बी2बी बैठकों, चर्चाओं, और मजेदार गतिविधियों से भरा रहा  विश्व पुस्तक मेला 2023 का तीसरा दिन

नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला प्रकाशन उद्योग के लिए विभिन्न व्यावसायिक अवसरों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच भी है।

नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला प्रकाशन उद्योग के लिए विभिन्न व्यावसायिक अवसरों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच भी है।

बी2बी बैठकों, चर्चाओं, और मजेदार गतिविधियों से भरा रहा  विश्व पुस्तक मेला 2023 का तीसरा दिन

नई दिल्ली – पुस्तक प्रेमियों के लिए दर्शनीय व लाभप्रद होने के साथ-साथ नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला प्रकाशन उद्योग के लिए विभिन्न व्यावसायिक अवसरों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच भी है। नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के दौरान नई दिल्ली राइट्स टेबल का आयोजन 27 और 28 फरवरी 2023 को किया जा रहा है, जहाँ पहले दिन भारत और अन्य 12 देश के 80 से अधिक प्रकाशकों ने मुलाकात की और अपने-अपने पुस्तक अधिकारों की खरीद-बिक्री जैसे व्यावसायिक हितों का आदान-प्रदान किया। श्री रमेश मित्तल, प्रेसिडेंट फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स, प्रो एंगस फिलिप्स, निदेशक, ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल सेंटर फॉर पब्लिशिंग, ऑक्सफोर्ड ब्रूक्स यूनिवर्सिटी और श्री युवराज मलिक, निदेशक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने ‘ राइट्स फोरम का सदुपयोग कैसे करें’ पर उद्घाटन सत्र में चर्चा की।

मेले के थीम मंडप में आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए विभिन्न दैनिक कार्यक्रमों, चर्चाओं और पुस्तक विमोचन जैसे सत्र आयोजित किये जा रहे हैं। आज के प्राइम टाइम वार्ता सत्रों में लोकप्रिय लेखक विक्रम संपत, विश्वास पाटिल और अखिलेश मिश्रा के साथ बात चीत मुख्य आकर्षण बनीं। दिन की शुरुआत प्रो पुरुषोत्तम बिलिमाले और प्रो टीएस सत्यनाथ की उपस्थिति में अरविंद चोक्कड़ी द्वारा लिखित इंडिया@75 शृंखला “अगंत संत हरडेकर मंजप्पा” के अंतर्गत एक पुस्तक-विमोचन के साथ हुई। इसके बाद डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की ‘पेशावर के महानायक’ और ‘हिमनद: मानव जीवन का अधिकार’ पुस्तकों का विमोचन किया गया।


इसके बाद, श्री अनूप तिवारी, श्री कन्हैया त्रिपाठी, डॉ राहुल, चंदन कुमार चौबे और श्री विजय कुमार मिश्रा के साथ ‘साहित्य में राष्ट्रीय चेतना’ पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई।

अंतरराष्ट्रीय गतिविधि मंच पर दिन की शुरुआत प्रधानमंत्री-युवा लेखकों के दो सत्रों के साथ हुई, जिसमें ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के आदिवासी नायक’ और ‘लेखकत्व के बारे में मैंने क्या सीखा’ पर चर्चा की। इसके बाद ‘टर्किश लिटरेचर इन इंडिया’ पर एक सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें तुर्की के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के पुस्तकालय और प्रकाशन के उप-महानिदेशक तनेर बेयोग्लू, कलाम एजेंसी के प्रमुख नर्मिन मोलाग्लु, और लेखक व नई दिल्ली में तुर्की के राजदूत फिरत सुनेल ने तुर्की और भारत के साहित्य में समानता के बारे में बात की। अगले सत्र के लिए रमेश कुमार मित्तल, मोहम्मद अजमल, मोहम्मद उमैर और महमूद असीम ने प्रिंटिंग हाउस और प्रकाशन उद्योग पर तेजी से वैश्वीकृत स्थिति व डिजिटल मीडिया के उपयोग के जबरदस्त प्रभाव पर चर्चा की।

बाल मंडप में क्षमा शर्मा द्वारा स्टोरीटेलिंग के साथ सत्र की शुरुआत हुई, जो 2022 तक हिंदी बाल साहित्य पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने अपने संग्रह “क्षमा शर्मा की चुनिंदा बाल कहानियाँ” से एक कहानी “बस्ते” सुनाई। इसके बाद, एक इंटर-स्कूल क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें दिल्ली के विभिन्न स्कूलों के 100 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इसके बाद कैनाटो जिमो द्वारा एक इंटरैक्टिव इलस्ट्रेशन वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें 50 से अधिक युवा छात्रों ने भाग लिया। एक ‘इंटर स्कूल स्पेल बी प्रतियोगिता’ भी आयोजित की गई जिसमें 50 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। बाल मंडप में दिन का समापन ‘भारत के जनजातीय लोकगीत’ पर कहानी सुनाने संबंधी वर्कशॉप के साथ हुआ।

ऑथर्स कॉर्नर में पहले सत्र के लिए रश्मि त्रिवेदी की पुस्तक “शी फॉर हर” पर चर्चा आयोजित की गई। इसके बाद केविन मिसल की नरसिंह त्रयी की तीसरी पुस्तक “प्रह्लाद” का लोकार्पण संपन्न हुआ। दूसरे सत्र में लेखक विक्रम सिंह की पुस्तक “वस्त्र” और “कलयुग” का भी विमोचन किया गया। पुस्तक-विमोचन के बाद के. रविरामन द्वारा लिखित “ग्लोबल कैपिटल एंड पेरिफेरल लेबर” के अंग्रेजी संस्करण के मलयालम अनुवाद पर चर्चा हुई। ऑथर्स कॉर्नर पर दिन का अंतिम सत्र ब्रिगेडियर टीपीएस चौधरी द्वारा लिखित ‘वॉयज ऑफ तृष्णा एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स’ पर एक पुस्तक चर्चा था।

लेखक मंच पर ‘स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विष्णु नागर के साथ मनोज कुमार पांडेय, शिरीष खरे और डॉ पल्लव उपस्थित थे। दूसरे कार्यक्रम के अंतर्गत ‘आदिवासी पुस्तक लोकार्पण एवं चर्चा’ का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में यशोदा मुर्मू (संथाली), जान मुहम्मद हकीम (गोजरी), डॉ स्नेहलता नेगी (खस), डॉ सरदार सिंह मीणा (ढूँढाणी) और वांग तुंग लोवांग (नोक्ते) ने अपनी-अपनी भाषाओं एवं आदिवासी समुदायों के विकास यात्रा से लेकर वर्तमान स्थिति तक का संक्षिप्त परिचय देते हुए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित किया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति मंडप में ‘टेक्निकल टर्मिनोलॉजी इन एजुकेशन/टीचिंग राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ पर एक सत्र आयोजित किया गया जिसमें सीएसटीटी (वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग) के अध्यक्ष प्रो गिरीश नाथ झा, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ. अशोक एन सेलवतकर, डॉ. बी.के. सिंह, दीपक कुमार, एमके भारल ने क्षेत्रीय भाषाओं में बढ़ती तकनीकी शब्दावली के बारे में चर्चा की। अगले सत्र में, डॉ. दीप्ति प्रिया मेहरोत्रा ने ‘एनईपी, लाइफ स्किल एंड इंटीग्रल एजुकेशन’ पर एक प्रस्तुति दी, जहाँ उन्होंने सीखने की एकीकृत प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर बात की।

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