युवा की पहचान उम्र से नहीं उद्देश्यों से होती है, जिंदगी का मूल्य समझिए, स्मार्ट स्टडी कर लक्ष्य तक पहुंचिए: डॉ. चिन्मय पंड्या

युवा की पहचान उम्र से नहीं उद्देश्यों से होती है, जिंदगी का मूल्य समझिए, स्मार्ट स्टडी कर लक्ष्य तक पहुंचिए: डॉ. चिन्मय पंड्या

युवा की पहचान उम्र से नहीं उद्देश्यों से होती है, जिंदगी का मूल्य समझिए, स्मार्ट स्टडी कर लक्ष्य तक पहुंचिए: डॉ. चिन्मय पंड्या

युवा की पहचान उम्र से नहीं उद्देश्यों से होती है, जिंदगी का मूल्य समझिए, स्मार्ट स्टडी कर लक्ष्य तक पहुंचिए: डॉ. चिन्मय पंड्या

नई दिल्ली: मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा उपहार ही जिंदगी है, खुशी है. इसलिए लक्ष्य के पीछे दौड़ते—दौड़ते मूल्य उद्देश्य से न भटक जाएं. उनको मत भूल जाना, जिनके लिए दौड़ना शुरू किया था. आयुष मंत्रालय में एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य और देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए यह बात कही. डॉ. पंड्या रविवार को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में अखिल विश्व गायत्री परिवार की युवा प्रकोष्ठ डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन (दिया) दिल्ली द्वारा आयोजित का कार्यक्रम युवा अभ्युदय में संबोधित कर रहे थे.
सफलता न मिलने पर हताशा व तनावग्रस्त होकर युवा गलत रास्ता चुन लेते हैं. इस विषय पर बातचीत करते हुए डॉ. चिन्मय पंड्या ने युवाओं से कहा कि जीवन हीरा है, लेकिन मनुष्य इसे कंकड़ समझ लेता है. कोई भी युवा उम्र से नहीं, उद्देश्यों से होता है. युवाओं को उगता सूरत की उपमा देते हुए उन्होंने कहा कि जिंदगी का मूल्य समझिए, लेकिन लालची मत बनिए. भारत विश्वगुरु बनने की ओर है और हमारे युवाओं में वह सामर्थ्य है जो भारत की मिट्टी को आकाश की बुलंदी तक पहुंचा सकते हैं. विश्व को सही दिशा देने सकते हैं. जो क्षेत्र मिला है, उसी में अच्छा करें और अच्छा करने का भाव और संकल्प लेकर आगे बढ़ो. निराश न हों.

यूपीएससी साल 2020 की टॉपर जागृति अवस्थी ने युवाओं को स्मार्ट स्डटी के गुर सिखाए. उन्होंने कहा कि समस्याओं के सामाधान पर काम करिए. हर चीज का हल है, आज नहीं तो कल है. इसलिए सॉल्यूशन बेसड अप्रोच रखिए. तैयारी करते वक्त किसी से खुद की तुलना न करें और न किसी किसी की कोई बात सुनकर हतोत्साहित हों. कई उतार—चढ़ाव आएंगे, बोरियत भी होगी. कई दफा मन में नकारात्मक विचार भी आएंगे, लेकिन किसी को खुद पर हावी न होने दें.

बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जुड़कर कहा कि कोविड में मैंने शुरुआत किसी की मदद करने की इच्छा से एक कदम बढ़ाया था. धीरे—धीरे मुझे लोगों की मदद कर खुशी मिलने लगी, तब लगा कि फिल्मों में मुझे भूमिका मिलती है, उसी तरह जिंदगी में मुझे यह रोल मिला है, जिसे मुझे अच्छे से निभाना है. अब लोगों की मदद कर खुशी मिलती है. रात में सुकून की नींद आती है. समाज ने मुझे बहुत कुछ दिया है और अब मैं समाज के प्रति अपने दायित्व निभाने की कोशिश कर रहा हूं. इसी तरह, आप भी अपनी खुशी और समाज व देश के प्रति कर्तव्य को ध्यान में रखकर लक्ष्य बनाइए. कार्यक्रम में पैरालंपिक खिलाड़ी पूजा अग्रवाल समेत करीब 50 सामाजिक कार्यकर्ताओं को सम्मानित भी किया गया.

बता दें कि डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन (दिया) दिल्ली ने सूद फाउंडेशन के साथ मिलकर दो साल पहले संभवम् पहल की शुरुआत की थी जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर करीब ढाई हजार छात्र—छात्राओं को यूपीएससी और एसएससी की तैयारी कराने में मदद कर रहा है. इसके अलावा हर रविवार प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए मोटिवेशन वर्कशॉप कराता है जिसमें कोई सक्सेस पर्सनैलिटी छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं. दिया टीम झुग्गी—झोपड़ी में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बाल संस्कारशाला, पर्सनैलिटी डेवलेपमेंट कोर्स, मूविंग लाइब्रेरी जैसी पहल भी कर रही है.

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