मृत्य शैय्या पर कराहती उर्दू में साहित्य अकादमी ने की जान फूंकने की कोशिश – देश भर से आमंत्रित उर्दू साहित्यकारों को अकादमी ने सम्मानित किया
साहित्य कदामी ने उर्दू के योगदान को याद किया - दो दिनों तक उर्दू के नाम क़सीदे पढ़े गए।
भारत सरकार और राज्य सरकारें अपने अपने महकमें से उर्दू को धीरे धीरे समाप्त कर दिया है। जिन राज्यों में उर्दू को दुसरीं ज़बान अर्थात दृत्य भाषा का दर्जा दिया गया था वहां की सरकारें भी अपने विभाग से जो एक पद उर्दू अनुवादक का था उसे भी समाप्त कर दिया।
साहित्य कदामी ने दो दिनों तक उर्दू साहित्यकारों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान पर चर्च करवाया –
एस. ज़ेड. मलिक




