5वां, पूर्वांचल महोत्सव “माटी” समारोह कार्यक्रम का आयोजन
75वां आज़ादी का अमृत महोत्सव, के अवसर पर " माटी " के नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया।
75वां आज़ादी का अमृत महोत्सव, के अवसर पर ” माटी ” के नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया।
एस. ज़ेड. मलिक
माटी ” यह शब्द सुनते ही मन मे एक कौतूहल सा होने लगता है। ” माटी ” अर्थात मिट्टी, यानी अपने वतन की मिट्टी, अपना जन्म स्थान, अपना पैतृक गांव, बस क्या है कि इस शब्द से अपने बचपन की वह छवि अपने दृष्टि में सामने उभर कर आ जाती है जो वर्षों से मनोमस्तिष्क के किसी गोशे में वर्तमान स्थिति के बोझ से दबी हुई सुबकती अर्धनिंद्रा में अचेत सी पड़ी थी। और व्यक्ति शांत मुद्रा में एक निर्जीव मूरत के समान एक जगह बैठा या खड़ा एक सिम्त टक टकी लगाये बस देखता ही जाता रहता है, वह पूर्णरूप से अपने भूत में खो जाता है, जब तक उसे कोई दूसरा व्यक्ति न झिंझोड़े या उसके सामने चुटकी न बजाए या किसी की ज़ोर की आवाज़ उसके कानो में न जाये वह सुन्न सा रहता है। भई यादें ऐसी होती है – वह भी अपने बचपन के घटनाक्रम की !!! जिसे माटी कहते हैं।
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