साहित्य अकादमी के तत्वाधान में साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन।

ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध उनकी उग्र कविताओं के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

यह सरकारों की परंपरा रही है है कि सरकार के नीतियों के विरुद्ध किभी बोलेगा तो उसे ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध उनकी उग्र कविताओं के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

साहित्य अकादमी के तत्वाधान में साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन।

एस. ज़ेड. मलिक  

   नई दिल्ली, 16 सितम्बर –  पिछले दिनों शनिवार की पूर्व संध्या को नई दिल्ली स्थित साहित्य अकादमी ने अपने ही सभागार में साहित्यिक के दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया। पहले सत्र में शीर्षक ”मेरे झरोके से” एवं दूसरे सत्र में “साहित्यिक मंच”

 पहले सत्र के शीर्षक “मेरे झरोखे” कार्यक्रम में प्रसिद्ध उर्दू शायर और लेखक “ज़ाहिद अब्रोल” ने प्रमुख उर्दू शायर रुबाइयों के बादशाह “सत्यपाल अख़्तर रिज़वानी” के जीवन पर प्रकाश डाला – जनाब अब्रोल ने कहा कि उनके जीवन और उनके देश एवं समाज के प्रति प्रेम और समपर्ण की भावनात्मक सेवाओं पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, अख्तर रिजवानी उर्दू के ऐसे शायर थे जिन्होंने ने अपने निजी जीवन मे काफी कठिनाइयों का सामना किया। इन कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी काव्य अभिरुचि और जुनून को बरकरार रखा और जीवन भर भाषा और साहित्य को समर्पण भावनाओं के साथ बेहतर सेवाएँ प्रदान करते रहे। उन्होंने कहा कि अख्तर रिजवानी ने अपने करियर की शुरुआत ‘मिलाप’ लाहौर से की थी। ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध उनकी उग्र कविताओं के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। रिहा होने के बाद जब वे वापस लौटे तो भी उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने ओजस्वी भाषण से देश की जनता में आजादी के प्रति जोश और जुनून पैदा करते रहे।
उनका जीवन निरंतर कष्ट और अभाव में गुजरा, लेकिन उन्होंने अपना दृढ़ संकल्प और साहस नहीं खोया और साहित्य की सेवा करते रहे। जीवन के अंतिम समय में उनकी पत्नी और इकलौते पुत्र की मृत्यु ने उन्हें तोड़ दिया और वे पागलपन की हालत में एक शहर से दूसरे शहर भटकते रहे। उनकी मृत्यु कब और कहाँ हुई इसके बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है। जाहिद अब्रोल ने कहा कि अख्तर रिजवानी की उनकी, आजादी से पहले की कविताएं भी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उनके तीन संग्रह ”फिकरो ओ जज़्बा”, ”रंगों सर्वर” और ‘खुद व खाल’ देखे जा सकते हैं। अख्तर रिज़वानी ने अपने निजी दर्द के अलावा लोगों के दर्द को भी बखूबी लिखा और अपनी शायरी में देश को लूटने वाले नेताओं का भी खूब मजाक उड़ाया।
 जाहिद अबरोल ने अपने लेख में दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इतने बेहतरीन शायर और लेखक को आज  भुला दिया गया है। उन्हें नई पीढ़ी से परिचित कराने और उनकी बातों को फिर से जनता के सामने लाने की जरूरत है।
दूसरा सत्र ‘साहित्यिक मंच’ जिसके अंतर्गत आयोजित शीर्षक “‘उर्दू काव्य'” जिसकी अध्यक्षता प्रमुख उर्दू शायर एवं पत्रकार एवं साहित्य अकादमी उर्दू सलाहकार बोर्ड के संयोजक चंद्रभान ख्याल ने की। इस सत्र में तहसीन मनुव्वर, कौसर मज़हरी, फ़रयाद आज़र और आज़िम कोहली ने अपने रूहानी और दिल छूने वाली कविताओं से दर्शकों का मन मोह लिया। इस महफिल में ज़ाहिद अब्रोल, ने भी अपनी बातें कहीं। इस अवसर पर शहर के कई साहित्यकारों ने सभा में भाग लिया। 
मंच का संचालन साहित्य अकादमी के सम्पादक श्री अनुपम कुमार ने किया एवं सभा का कार्यभार एवं व्यस्था अकादमी के मीडिया सचिव अजय शर्मा एवं उर्दु समन्यवयक मूसा राजा ने संभाला। 
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