आगामी विधानसभा चुनाव साइलेंट वोटर पर दांव।

सुरक्षित मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कितना सार्थक?

बिहार की तर्ज पर, उत्तर प्रदेश में होनेवाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए साइलेंट वोटर को रिझाने की तैयारी शुरू हो गई है।

आगामी विधानसभा चुनाव साइलेंट वोटर पर दांव।

लेखिका- सुनीता कुमारी
पूर्णियाँ, बिहार

बिहार की तर्ज पर, उत्तर प्रदेश में होनेवाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए साइलेंट वोटर को रिझाने की तैयारी शुरू हो गई है।बिहार विधान सभा चुनाव 2019 में एक नई बात देखने को मिली थी कि,एक ही घर, एक ही परिवार के लोगों ने अलग अलग प्रत्याशी को वोट दिया था।
पति ने राष्ट्रीय जनतादल गठबंधन को वोट दिया तो, पत्नी ने जदयू और भाजपा गठबंधन को वोट दिया था। वही बेटी ने किसी और को वोट दिया था , तो बेटे ने किसी और प्रत्याशी को वोट दिया था।
बिहार विधानससभा चुनाव 2020 में जदयू गठबंधन की स्थिति कमजोर थी ,बिहार का पुरूष वर्ग सत्ता में परिवर्तन चाह रहा था,क्योंकि बिहार के पुरूष वर्ग कई कारणों से जदयू गठबंधन से असंतुष्ट थे,एवं सत्ता में परिवर्तन चाहते थे।
ये बातें कही न कही जदयू गठबंधन को पता थी।जातिवाद का समीकरण भी बिहार के चुनाव में कमजोर पड़ रहा था।वैसी स्थिति में सत्ता पक्ष ने साइलेंट वोटर का इस्तेमाल किया। आधी आबादी, महिलाओं को प्रलोभन दिया गया।उज्जवला योजना, हेल्थ डिपार्टमेंट की महिला कर्मचारी, आंगन बाड़ी सेविका,जीविका दीदी ,आशा दीदी आदि महिलां कर्मचारी पर विशेष ध्यान दिया गया ,जिसका जबर्दस्त परिणाम बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिला।
जदयू गठबंधन और राष्ट्रीय जनतादल गठबंधन में कांटे की टक्कर हुई थी , लेकिन जीत जदयू गठबंधन को मिली। इस जीत में कही न कही साइलेंट वोटर ही जदयू की जीत का वजह बना।
आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव में इसी साइलेंट वोटर को रिझाने की तैयारी शुरू हो चुकी है ।आगामी दो महीने में चुनाव होनेवाले है ।आचार संहिता लागू होने से पहले भाजपा ,समाजवादी पार्टी, दोनों पार्टी पूरी ताकत चुनाव में लगा रहे है। समाजवादी और कांग्रेस पार्टी जहाँ रैली कर रही है, वही भाजपा की ओर से रैली के साथ-साथ साइलेंट वोटर को रिझाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी उदेश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा उत्तर प्रदेश प्रदेश की महिलाओं के लिए कई योजनाओ की शुरुआत की गई है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी का लगातार दौरा कर रहे हैं।प्रधानमंत्री मोदी जी ने प्रयागराज के एक कार्यक्रम में दो लाख से अधिक महिलाओं की उपस्थिति में, एक अनोखे कार्यक्रम में हिस्सा लिया। महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया।
उत्तर प्रदेश की महिलाओं को बड़ी सौगात दी।
यह कार्यक्रम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप आयोजित किया गया।प्रधानमंत्री स्वयं सहायता समूहों (Self Help Group) के खातों मे 1000 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई, जिससे उत्तर प्रदेश की 16 लाख महिला सदस्यों को लाभ मिलेगा।
 दीनदयाल उपाध्याय योजना तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मीशन (डी ए वाई) के द्वारा महिलाओं को लाभ पहुंचाई जाएगा।
जिसमें 80,000 सेल्फ हेल्प ग्रुप को प्रति एसएचजी 1.10 लाख रुपये का सामुदायिक निवेश कोष (CIF) प्राप्त होगा और 60,000 एसएचजी को प्रति एसएचजी 15,000 रुपये की चक्रीय (रिवॉल्विंग) निधि प्राप्त होगी।
निश्चित ही प्रधानमंत्री मोदी जी की यह योजना सराहनीय है ।इससे उत्तर प्रदेश की महिलाओं को लाभ होगा।महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा।परंतु उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 के पूर्व इस योजना का लाभ महिलाओं को मिलना कही न कही महिला वोटर को भाजपा के प्रति आकर्षित करने की तैयारी है।
आधी आबादी महिलाएं भी हमारे देश में सशक्त हो चुकी हैं, और अपने फैसले खुद ले सकती हैं । महिला सशक्तिकरण निश्चय ही महिलाओं को एक नई दिशा प्रदान की है।
जिसके तहत वह घरों से निकलकर बहुत सारे संस्थानों में काम कर रही हैं ,शिक्षा ग्रहण कर रही है। सरकारी और गैर सरकारी नौकरी कर रही हैं। और बहुत सारे महिलाएं स्वरोजगार कर भी आगे बढ़ रही हैं।
महिलाओं के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा भी बहुत सारी योजनाओं को लागू किया गया है ,जिसका फायदा महिलाएं उठा रही हैं। महिलाएं अपने हक के प्रति जागरूक हो चुकी हैं, और इस हक का उपयोग चुनाव में वोट देने के लिए भी अब कर रही हैं।
यह बात बिहार विधानसभा चुनाव 2019 में साबित हो चुकी है। जदयू गठबंधन की डूबती नैया को महिला मोटर का सहारा मिला, और वह वापस सत्ता में आ गई। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश में महिला वोटर का लाभ लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा उत्तर प्रदेश की महिलाओं को बड़ी संख्या में लाभ पहुंचाई जा रही है।
जातिवाद, वर्गवाद, क्षेत्रवाद ,धर्मवाद, भाषावाद के बाद भारत की राजनीति का एक नया अध्याय शुरू हुआ है, महिला और पुरुष वाद।
राजनीतिक दलों द्वारा वोट हासिल करने के लिए एक ही परिवार को अलग-अलग सोच प्रदान करने के लिए बधाई देनी होगी ।शायद इससे देश का विकास संभव हो सके?? एक ही परिवार में अलग-अलग सोच होने से परिवार सफलता पूर्वक अपना उद्देश्य पूरा कर सके ??
हमारे देश की राजनीति में स्त्री और पुरुष वाद परिवार की एकता और अखंडता ,स्नेह आदि पर कही प्रहार तो नहीं??

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