए भेजने को लेकर एलजी ने बाधा डाली थी। इसके चलते दिल्ली की चुनी हुई सरकार और एलजी के बीच लंबे समय तक विवाद चला।
एलजी प्रस्ताव का जवाब न देकर पिछले साल अक्टूबर से सरकारी स्कूल के शिक्षकों की प्रस्तावित ट्रेनिंग को रोक रहे हैं। एससीईआरटी ने उपराज्यपाल को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजा, जिसमें डीओई के प्राथमिक प्रभारी और एससीईआरटी के शिक्षकों को फिनलैंड में प्रशिक्षण के लिए उनकी मंजूरी मांगी थी। एलजी ने 3 सप्ताह से अधिक समय के बाद प्रस्ताव के जवाब में अनावश्यक कमेंट्स दिए, जिससे प्रस्ताव में केवल देरी हो। फिर भी, एससीईआरटी ने तुरंत उनकी हर एक आशंकाओं का विस्तार से जवाब दिया। इसके बाद उपराज्यपाल ने फिर से स्पष्टीकरण मांगा और 09 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री को फाइल वापस कर दी।
इस प्रस्ताव को 25 अक्टूबर 2022 को पहली बार एलजी के सामने पेश किया गया था और उनको सिर्फ अपनी मंजूरी देनी थी। लेकिन इसे कई संशोधनों और शर्तों के बाद 5 महीने बाद यानी 4 मार्च 2023 को मंजूरी मिली थी। तब तक इसका कोई औचित्य नहीं रह गया था। 16 जनवरी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में मंत्रियों, विधायकों और “आप” कार्यकर्ताओं ने उपराज्यपाल के आवास पर जाकर 30 शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने के सरकार के प्रस्ताव को तत्काल मंजूरी देने की मांग की थी। इसे अप्रूवल देते समय एलजी ने कहा था कि भविष्य में ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम विदेश में करने की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें देश के अंदर ही आयोजित किया जाए।
दिसंबर 2022 और मार्च 2023 के महीनों में टीचर्स ट्रेनिंग के लिए दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को फिनलैंड भेजने के प्रस्ताव को मंजूरी देने में उपराज्यपाल द्वारा जानबूझकर की गई अनावश्यक देरी के चलते दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सुप्रीम कोआर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी थी।

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