ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नवनिर्वाचित अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों के सम्मान में स्वागत समारोह ।
हमारी पहली कोशिश है, बोर्ड के संदेश को, दुनियां के तमाम मुसलमानों तक पहुंचाने की : मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी
हमारी पहली कोशिश है, बोर्ड के संदेश को, दुनियां के तमाम मुसलमानों तक पहुंचाने की : मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नवनिर्वाचित अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों के सम्मान में स्वागत समारोह ।
मौलाना रहमानी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी पहली कोशिश बोर्ड के संदेश को सभी मुसलमानों तक पहुंचाने की है। मौजूदा समय में देश में लड़ाई हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नहीं, बल्कि इस धर्म को मानने वालों और इसे नकारने वालों के बीच है। यह लड़ाई सिर्फ इस्लाम के खिलाफ नहीं है बल्कि हिंदू धर्म के खिलाफ भी है।
उन्होंने कहा बोर्ड में इस्लामी विचारधारा वाले वकीलों को भी शामिल किया जाएगा। सभी मुसलमानों को शरिया कानून के अनुसार जीने की कोशिश करनी चाहिए। निकाह और तलाक के मामले में शरीयत के हुक्म का भी पालन होना चाहिए। देश भर में बोर्ड की अदालतें स्थापित हैं, जिसका फायदा उठाना चाहिए।
मौलाना ने आगे कहा कि मुसलमानों के लिये यह परीक्षा की घड़ी है, इससे से डरने की जरूरत नहीं है। मॉब लिंचिंग हुज़ूर अकरम मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने में भी हो चुकी है, हज़रत सुमैय्या अलैहिस्सलाम की शहादत हुई थी। उन्होंने कहा मॉब लिंचिंग समाज का सबसे घिनौना रूप है, पैगम्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ज़माने में मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार किया जाता था। इसलिए हमें घबराने और डरने की जरूरत नहीं है।
बोर्ड के महासचिव मौलाना फजल रहीम मुजद्दी ने कहा कि यह मेरे लिए खुशी की बात है कि आज मुझे आईओएस में शामिल होने का मौका मिला है। मैं सालों से इस संस्था के बारे में सुनता आ रहा हूं, लेकिन आज पहली बार यहां आया हूं। मौलाना ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने बहुत पहले ही अपने ऐलान में पर्सनल लॉ बोर्ड को खत्म करने का ऐलान कर दिया था और वह समान नागरिक संहिता के तहत पश्चिमी सभ्यता को थोपना चाहते हैं जो ईश्वर विरोधी कानून और सभी धर्मों और संस्कृति के खिलाफ है। आज भी दुनियां में इस्लामिक शरीयत सबसे ज्यादा निशाने पर है।
उन्होंने कहा आज देश की वर्तमान सरकार समान नागरिक संहिता को अपने राजनीतिक लाभ के लिए विषय बनाती है। मुसलमान अपने धर्म का सबसे अधिक पालन करते हैं और मामूली मुद्दों के लिए भी अदालतों में जाते हैं। इस वजह से न्यायपालिका को भी अपने मत के अनुसार पवित्र कुरान की व्याख्या करने का भरपूर अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के अधीन 87 अदालतें चल रही हैं और हर जगह करीब 80 मामले अदालतों से ही निपटाए जाते हैं।
बोर्ड के नवनिर्वाचित सचिव मौलाना यासीन अली उस्मानी बदायुनी ने अपने संबोधन में कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड राष्ट्र की एक संयुक्त संस्था है, बहुत पहले मैं लीबिया गया था और वहां उन्हीं देशों के विद्वानों ने बोर्ड का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम युवाओं को अपना कुछ समय देश के लिए निकालना चाहिए और परोपकार के कार्य करना चाहिए।
मिल्ली कॉउंसिल के उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर रहमान कासमी ने अपने संबोधन में कहा कि बोर्ड देश का सबसे प्रतिष्ठित मंच है जिसमें सभी धर्मों और वर्गों का प्रतिनिधित्व किया जाता है। इस संगठन ने हमेशा हर युग में इस्लाम के मानने वालों का मार्गदर्शन किया है। हाल के दिनों में निर्वाचित हुए लोगों से काफी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं।
इस मौके पर बोर्ड के कोषाध्यक्ष मौलाना अतीक अहमद बस्तवी, प्रोफेसर रियाज अहमद ने विचार व्यक्त किए। जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सदातुल्लाह हुसैनी के संदेश को जमात के डिप्टी अमीर मलिक मुतासिम ने पेश किया। और मिल्ली कॉउंसिल के अध्यक्ष मौलाना हकीम अब्द अल्लाह मुग़ीसी के संदेश को मौलाना अब्दुल मलिक मुग़ीशी ने पढ़ा। आईओएस के वाइस चेयरमैन प्रोफेसर अफजल वानी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश की एक ऐतिहासिक और मुसलमानों के लिये मूल्यवान संस्था है, उम्मत को एकजुट रखना और अपने परम्परात्मक मुद्दों की रक्षा के लिए संघर्ष करना मुख्य एजेंडा रहा है।
इससे पहले इसकी शुरुआत कुरान की तिलावत से हुई। प्रो. हसीना हाशिया ने इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज, ऑल इंडिया नेशनल काउंसिल और इस्लामिक फिकह एकेडमी की शुरुआत की। अंत मे मुफ्ती अहमद नादेर अल कासिमी ने धन्यवाद वक्तव्य के साथ सभा का समापन किया तथा मौलाना शाह अजमल फारूक नदवी ने बेहतर व्यावस्था के दायित्वों का निर्वाह किया। ज्ञात हो कि यह सम्मान एवं स्वागत कार्यक्रम मिल्ली काउंसिल और इस्लामिक फ़िक़ह अकादमी के सहयोग से किया गया ।