हिंदी पत्रकारिता दिवस पर प्रेस से मीडिया तक किया गया सकारात्मक मंथन, पत्रकारों का हुआ सम्मान।
एक दृष्टिकोण यह कि मीडिया प्रतियोगिता में टी आर पी एक बड़ा मुद्दा है लेकिन नैतिकता की दृष्टि से झूठ को सच और सच को झूठ बनाने की कला पत्रकारिता के नाम पर मीडिया परोस रहा है।
एक दृष्टिकोण यह कि मीडिया प्रतियोगिता में टी आर पी एक बड़ा मुद्दा है लेकिन नैतिकता की दृष्टि से झूठ को सच और सच को झूठ बनाने की कला पत्रकारिता के नाम पर मीडिया परोस रहा है।
हिंदी पत्रकारिता दिवस पर प्रेस से मीडिया तक किया गया सकारात्मक मंथन, पत्रकारों का हुआ सम्मान।
आलेख – पार्थसारथि थपलियाल
नोएडा। (आरजेएस पीबीएच) इंटरनेशनल चैम्बर ऑफ मीडिया एंड आर्ट्स एवं आरजेएस पॉजिटिव मीडिया व आरजेएस पीबीएच के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर 30 मई 2023 को मारवाह स्टूडियो, फिल्मसिटी नोएडा में “अमृतकाल की पत्रकारिता और भारतीयता” विषय पर हिंदी पत्रकारिता की विकास यात्रा, मीडिया में व्यावसायिकता, मीडिया में बाजारवाद और सांस्कृतिक प्रदूषण, भाषा और नैतिकता का ह्रास, नकारात्मक दृष्टिकोण, सूचना का सशक्त माध्यम, लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ आदि बिंदुओं पर पत्रकारिता क्षेत्र के अनेक मूर्धन्य मनीषियों और पत्रकारों और मीडिया विश्लेषकों ने अपने विचार रखे। इस आयोजन में मुख्य अतिथि थे माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति प्रोफेसर राम शरण जोशी, अध्यक्षता दूरदर्शन के पूर्व निदेशक श्री गौरी शंकर रैना ने की। संगोष्ठी के प्रतिभागियों में प्रसिद्ध पत्रकार रवि पाराशर, कुमार राकेश, वासिंद्र मिश्रा,राजीव गौतम, प्रसार भारती में सलाहकार श्री उमेश चतुर्वेदी, आकाशवाणी से सेवानिवृत्त कार्यक्रम अधिशासी, भारतीय संस्कृति को समर्पित लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार श्री पार्थसारथि थपलियाल, अग्रसेन महाविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनीता गुप्ता, ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रवक्ता बी के सुशांत भाई, वरिष्ठ पत्रकार कुमार राकेश, भारतीय जनसंचार संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पवन कौंडल आदि विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
ए ए एफ टी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संदीप मारवाह की अभिप्रेरणा से यह आयोजन फिल्मसिटी नोएडा में आयोजित किया गया। आरंभ में कार्यक्रम संयोजक आरजेएस उदय कुमार मन्ना ने हिंदी पत्रकारिता दिवस पर उपस्थित सभी महानुभावों का स्वागत किया, उन्होंने बताया कि 30 मई 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा पहली बार कोलकत्ता से हिंदी में उदंत मार्तण्ड नामक हिंदी समाचार पत्र का शुभारंभ किया गया था। यद्यपि उससे पहले राजाराम मोहन रॉय द्वारा छुटपुट रूप मे यह प्रयास किया गया था लेकिन मान्यरूप से हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत शुक्ल जी द्वारा की गई थी। इसलिए 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है।
अमृतकाल की हिंदी पत्रकारिता के विविध आयामों पर गहन चर्चा हुई। यह संगोष्ठी बहुत ही विचारोत्तेजक और चिंतनपरक थी। एक दृष्टिकोण यह कि मीडिया प्रतियोगिता में टी आर पी एक बड़ा मुद्दा है लेकिन नैतिकता की दृष्टि से झूठ को सच और सच को झूठ बनाने की कला पत्रकारिता के नाम पर मीडिया परोस रहा है। मीडिया न जाने कितनी बार सामाजिक मर्यादाओं और नैतिकताओं की लक्ष्मण रेखा पर करता है। इन बिंदुओं पर आज के मीडिया को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने से बचना चाहिए। स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी पत्रकारिता और स्वाधीनता प्राप्ति के बाद की हिंदी पत्रकारिता में समयानुसार जो परिवर्तन आये वे अवश्यम्भावी भी है। पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया डिजिटल मीडिया आदि नही थे। उस दौर में आकाशवाणी सरकारी क्षेत्र में सूचना व मनोरंजन का साधन थी और दूसरी ओर सखबरों की दुनिया थी। विद्वान वक्ताओं ने मिशनरी पत्रकारिता से लेकर व्यावसायिक पत्रकारिता के विभिन्न आयामों पर अपने अपने मंतव्य खचाखच भरे सभागार में पत्रकारों, बुद्धिशील व्यक्तियों और पत्रकारिता और जनसंचार के विद्यार्थियों के सामने रखे।। मारवाह स्टूडियो के मालिक व ए ए. एफ. टी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संदीप मारवाह ने हिंदी पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति का विवेचन किया ।उन्होंने बताया यह उद्योग 15 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है। गोष्ठी का नियमन कर रहे थे आरजेएस के राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना और आर जे एस ऑब्जर्वर दीपचंद माथुर ने सभी का आभार व्यक्त किया ।इस अवसर पर सभी अतिथियों को प्रशस्ति पत्र और मोमेंटोज प्रदान कर सम्मानित किया गया।
तत्पश्चात हिंदी पत्रकारिता के लिए सकारात्मक भारत-उदय आंदोलन से जुड़े पत्रकार और पाॅजिटिव मीडिया फैमिली हुए सम्मानित
सम्मानित होने वाले प्रमुख पत्रकारों में दीपिका शर्मा ,राकेश चावला , उमा नाज सिंह, प्रार्थना शर्मा , अमृता चौरसिया, वासिंद्र मिश्रा, सोनिका सिंह, ऋतु राणा, वरुण श्योकंद, राजीव गौतम, रवि पराशर, विजय शर्मा, पार्थसारथि थपलियाल, प्रखर वार्ष्णेय, प्रांजल श्रीवास्तव , देवेन्द्र सिंह तोमर , अशोक कुमार मलिक, शिव कुमार यादव, मुकेश कुमार भोगल, नादिर त्यागी, देवेन्द्र पंवार, संजय मिश्रा विवेक निगम, रामानुज सिंह सुंदरम्, इशहाक खान, रमेश अरोड़ा,डा पुष्कर बाला,डा मुन्नी कुमारी, सोनू मिश्रा और आशीष रंजन भी शामिल थे।